ETV Bharat / state

32 साल बाद शुरू की इंटर की पढ़ाई, UGC के रिजल्ट में बेटी से आगे निकली मां

32 साल बाद 2010 में इंटर में न सिर्फ नामांकन कर पढ़ाई शुरू की. इसके बाद 12वीं में आर्ट्स सब्जेक्ट में कॉलेज टॉपर भी बनी.

माधवी गुप्ता
author img

By

Published : Mar 5, 2019, 5:48 PM IST

नवादा: कहते हैं पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती, अगर मन में सच्ची लगन और इच्छाशक्ति हो तो कभी अपने लक्ष्य को पाया जा सकता है. इस वीमेंस डे आपको ऐसी ही महिला के बारे में बता रहे हैं. जिले के हिसुआ बाजार के तैलिक टोला की रहने वाली माधवी गुप्ता ने 32 साल बाद 2010 में इंटर में न सिर्फ नामांकन कर पढ़ाई शुरू बल्कि 12वीं में आर्ट्स सब्जेक्ट में कॉलेज टॉपर भी बनी. यहीं नहीं शादी के बाद बच्चे और घर संभालने के साथ-साथ उन्होंने बीए, एमए किया और फिर 2018 में अपने बेटी के साथ यूजीसी नेट की परीक्षा दी.

कुछ दिन बाद जब परीक्षा परिणाम आए तो माधवी अपनी बेटी को पीछे छोड़ती हुई आगे निकल गई. सबसे खास बात यह है कि इन्होंने यूजीसी नेट के लिए कहीं क्लासेज नहीं ली.

woman
32 साल बाद एग्जाम देकर बनी कॉलेज टॉपर
1988 में ही मैट्रिक के बाद छूट गई थी पढ़ाईमाधवी ने बताया कि 1988 में गांव में 10वीं तक ही स्कूल है जिसके कारण उन्हें आगे की पढ़ाई छोड़नी पड़ी. कुछ ही दिन बाद शादी हो जाने से कभी पढ़ाई करने का मौका ही नहीं मिल सका.

सिलाई मशीन चलाकर की परिवार और बच्चे की परवरिश
माधवी का कहना है कि शादी के बाद परिवार और बच्चों के प्रति जिम्मेदारियां पूरी करते-करते कब समय गुजर गए पता ही नहीं चला. वे जब गांव में थी तभी सिलाई मशीन चलाने का हुनर सीखा था. उसी के सहारे परिवार और बच्चे की परवरिश की और पति का हाथ बंटाया.

woman
सिलाई मशीन वनी सहारा

पति का मिला सहयोग
माधवी बताती है कि यहां तक पहुंचाने में पति नरेश ने उनका पूरा साथ दिया. इसके लिए उन्हें थोड़ी मुश्किलें भी उठानी पड़ी लेकिन कभी पीछे नहीं हटे. वहीं पति नरेश का कहना है कि जब पता चला कि माधवी पढ़ने में इतनी अच्छी है और रिजल्ट इतना अच्छा आ रहा है, तो परिवार का भी मनोबल बढ़ गया.

यूजीसी नेट में मां-बेटी ने एकसाथ दिया पेपर, मम्मी ने मार ली बाजी
जब 2018 में यूजीसी नेट का फॉर्म निकला तो माधवी ने अपनी बेटी उमा के साथ नेट का फॉर्म भरा और एकसाथ परीक्षा भी दी. जिसमें बेटी उमा भारती को 160 अंक मिले और मां को 172 अंक प्राप्त हुए.

सच्ची लगन और इच्छाशक्ति से 32 साल शुरू की पढ़ाई

बता दें कि, माधवी को राष्ट्र सेवा समिति के बैनर तले महिला शाखा भी लगाती है और योगा सिखाने का भी काम करती है. फिलहाल, माधवी पीएचडी कर रही है और साथ ही अस्सिटेंट प्रोफेसर के लिए फॉर्म भी भर रही है.

नवादा: कहते हैं पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती, अगर मन में सच्ची लगन और इच्छाशक्ति हो तो कभी अपने लक्ष्य को पाया जा सकता है. इस वीमेंस डे आपको ऐसी ही महिला के बारे में बता रहे हैं. जिले के हिसुआ बाजार के तैलिक टोला की रहने वाली माधवी गुप्ता ने 32 साल बाद 2010 में इंटर में न सिर्फ नामांकन कर पढ़ाई शुरू बल्कि 12वीं में आर्ट्स सब्जेक्ट में कॉलेज टॉपर भी बनी. यहीं नहीं शादी के बाद बच्चे और घर संभालने के साथ-साथ उन्होंने बीए, एमए किया और फिर 2018 में अपने बेटी के साथ यूजीसी नेट की परीक्षा दी.

