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नवादा: तिल की खेती से खिले किसानों के चेहरे, पहले सूखे से रहते थे परेशान

किसान अपनी जमीन को बारिश नहीं होने के कारण परती छोड़ देते थे. आज वही किसान करीब 40-50 बीघा जमीन पर तिल की खेती कर रहे हैं. तिल की लहलहाते फसल से किसानों के चेहरे पर खुशी है.

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Published : Sep 24, 2019, 10:17 AM IST

नवादा: जिले के रोह प्रखंड स्थित बेनीपुर गांव में सूखे की मार झेल रहे किसानों के लिए तिल की लहलहाती फसल काफी सुकून देने वाली है. यहां किसानों ने सामूहिक रूप से अपनी परंपरागत फसलों को छोड़कर तिल की खेती शुरू की है. खेती करीब 40 से 50 बिगहा में फैली हुई है. तिल की खेती करने वाले चार दर्जनों से ज्यादा किसान हैं.

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किसान

तिल की खेती के चलाया गया जागरुकता कार्यक्रम
जिले के किसानों ने नाबार्ड के वित्तीय सहयोग और ग्राम निर्माण मंडल, सेखोदेवरा आश्रम के पदाधिकारियों की ओर से तिल की खेती करने के लिए चलाए गये जागरूकता कार्यक्रम की वजह से किसानों ने अपने खेतों में तील की खेती की शुरू की. बारिश नहीं होने पर भी लहलहाती तिल की फसल ने इन किसानों में आस जगा दिया है. अब किसान अपनी परंपरागत खेती धान-गेंहू से हटकर तिल की खेती पर जोर देने लगे हैं. पहले जो किसान बारिश नहीं होने के कारण अपनी जमीन को परती छोड़ देते थे. आज वही किसान करीब 40-50 बीघा जमीन पर तिल की खेती कर रहे हैं. तिल की लहलहाती खेती से किसानों के चेहरे पर खुशी है.

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किसान

तिल की खेती से किसानों में खुशी
तिल की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि पहले सूखे की वजह से पूरी खेत परती रह जाती थी. लेकिन, अब नाबार्ड और ग्राम निर्माण मंडल के सहयोग से तिल का खेती कर रहे हैं. इसमें न के बराबर पानी की जरूरत होती है. अगर थोड़ी बूंदाबूंदी भी हो जाए तो फसल लग जाती है. हालांकि उन्होंने कहा कि तिल की फसल कटने के बाद सूखे की वजह से हमारी खेतों में साल भर कोई फसल नहीं होती है. किसानों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि अगर यहां जलाशय या बोरिंग की व्यवस्था हो जाती तो फसल के साथ कोई साग सब्जी भी उगा पाते.

खास रिपोर्ट

किसानों को किया गया जागरुक
रोह प्रखंड के नाबार्ड के एपीओ संजीत कुमार ने तिल की खेती पर कहा कि पहले यहां के किसान बारिश पर निर्भर रहते थे. धान-गेहूं की पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन सूखे की वजह से नुकसान हो रहा था. फिर हमने ग्राम निर्माण मंडल और सेखोदेवरा आश्रम के सहयोग से आमसभा कर इस पर विचार किया और किसानों में जागरूकता फैलाई. उन्हें प्रशिक्षित किया और उन्हें तिल की खेती करने के तौर तरीके बताये. मुफ्त में बीज उपलब्ध करवाकर खेती के लिए प्रेरित किया. इसी का परिणाम है कि आज यहां तिल की फसल लहलहा रही है.

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तिल की खेती

तिल की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण
नाबार्ड के पदाधिकारी ने कहा कि हमने सूखे की समस्या से परेशान होकर कम पानी में उपजने वाली फसल के बारे में सोचा. इस प्रोजेक्ट को करने के लिए जिले के कौआकोल और रोह क्षेत्र को चुना. जिसमें रोह के बेनीपुर गांव में हमने 30 एकड़ जमीन आइडेंटिफाई की और ग्राम निर्माण मंडल को जिम्मेदारी दी. इसके बाद उन्हें फंडिंग की, बीज मुहैया कराए, किसानों को प्रशिक्षण दिए.

नवादा: जिले के रोह प्रखंड स्थित बेनीपुर गांव में सूखे की मार झेल रहे किसानों के लिए तिल की लहलहाती फसल काफी सुकून देने वाली है. यहां किसानों ने सामूहिक रूप से अपनी परंपरागत फसलों को छोड़कर तिल की खेती शुरू की है. खेती करीब 40 से 50 बिगहा में फैली हुई है. तिल की खेती करने वाले चार दर्जनों से ज्यादा किसान हैं.

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किसान

तिल की खेती के चलाया गया जागरुकता कार्यक्रम
जिले के किसानों ने नाबार्ड के वित्तीय सहयोग और ग्राम निर्माण मंडल, सेखोदेवरा आश्रम के पदाधिकारियों की ओर से तिल की खेती करने के लिए चलाए गये जागरूकता कार्यक्रम की वजह से किसानों ने अपने खेतों में तील की खेती की शुरू की. बारिश नहीं होने पर भी लहलहाती तिल की फसल ने इन किसानों में आस जगा दिया है. अब किसान अपनी परंपरागत खेती धान-गेंहू से हटकर तिल की खेती पर जोर देने लगे हैं. पहले जो किसान बारिश नहीं होने के कारण अपनी जमीन को परती छोड़ देते थे. आज वही किसान करीब 40-50 बीघा जमीन पर तिल की खेती कर रहे हैं. तिल की लहलहाती खेती से किसानों के चेहरे पर खुशी है.

