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विदेश में रहकर बच्चों के भविष्य संवारने में जुटे बिहारवासी, जर्मनी-UK से देंगे आनलाइन शिक्षा

नवादा में मेसकौर प्रखंड के पूर्णाडीह गांव में गांधी जयंती के अवसर पर बुनियादी शिक्षा केंद्र खोला गया. इस केंद्र में डिजिटल के माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी. कौशल्या फाउंडेशन नामक एक संस्था इस केंद्र का संचालन करेगी. जिसमें जर्मनी-यूके में रह रहे बिहारवासी भी बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देंगे. पढ़ें पूरी खबर..

People of Bihar living in Germany-UK will give online education to children of Nawada
People of Bihar living in Germany-UK will give online education to children of Nawada
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Published : Oct 4, 2021, 8:58 AM IST

नवादा: विदेशों में रह रहे बिहारवासी का अपने देश, शहर और गांवों से लगाव कम नहीं हुआ है. यही कारण है कि अब अपने मिट्टी के नौनिहालों को बेहतर शिक्षा देने के लिए जर्मनी-यूके में रहने वाले नवादावासियों ने आनलाइन शिक्षा (Online Education) देने की व्यवस्था की है. छोटे-छोटे बच्चों को डिजिटल (Digital) के माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी. वहीं दसवीं-बारहवीं पास छात्र-छात्राओं की करियर काउंसलिग भी की जाएगी. इसके लिए शनिवार को मेसकौर प्रखंड (Meskaur Block) के पूर्णाडीह गांव में गांधी जयंती के अवसर पर बुनियादी शिक्षा केंद्र खोला गया.

यह भी पढ़ें - पटना विश्वविद्यालय का 105 वां स्थापना दिवस आज, 41 छात्र-छात्राओं को मिलेगा गोल्ड मेडल

कौशल्या फाउंडेशन नामक एक संस्था इस केंद्र का संचालन करेगी. ग्रामीणों के सहयोग से इस केंद्र को खोला गया है. यहां एक स्मार्ट टीवी लगाई गई है. इंटनरेट कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है. डिजिटल लाइब्रेरी की भी व्यवस्था की जा रही है. केंद्र शुभारंभ के अवसर पर डिजिटल माध्यम से बापू की जीवनी के बारे में दिखाया गया. चित्रांकन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जिसमें 40 बच्चों ने भाग लिया. जिसमें प्रथम पुरस्कार रजनी कुमारी, द्वितीय पुरस्कार अमन कुमार और तृतीय पुरस्कार अंकित कुमार को दिया गया. विक्रम कुमार और खूशबु कुमारी को सांत्वना पुरस्कार दिया गया.

बता दें कि बुनियादी शिक्षा केंद्र में प्रतिदिन चार घंटे क्लास चलेगा. दो बजे से चार बजे तक बच्चों को पढ़ाया जाएगा. महीने में एक बार बिहार फ्रेटरनिटी ग्रुप से जुड़े जर्मनी, यूके में रहने वाले बिहारवासी शिक्षा और करियर से जुड़ी अहम जानकारी देंगे. वहीं, संस्था के रौशन कुमार प्रतिदिन गांव जाकर बच्चों को डिजिटल माध्यम से पढ़ाएंगे. इस कार्य में गांव में ही रह रही स्नातक पास सोनी देवी की भी मदद ली जाएगी. उन्हें डिजिटल तकनीकों के बारे संस्था प्रशिक्षित करेंगी.

बताते चलें कि पूर्णाडीह गांव की पूरी आबादी अनुसूचित वर्ग की है. यहां अधिकांश परिवार दैनिक मजदूरी का भरण-पोषण करते हैं. बच्चों की शिक्षा-दीक्षा को लेकर ग्रामीणों ने काफी सहयोग किया. किसी ने अपना कमरा उपलब्ध कराया तो किसी ने बच्चों के बैठने के लिए दरी की व्यवस्था की. किसी ने कमरे के दरवाजे की मरम्मत कराई. यहां के लोगों का मानना है कि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलेगी तो वे अपने भविष्य को संवार सकेंगे.

कौशल्या फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी कौशलेंद्र ने बताया कि 'शिक्षा से ही अज्ञानता रूपी अंधकार पर विजय प्राप्त किया जा सकता है. वैसे सुदूर गांव जहां सुविधाओं का अभाव है, वहां तक आधुनिक तकनीक से डिजिटल शिक्षा प्रदान करने का उद्देश्य है ताकि हर कोई अपनी आंखों में समृद्ध बिहार का सपना संजो सके.'

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कौशल्या फाउंडेशन नामक एक संस्था इस केंद्र का संचालन करेगी. ग्रामीणों के सहयोग से इस केंद्र को खोला गया है. यहां एक स्मार्ट टीवी लगाई गई है. इंटनरेट कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है. डिजिटल लाइब्रेरी की भी व्यवस्था की जा रही है. केंद्र शुभारंभ के अवसर पर डिजिटल माध्यम से बापू की जीवनी के बारे में दिखाया गया. चित्रांकन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जिसमें 40 बच्चों ने भाग लिया. जिसमें प्रथम पुरस्कार रजनी कुमारी, द्वितीय पुरस्कार अमन कुमार और तृतीय पुरस्कार अंकित कुमार को दिया गया. विक्रम कुमार और खूशबु कुमारी को सांत्वना पुरस्कार दिया गया.

बता दें कि बुनियादी शिक्षा केंद्र में प्रतिदिन चार घंटे क्लास चलेगा. दो बजे से चार बजे तक बच्चों को पढ़ाया जाएगा. महीने में एक बार बिहार फ्रेटरनिटी ग्रुप से जुड़े जर्मनी, यूके में रहने वाले बिहारवासी शिक्षा और करियर से जुड़ी अहम जानकारी देंगे. वहीं, संस्था के रौशन कुमार प्रतिदिन गांव जाकर बच्चों को डिजिटल माध्यम से पढ़ाएंगे. इस कार्य में गांव में ही रह रही स्नातक पास सोनी देवी की भी मदद ली जाएगी. उन्हें डिजिटल तकनीकों के बारे संस्था प्रशिक्षित करेंगी.

बताते चलें कि पूर्णाडीह गांव की पूरी आबादी अनुसूचित वर्ग की है. यहां अधिकांश परिवार दैनिक मजदूरी का भरण-पोषण करते हैं. बच्चों की शिक्षा-दीक्षा को लेकर ग्रामीणों ने काफी सहयोग किया. किसी ने अपना कमरा उपलब्ध कराया तो किसी ने बच्चों के बैठने के लिए दरी की व्यवस्था की. किसी ने कमरे के दरवाजे की मरम्मत कराई. यहां के लोगों का मानना है कि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलेगी तो वे अपने भविष्य को संवार सकेंगे.

कौशल्या फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी कौशलेंद्र ने बताया कि 'शिक्षा से ही अज्ञानता रूपी अंधकार पर विजय प्राप्त किया जा सकता है. वैसे सुदूर गांव जहां सुविधाओं का अभाव है, वहां तक आधुनिक तकनीक से डिजिटल शिक्षा प्रदान करने का उद्देश्य है ताकि हर कोई अपनी आंखों में समृद्ध बिहार का सपना संजो सके.'

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