नवादा: जिले के रोह प्रखंड स्थित बेनीपुर गांव में सूखे की मार झेल रहे किसानों के लिए तिल की लहलहाती फसल काफी सुकून देने वाली है. यहां किसानों ने सामूहिक रूप से अपनी परंपरागत फसलों को छोड़कर तिल की खेती शुरू की है. खेती करीब 40 से 50 बिगहा में फैली हुई है. तिल की खेती करने वाले चार दर्जनों से ज्यादा किसान हैं.
तिल की खेती के चलाया गया जागरुकता कार्यक्रम
जिले के किसानों ने नाबार्ड के वित्तीय सहयोग और ग्राम निर्माण मंडल, सेखोदेवरा आश्रम के पदाधिकारियों की ओर से तिल की खेती करने के लिए चलाए गये जागरूकता कार्यक्रम की वजह से किसानों ने अपने खेतों में तील की खेती की शुरू की. बारिश नहीं होने पर भी लहलहाती तिल की फसल ने इन किसानों में आस जगा दिया है. अब किसान अपनी परंपरागत खेती धान-गेंहू से हटकर तिल की खेती पर जोर देने लगे हैं. पहले जो किसान बारिश नहीं होने के कारण अपनी जमीन को परती छोड़ देते थे. आज वही किसान करीब 40-50 बीघा जमीन पर तिल की खेती कर रहे हैं. तिल की लहलहाती खेती से किसानों के चेहरे पर खुशी है.
तिल की खेती से किसानों में खुशी
तिल की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि पहले सूखे की वजह से पूरी खेत परती रह जाती थी. लेकिन, अब नाबार्ड और ग्राम निर्माण मंडल के सहयोग से तिल का खेती कर रहे हैं. इसमें न के बराबर पानी की जरूरत होती है. अगर थोड़ी बूंदाबूंदी भी हो जाए तो फसल लग जाती है. हालांकि उन्होंने कहा कि तिल की फसल कटने के बाद सूखे की वजह से हमारी खेतों में साल भर कोई फसल नहीं होती है. किसानों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि अगर यहां जलाशय या बोरिंग की व्यवस्था हो जाती तो फसल के साथ कोई साग सब्जी भी उगा पाते.
किसानों को किया गया जागरुक
रोह प्रखंड के नाबार्ड के एपीओ संजीत कुमार ने तिल की खेती पर कहा कि पहले यहां के किसान बारिश पर निर्भर रहते थे. धान-गेहूं की पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन सूखे की वजह से नुकसान हो रहा था. फिर हमने ग्राम निर्माण मंडल और सेखोदेवरा आश्रम के सहयोग से आमसभा कर इस पर विचार किया और किसानों में जागरूकता फैलाई. उन्हें प्रशिक्षित किया और उन्हें तिल की खेती करने के तौर तरीके बताये. मुफ्त में बीज उपलब्ध करवाकर खेती के लिए प्रेरित किया. इसी का परिणाम है कि आज यहां तिल की फसल लहलहा रही है.
तिल की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण
नाबार्ड के पदाधिकारी ने कहा कि हमने सूखे की समस्या से परेशान होकर कम पानी में उपजने वाली फसल के बारे में सोचा. इस प्रोजेक्ट को करने के लिए जिले के कौआकोल और रोह क्षेत्र को चुना. जिसमें रोह के बेनीपुर गांव में हमने 30 एकड़ जमीन आइडेंटिफाई की और ग्राम निर्माण मंडल को जिम्मेदारी दी. इसके बाद उन्हें फंडिंग की, बीज मुहैया कराए, किसानों को प्रशिक्षण दिए.