नवादा: कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने और इसकी रोकथाम के लिए 22 मार्च से लॉकडाउन लागू किया गया. इसके बाद अन्य चुनौतियों को देखते हुए अनलॉक कर दिया गया. जब हालात और बिगड़ने लगे तो बिहार सरकार को एक बार फिर से तालाबंदी करनी पड़ी. अब सरकार ने राज्य में 6 सितंबर तक के लिए लॉकडाउन बढ़ा दिया है.
इसका असर मानव जीवन के साथ ही इकोनॉमी पर भी पड़ रहा है. सारे उद्योग धंधे ठप पड़े हैं और लोग बेरोजगारी से परेशान हैं. कई कंपनियां भी सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं. बात करें कंस्ट्रक्शन कंपनियों की तो उनकी हालत और भी दयनीय हो गई है.
कोरोना के डर से काम ठप
हालांकि, सरकार ने लॉकडाउन के तीसरे चरण में ही कंस्ट्रक्शन कार्यों पर शर्तों के साथ छूट दे दी थी लेकिन निर्माण कार्य अभी भी ठप पड़ा है. कोरोना की वजह से मजदूर काम पर लौट नहीं रहे हैं और प्रवासी मजदूर भी कोरोना के डर से कई महीनों तक घर से बाहर नही निकल रहे. हालांकि कमोबेश अब काम शुरू हो गया है. 4-5 हजार वर्कर्स की जगह 15 सौ लोगों को ही काम में लगाया गया हैं.
जिले की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी विभा इंफ्रास्ट्रक्चर का काम भी मंदा पड़ गया है. माइनिंग, सड़क निर्माण की गति आदि सब धीमी हो गई है. मुंशी धीरज कुमार कहते हैं कि पहले यहां हजारों लोग काम करते थे, लेकिन कोरोना की वजह से अभी इनकी गिनती सैकड़े में बदल गई है.
'लॉकडाउन ने तोड़ी कमर'
माइंस साइट पर काम कर रहे कारो मांझी कहते हैं कि काम बंद हो जाने से खाली हाथ घर बैठे थे. हाथ में पैसे नहीं थे. परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था. अब फिर काम पर लौटे हैं ताकि परिवार चल सके. वहीं, प्रवासी मजदूर विक्रम का कहना है काफी दिनों तक काम नहीं मिला. अब किसी तरह काम कर रहे हैं.
वहीं, ट्रक ड्राइवर शंभूनाथ मुखर्जी की भी कमोबेश यही स्थिति है. कहते हैं परिवार चलाना मुश्किल हो गया है और ट्रक की किश्त देने में भी असमर्थ हो गया हूं. हमपर चारों तरफ से विपदा आ पड़ी है. कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रबंधक विभा इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रॉजेक्ट हेड अशोक कुमार का कहना है कि लॉकडाउन के कारण कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में काफी नुकसान हुआ है. सारा काम रुक जाने की वजह से करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है. इस बार गरीबों ही नहीं बल्कि अमीरों की कमर टूट गई है.
'लाखों का नुकसान'
वहीं, आदर्श डेवलपर्स के प्रोजेक्ट मैनेजर का कहना है कि कोरोना की वजह से बिल्डर्स का काम काफी प्रभावित हुआ है. 6 महीने से यही हालात हैं. इसमें भी हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक प्रवासियों को रोजगार मिले और कई लोग ठेकेदार के साथ मिलकर काम भी कर रहे हैं. इसमें अब तक देखा जाए तो 70 लाख रुपए तक का नुकसान हुआ है.
बता दें कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को पूरा करने में लंबा समय लगता है. ऐसे में कोरोना जैसी महामारी से चल रहे प्रोजेक्ट अटक गए हैं. मटेरियल का मूवमेंट रुक जाने से वर्किंग कैपिटल साइकलिंग पर असर पड़ा है. यही, वजह है कि जिले में कई कंस्ट्रक्शन नुकसान झेल रही हैं. जहां काम शुरू भी हुआ है वहां रफ्तार काफी धीमी है. अब ये सरकार से रियायत की उम्मीद लगाए बैठी हैं.