कुछ दिन बाद जब परीक्षा परिणाम आए तो माधवी अपनी बेटी को पीछे छोड़ती हुई आगे निकल गई. सबसे खास बात यह है कि इन्होंने यूजीसी नेट के लिए कहीं क्लासेज नहीं ली.

woman
32 साल बाद एग्जाम देकर बनी कॉलेज टॉपर
1988 में ही मैट्रिक के बाद छूट गई थी पढ़ाईमाधवी ने बताया कि 1988 में गांव में 10वीं तक ही स्कूल है जिसके कारण उन्हें आगे की पढ़ाई छोड़नी पड़ी. कुछ ही दिन बाद शादी हो जाने से कभी पढ़ाई करने का मौका ही नहीं मिल सका.

सिलाई मशीन चलाकर की परिवार और बच्चे की परवरिश
माधवी का कहना है कि शादी के बाद परिवार और बच्चों के प्रति जिम्मेदारियां पूरी करते-करते कब समय गुजर गए पता ही नहीं चला. वे जब गांव में थी तभी सिलाई मशीन चलाने का हुनर सीखा था. उसी के सहारे परिवार और बच्चे की परवरिश की और पति का हाथ बंटाया.

woman
सिलाई मशीन वनी सहारा

पति का मिला सहयोग
माधवी बताती है कि यहां तक पहुंचाने में पति नरेश ने उनका पूरा साथ दिया. इसके लिए उन्हें थोड़ी मुश्किलें भी उठानी पड़ी लेकिन कभी पीछे नहीं हटे. वहीं पति नरेश का कहना है कि जब पता चला कि माधवी पढ़ने में इतनी अच्छी है और रिजल्ट इतना अच्छा आ रहा है, तो परिवार का भी मनोबल बढ़ गया.

यूजीसी नेट में मां-बेटी ने एकसाथ दिया पेपर, मम्मी ने मार ली बाजी
जब 2018 में यूजीसी नेट का फॉर्म निकला तो माधवी ने अपनी बेटी उमा के साथ नेट का फॉर्म भरा और एकसाथ परीक्षा भी दी. जिसमें बेटी उमा भारती को 160 अंक मिले और मां को 172 अंक प्राप्त हुए.

सच्ची लगन और इच्छाशक्ति से 32 साल शुरू की पढ़ाई

बता दें कि, माधवी को राष्ट्र सेवा समिति के बैनर तले महिला शाखा भी लगाती है और योगा सिखाने का भी काम करती है. फिलहाल, माधवी पीएचडी कर रही है और साथ ही अस्सिटेंट प्रोफेसर के लिए फॉर्म भी भर रही है.

Intro:नवादा। कहते हैं पढ़ने-लिखने का का कोई उम्र नहीं होता। अगर मन में सच्ची लगन और दृढ़इच्छाशक्ति हो तो कभी अपने लक्ष्य को पाया जा सकता है। आज वीमेंस डे के अवसर पर आपको ऐसे ही महिला शख़्स के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा से हर उस महिला को सोचने को मजबूर कर दिया है जो अपने पढ़ाई-लिखाई के मार्ग में परिवार और बच्चे संभालने की दुहाई देकर निकल जाती हैं। जी हां, यह मशीन चलाती हुई यह तस्वीर जिले के हिसुआ बाजार के तैलिक टोला की रहनेवाली माधवी गुप्ता की है जिन्होंने, 32 साल बाद 2010 में इंटर में न सिर्फ नामांकन कर पढ़ाई शुरू बल्कि 12वीं में आर्ट्स सब्जेक्ट में कॉलेज टॉपर भी बनी।


Body:जिसके बाद परिवार को भी माधवी में एक उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी। उधर माधवी भी इस सफलता से खुश होकर पढ़ाई को जारी रखी रखना मुनासिब समझा। उन्होंने घर के सारे काम करने के अलावे पढ़ाई भी बड़ी तन्मयता से की। बीए, एमए किया और फिर 2018 में अपने बेटी के साथ यूजीसी नेट की परीक्षा में एक साथ बैठकर पेपर दिया। कुछ दिन बाद जब परीक्षा परिणाम आए तो मम्मी यानी माधवी अंकतालिका में अपने बेटी को काफी पीछे छोड़कर आगे निकल गई। बेटी को पीछे छोड़ अंकतालिका में आगे आनेवाले इस मम्मी की आजकल इलाके में खासे चर्चा हैं। सबसे खास बात यह है कि इन्होंने यूजीसी नेट के लिए कहीं क्लासेज़ नहीं ली। कुछ सब्जेक्ट से संबंधित बुक और मोबाईल के जरिए सेल्फ स्टडी कर इसकी तैयारी की। फिलहाल, माधवी पीएचडी कर रही है और साथी ही अस्सिटेंट प्रोफेसर के।लिए फॉर्म भी भर रही हैं।



