नवादाः जिले के वारसलीगंज के मंजौर की रहनेवाली मेडिकल की छात्रा पूजा की किर्गिस्तान (रूस) में मौत के बाद परिजनों ने सरकार से उसे को वतन लाने की गुहार लगाई थी. लेकिन लॉकडाउन के कारण ऐसा ना हो सका. आखिरकार पूजा का पूरे हिंदू रीति रिवाज के साथ विदेश में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया.
दरअसल, पूजा को वतन लाने की पुरजोर कोशिशें की गई. जिसमें नवादा के जनप्रतिनिधियों का का भी साथ मिला. उनके प्रयास संतोषजनक थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से फ़्लाईट सेवाएं कम होने के कारण शव का आने निश्चित नहीं था. परिजनों ने आपस में राय-मशवरा कर वहीं पर हिन्दू सनातन रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार का आदेश दिया. जिसके बाद पूजा का अंतिम संस्कार कर दिया गया. घटना के बाद से पूजा का परिवार काफी सदमे में है.
हिन्दू रीति रिवाज किया गया अंतिम संस्कार
पूजा के चाचा रामविलास सिंह ने बताया कि सरकार या हमारे जनप्रतिनिधियों की तरफ से जो प्रयास किए गए उससे हमें काफी संतुष्टि मिली. लेकिन कोरोना महामारी का दौर चल रहा था. इंटरनेशनल फ्लाइट बंद थी, ऐसे में यह निश्चित नहीं हो पा रहा था कि शव कब आ पाएगा. विदेश मंत्रालय से फोन आया जिसमें 19 तारीख बताई गई. फिर हमलोगों ने सोचा कि अगर 19 को शव आता है तो फिर एक बार हमारा परिवार सदमे में आ जाएगा. यही सब सोचकर हमलोगों ने वहीं अंतिम संस्कार करने का आदेश दे दिया.
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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से परिवार ने देखा अंतिम संस्कार
रामविलास सिंह ने बताया कि वहां के लोगों ने हमारे कहे अनुसार सनातन रीति रिवाज से अंतिम संस्कार संस्कृत के मंत्रोच्चारण से कराया. सारी प्रक्रियाएं उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिखाई. अब काल्पनिक तौर पर अपने यहां श्राद्ध संस्कार की सारी विधियों के मुताबिक कार्य कर रहा हूं.
बात दें कि मंजौर गांव के कृष्ण कुमार उर्फ शंभू सिंह की 22 वर्षीय पुत्री पूजा रूस की क्रिगिस्तान शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी. इसी दौरान अचानक उनके पेट दर्द शुरू हुई और 1 जून को उसकी मौत हो गई.