नवादा: कहते हैं पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती, अगर मन में सच्ची लगन और इच्छाशक्ति हो तो कभी अपने लक्ष्य को पाया जा सकता है. इस वीमेंस डे आपको ऐसी ही महिला के बारे में बता रहे हैं. जिले के हिसुआ बाजार के तैलिक टोला की रहने वाली माधवी गुप्ता ने 32 साल बाद 2010 में इंटर में न सिर्फ नामांकन कर पढ़ाई शुरू बल्कि 12वीं में आर्ट्स सब्जेक्ट में कॉलेज टॉपर भी बनी. यहीं नहीं शादी के बाद बच्चे और घर संभालने के साथ-साथ उन्होंने बीए, एमए किया और फिर 2018 में अपने बेटी के साथ यूजीसी नेट की परीक्षा दी.
कुछ दिन बाद जब परीक्षा परिणाम आए तो माधवी अपनी बेटी को पीछे छोड़ती हुई आगे निकल गई. सबसे खास बात यह है कि इन्होंने यूजीसी नेट के लिए कहीं क्लासेज नहीं ली.
सिलाई मशीन चलाकर की परिवार और बच्चे की परवरिश
माधवी का कहना है कि शादी के बाद परिवार और बच्चों के प्रति जिम्मेदारियां पूरी करते-करते कब समय गुजर गए पता ही नहीं चला. वे जब गांव में थी तभी सिलाई मशीन चलाने का हुनर सीखा था. उसी के सहारे परिवार और बच्चे की परवरिश की और पति का हाथ बंटाया.
पति का मिला सहयोग
माधवी बताती है कि यहां तक पहुंचाने में पति नरेश ने उनका पूरा साथ दिया. इसके लिए उन्हें थोड़ी मुश्किलें भी उठानी पड़ी लेकिन कभी पीछे नहीं हटे. वहीं पति नरेश का कहना है कि जब पता चला कि माधवी पढ़ने में इतनी अच्छी है और रिजल्ट इतना अच्छा आ रहा है, तो परिवार का भी मनोबल बढ़ गया.
यूजीसी नेट में मां-बेटी ने एकसाथ दिया पेपर, मम्मी ने मार ली बाजी
जब 2018 में यूजीसी नेट का फॉर्म निकला तो माधवी ने अपनी बेटी उमा के साथ नेट का फॉर्म भरा और एकसाथ परीक्षा भी दी. जिसमें बेटी उमा भारती को 160 अंक मिले और मां को 172 अंक प्राप्त हुए.
बता दें कि, माधवी को राष्ट्र सेवा समिति के बैनर तले महिला शाखा भी लगाती है और योगा सिखाने का भी काम करती है. फिलहाल, माधवी पीएचडी कर रही है और साथ ही अस्सिटेंट प्रोफेसर के लिए फॉर्म भी भर रही है.