1988 में ही मैटिक के बाद छूट गई थी पढ़ाई

माधवी कहती हैं, बात 1988 की है जब गांव में 10वीं तक के स्कूल होने के वजह से आगे की पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी और उसके कुछ ही दिन बाद शादी हो जाने से कभी पढ़ाई करने का मौका ही नहीं मिल सका।

सिलाई मशीन चलाकर की परिवार और बच्चे की परवरिश

शादी के बाद परिवार और बच्चे की प्रति जिम्मेदारियां पूरी करते करते कब समय गुजर गए पता ही नहीं चला। मैं जब गांव में थी तभी सिलाई मशीन चलाने का हुनर सीखी हुई थी उसी को चलाकर परिवार और बच्चे की परवरिश की इसी बहाने हमारा टाइम पास भी हो रहा था।


परशुराम आचार्य के आग्रह पर शुरू की इंटर की पढ़ाई

आगे बताती है कि, 2010 में एक दिन मुझे सरस्वती शिशु मंदिर में प्रार्थना सभा में भाग लेने के लिए बुलाया गया था। जहां हमारी मुलाक़ात परशुराम प्रधानाचार्य से हुई उन्होंने ही मुझे कहा कि,आप इंटर की पढ़ाई कीजिए। मैं अपने विद्यालय में ही पढ़ाने के लिए रख लूंगा। फिर, मैंने इंटर में एडमिशन करवाया और पढ़ाई की और जब परिणाम आया तो मैं आर्ट्स में अपने कॉलेज में टॉपर रही जिसके लिए मुझे मेडल भी दिया गया।


पति नरेश प्रसाद गुप्ता का मिला भरपूर सहयोग

माधवी बताती है कि, हमें यहां तक पहुंचाने में पति नरेश ने भरपूर सहयोग दिया। इसके लिए उन्हें थोड़ी मुश्किलें भी उठानी पड़ी लेकिन कभी पीछे नहीं हटे। वहीं पति नरेश का कहना है,जब देखे की बढियां रिजल्ट आ रहा है तो हमलोगों का मनोबल और बढ़ गया हमने कहा,आप मन लगाकर पढिए हमसे जो सहयोग होगा हम करेंगे। इस बीच कठिनाई तो बहुत आया लेकिन सबको झेलते गए। इनकी सफलता हमारे लिए गर्व की बात है।


बेटे से आग्रह कर भरा बीएचयू से एमए एंट्रेंस का फॉर्म, माँ-बेटा एकसाथ पास की परीक्षा


वो कहती हैं जब मेरा बेटा बीएचयू से एमएससी इंट्रेंस के फॉर्म भर रहा था तो मैंने उससे कहा बेटा (शिवजी) मेरा भी एमए का फॉर्म भर देगा तो उसने फॉर्म भर दिया। जब रिजल्ट आया तो उसका एमएससी मैथ में एडमिशन हुआ और मेरा एमए हिंदी में हुआ। हम दोनों माँ-बेटा 2015-17 तक वहीं से मास्टर डिग्री हांसिल की। फिलहाल, शिवजी गुजरात आईआईटी से मैथ में पीएचडी कर रहा है। उसे JRF में भारत में दूसरा रैंक मिला था।

यूजीसी नेट में माँ-बेटी ने एकसाथ दिया पेपर, अंक में मम्मी ने मार ली बाजी

जब 2018 में यूजीसी नेट का फॉर्म निकला तो मैंने अपनी बेटी उमा भारती के साथ नेट का फॉर्म भरा और एकसाथ परीक्षा भी दी। जिसमें बेटी उमा भारती को 160 अंक मिले और मुझे 172 अंक प्राप्त हुए।


बात दें कि, माधवी को राष्ट्र सेवा समिति के बैनर तले महिला शाखा भी लगाती है और योगा सिखाने का भी काम करती है।








Conclusion:निश्चय ही माधवी का यह दृढ़इच्छाशक्ति उन महिलाओं के लिए वरदान साबित होगी जिसने पढाई छोड़ने के बाद अपनी पढ़ाई से तौबा कर लेती है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.