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किसान

तिल की खेती से किसानों में खुशी
तिल की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि पहले सूखे की वजह से पूरी खेत परती रह जाती थी. लेकिन, अब नाबार्ड और ग्राम निर्माण मंडल के सहयोग से तिल का खेती कर रहे हैं. इसमें न के बराबर पानी की जरूरत होती है. अगर थोड़ी बूंदाबूंदी भी हो जाए तो फसल लग जाती है. हालांकि उन्होंने कहा कि तिल की फसल कटने के बाद सूखे की वजह से हमारी खेतों में साल भर कोई फसल नहीं होती है. किसानों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि अगर यहां जलाशय या बोरिंग की व्यवस्था हो जाती तो फसल के साथ कोई साग सब्जी भी उगा पाते.

खास रिपोर्ट

किसानों को किया गया जागरुक
रोह प्रखंड के नाबार्ड के एपीओ संजीत कुमार ने तिल की खेती पर कहा कि पहले यहां के किसान बारिश पर निर्भर रहते थे. धान-गेहूं की पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन सूखे की वजह से नुकसान हो रहा था. फिर हमने ग्राम निर्माण मंडल और सेखोदेवरा आश्रम के सहयोग से आमसभा कर इस पर विचार किया और किसानों में जागरूकता फैलाई. उन्हें प्रशिक्षित किया और उन्हें तिल की खेती करने के तौर तरीके बताये. मुफ्त में बीज उपलब्ध करवाकर खेती के लिए प्रेरित किया. इसी का परिणाम है कि आज यहां तिल की फसल लहलहा रही है.

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तिल की खेती

तिल की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण
नाबार्ड के पदाधिकारी ने कहा कि हमने सूखे की समस्या से परेशान होकर कम पानी में उपजने वाली फसल के बारे में सोचा. इस प्रोजेक्ट को करने के लिए जिले के कौआकोल और रोह क्षेत्र को चुना. जिसमें रोह के बेनीपुर गांव में हमने 30 एकड़ जमीन आइडेंटिफाई की और ग्राम निर्माण मंडल को जिम्मेदारी दी. इसके बाद उन्हें फंडिंग की, बीज मुहैया कराए, किसानों को प्रशिक्षण दिए.

Intro:नवादा। सूखे की मार से बिलबिलाते किसानों के लिए यह लहलहाती फसल कहीं और कि नहीं जिले के रोह प्रखंड स्थित बेनीपुर गांव की है जहां के किसानों ने सामूहिक रूप से अपनी परंपरागत फसलों को छोड़कर तिल की खेती करनी शुरू की है जो करीब 40-50 बिगहा में फैली हुई है और इसमें चार दर्जनों से अधिक किसान शामिल हैं। नावार्ड के वित्तीय सहयोग और ग्राम निर्माण मंडल, सेखोदेवरा आश्रम के पदाधिकारियों के द्वारा किसानों को तिल की खेती की ओर आकर्षित करने के लिए चलाए गये जागरूकता कार्यक्रम के वजह से परती पड़ा ज़मीन पर आज आबाद बना हुआ है। भलेहि किसानों को झमाझम बारिश पड़ने की उम्मीदों पर पानी फिर गया, लेकिन यह लहलहाती तिल की फसल उनके अंदर एक आस जगा दिया है। अब किसान अपनी परंपरागत खेती धान-गेंहू से हटकर तिल की खेती पर जोड़ देने लगे हैं।




Body:40-50 बीघा में हुई है खेती

पहले जो किसान अपनी जमीन को सूखे के कारण परती छोड़ देते थे आज वही किसान करीब 40-50 बीघा में तिल की खेती कर रहे हैं।

क्या कहते हैं किसान

किसानों का कहना है कि पहले सूखे की वजह सारा खेत परती रह जाता था लेकिन अब नाबार्ड और ग्राम निर्माण मंडल के सहयोग से तिल का खेती किए हैं जिसमें न के बराबर पानी लगता है इसमें थोड़ा बूंदाबूंदी भी हो जाए तो उसमें फसल लग जाती है। लेकिन तिल का फसल कटने के बाद फिर ऐसे ही सालभर ऐसे ही पड़ा रहता है। अगर यहां जलाशय या बोरिंग हो जाता तो और कोई साग सब्जी उपजा पाते हैं।

बाइट- ब्रह्मदेव यादव, किसान
बाइट- अशोक कुमार, किसान
बाइट- बिष्णु देव, किसान(वृद्ध)


वहीं, रोह प्रखंड के नाबार्ड के एपीओ संजीत कुमार का कहना है कि, यहां पर लोग बारिश पर निर्भर रहते थे धान-गेहूं का खेती करते थे लेकिन सूखे की वजह से नुकसान हो रहा था फिर हमलोगों ने आश्रम के सहयोग से आमसभा कर इस पर विचार किए और किसानों में जागरूकता फैलाएं। उन्हें प्रशिक्षित कराया इसके करने के तौर तरीके बताये। और मुफ्त में बीज उपलब्ध कराकर इसके लिए प्रेरित किए। इसी का परिणाम है कि आज यहां तिल का फैसला लहलहा रहा है।

संजीत कुमार, एपीओ, नाबार्ड रोह


क्या कहते है नाबार्ड पदाधिकारी

हमलोग ने जहां पानी कम लगे ऐसा जगह तलाश किया जिसमें कौआकोल और रोह थे। रोह के बेनीपुर गांव में हमने 30 एकड़ जमीन डेंटिफाई किए। और इसके लिए हमने एक प्रोजेक्ट बनाएं जिसके लिए ग्राम निर्माण मंडल को जिम्मेदारी दी और उन्हें फंडिंग किया। बीज मुहैया कराया, उन्हें प्रशिक्षण दिए। तब जाके यह तस्वीर निकलकर सामने आयी है।

डीडीएम, नाबार्ड, नवादा



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