नवादा: जिले के हिसुआ प्रखंड अन्तर्गत सरतकिया गांव में किसान अश्विनी यादव ने एक एकड़ भूमि में गरमा धान लगाया है. ये फसल सिर्फ सिंचाई और रासायनिक खाद के बल पर मात्र चार माह के अंदर तैयार हो जाता है. खेत तैयार कर रोपनी से लेकर कटनी तक इस फसल की सिंचाई की जाती है.
नवम्बर और दिसम्बर माह में गरमा धान का बीज मात्र बीस से पच्चीस दिन में तैयार हो जाता है. लेकिन किसान अश्विनी यादव ने मार्च महीने में इसकी रोपनी की थी. सही समय में देर होने के बावजूद उन्हें अच्छी उपज मिली है. अश्विनी बताते हैं कि गरमा धान को पहले एक दिन तक पानी में भींगा कर फुलने और अंकुरने के लिए छोड़ दिया जाताा है. दो से तीन दिन में जब धान में अंकुर हो जाता है, तब बीज को तैयार कर खेत में छींटा जाता है.
'दोगुनी मुनाफे होने की उम्मीद है'
किसान ने बताया कि मैं गरमा धान की खेती पहली बार कर रहा हूं. इससे पहले मूंग की खेती करता था, जिसमें लगातार तीन सालों तक नुकसान हुआ. इस बार महंगा डीजल और रासायनिक खाद के सहारे गरमा धान की खेती कर रहा हूं, जिसमें दोगुना मुनाफे होने की उम्मीद है. समय से रोपनी नहीं होने की वजह से थोड़ी परेशानी हुई. गरमा धान की उपज इस साल काफी अच्छी होने की उम्मीद है. इस खेती के बाद आस-पड़ोस के गावों के किसानों में गरमा धान को लेकर उत्सुकता जगी है.