नावादाः हिन्दू रीति रिवाज में माता-पिता के मरणोपरांत पुरुष कंधा देने (women performed the last rites in nawada) का काम करते हैं. यह परंपरा शदियों से चली आ रही है. लेकिन जब बात बराबरी की हो तो महिलाएं भी फर्ज निभाने से पीछे नहीं रहना चाहती. ऐसा ही मामला बिहार के नवादा से सामने आया है. निधन के बाद पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी कंधा देकर अंतिम संस्कर के लिए विदा किया. जिसके बाद नवादा की इन महिलाओं की खूब चर्चा हो रही है. देश में आधी आबादी महिलाओं की है तो हक भी बराबर होनी चाहिए.
यह भी पढ़ेंः जाते-जाते मिसाल दे गए शरद यादव, नदी में नहीं बहाई गई अस्थियां, मृत्यु भोज के भी खिलाफ
महिलाओं की हो रही चर्चाः दरअसल, नवादा के रूपौ में शिवचरण माथुर(50) का निधन हो गया. घर की महिलाओं ने ब्राह्मणवादी व्यवस्था को तोड़ते हुए अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट पहुंची. इस कार्य को देखकर महिलाओं की खूब चर्चा हो रही है. बताया गया है कि मृतक को कंधा देने के लिए घर के परिजन आगे आए लेकिन महिलाओं ने आगे बढ़कर पुरुष के समक्ष अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट पहुंचाई. मृतक के पुत्र जयपाल ने ब्राह्मणवादी व्यवस्था को हटा कर पिता के शव को दाह संस्कार करने का प्रस्ताव रखा. जिसे घरवालों के साथ आस-पड़ोस के लोगों ने भी स्वीकार किया.
पूरी समाज हुई उपस्थितः इसके बाद विनीता कुमारी, सोनम कुमारी, पूजा कुमारी, सोनम कुमारी, पूजा कुमारी, लक्ष्मी कुमारी, लीला कुमारी, सुशीला कुमारी, सोनी कुमारी ने कंधा दिया. इसके बाद पुत्र जयपाल प्रसाद, विनोद कुमार ने उनका उत्साहवर्धन करते हुए शव यात्रा में शामिल हुए. शव यात्रा में शामिल लोगों ने राम नाम सत्य, जीवन मरन बुद्धम शरणम गच्छामि, शिवचरण अमर रहे के जयकारे लगा रहे थे. सब यात्रा में सरवन मुखिया के अलावा विक्रमपुर पंचायत के वर्तमान मुखिया विकास कुमार के साथ कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे.