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यहां खुले आसमान के नीचे पढ़ते हैं बच्चे, लेकिन पशुओं के लिए बनी है लाखों की बिल्डिंग

कई विभागों के आधा दर्जन भवन लाखों की लागत से बनकर सालों से तैयार है. लेकिन सरकारी काम शुरू नहीं होने की वजह से गांव वाले इसे पशुपालन के लिए उपयोग कर रहे हैं.

निर्मित भवन
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Published : Feb 11, 2019, 1:20 PM IST

नवादा: जिले में प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. कई विभागों के आधा दर्जन भवन लाखों की लागत से बनकर सालों से तैयार है. लेकिन सरकारी काम शुरू नहीं होने की वजह से गांव वाले इसे पशुपालन के लिए उपयोग कर रहे हैं, लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

मामला जिला मुख्यालय से दो किलोमीटर दूर स्थित मंगर बिगहा का है. यहां सरकार ने कई विभागों के लिए भवन और जमीन का आंवटन किया था. इस जमीन पर सालों पहले भवन बन कर तैयार भी हो गया. लेकिन आज तक इन भवनों में कोई भी विभाग शिफ्ट नहीं हो सका है.

निर्मित भवन बन गया है पशु घर
यहां एक अनाथालय, प्रेस क्लब और लाइब्रेरी सभागार सहित कई भवन बन कर तैयार है. लेकिन इस क्षेत्र के बच्चे भवन के अभाव में खुले आसमान में पढ़ने को मजबूर हैं. यह सभी नवनिर्मित भवन पशुओं के घर में तब्दील हो गया है. इसके दीवार तो सिर्फ उपलों से भरे नजर आ रहे हैं.

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ग्रामीण ,अधिकारी और संवाददाता
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सालों से उद्घाटन की बाट जोह रहा है भवन
ग्रामीणों का कहना है कि इससे अच्छा सरकार इन भवनों में स्कूल ही शिफ्ट कर देता तो बच्चों की पढ़ाई होती. भवन बन कर तो कब से तैयार है इसका उद्घाटन भी अभी तक नहीं हो सका है. उससे पहले ही भवन का गेट, खिड़की, पंखा, बल्ब सब बर्बाद हो गया. इन भवनों का हाल ऐसा है कि लोग इसका इस्तेमाल शौच के लिए कर रहे हैं. वहीं, एसडीओ अन्नू कुमार ने इसको लेकर कहा इसे अविलंब वरीय अधिकारी से बात कर संबंधित विभाग को सुपूर्द कर दिया जाएगा.

नवादा: जिले में प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. कई विभागों के आधा दर्जन भवन लाखों की लागत से बनकर सालों से तैयार है. लेकिन सरकारी काम शुरू नहीं होने की वजह से गांव वाले इसे पशुपालन के लिए उपयोग कर रहे हैं, लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

मामला जिला मुख्यालय से दो किलोमीटर दूर स्थित मंगर बिगहा का है. यहां सरकार ने कई विभागों के लिए भवन और जमीन का आंवटन किया था. इस जमीन पर सालों पहले भवन बन कर तैयार भी हो गया. लेकिन आज तक इन भवनों में कोई भी विभाग शिफ्ट नहीं हो सका है.

निर्मित भवन बन गया है पशु घर
यहां एक अनाथालय, प्रेस क्लब और लाइब्रेरी सभागार सहित कई भवन बन कर तैयार है. लेकिन इस क्षेत्र के बच्चे भवन के अभाव में खुले आसमान में पढ़ने को मजबूर हैं. यह सभी नवनिर्मित भवन पशुओं के घर में तब्दील हो गया है. इसके दीवार तो सिर्फ उपलों से भरे नजर आ रहे हैं.

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सालों से उद्घाटन की बाट जोह रहा है भवन
ग्रामीणों का कहना है कि इससे अच्छा सरकार इन भवनों में स्कूल ही शिफ्ट कर देता तो बच्चों की पढ़ाई होती. भवन बन कर तो कब से तैयार है इसका उद्घाटन भी अभी तक नहीं हो सका है. उससे पहले ही भवन का गेट, खिड़की, पंखा, बल्ब सब बर्बाद हो गया. इन भवनों का हाल ऐसा है कि लोग इसका इस्तेमाल शौच के लिए कर रहे हैं. वहीं, एसडीओ अन्नू कुमार ने इसको लेकर कहा इसे अविलंब वरीय अधिकारी से बात कर संबंधित विभाग को सुपूर्द कर दिया जाएगा.

Intro:नवादा। जहां एक ओर जिले के कई बच्चे विद्यालय भवन के अभाव में खुले आसमान में पढ़ने को मजबूर हैं वहीं, जिला मुख्यालय से महज 2 किमी की दूरी पर बनी आधी दर्जनों से अधिक सरकारी भवन बर्बाद हो रहे हैं। जिले की मंगर बिगहा की यह तस्वीर जिला प्रशासन की लापरवाही को उजागर करने के लिए काफी है।


Body:यहां पर अनाथ बच्चों के लिए करीब 10 वर्ष पहले एक अनाथालय का निर्माण कराया गया ताकि उन्हें प्रकार की दिक्कतें न हो लेकिन शायद बनानेवालों को यह पता नहीं था कि जिस बिल्डिंग को वह बनाने जा रहे हैं वह एक दिन खुद अनाथ हो जाएगा। जी हां, यही हाल है यहां के अनाथालय सहित तमाम सरकारी भवनों की। जरा गैर से देखिए उक्त तस्वीरों को कैसे अनाथालय गाय के तबेले और गोबर की चिपड़ी रखने के लिए सुरक्षित स्थान बन गया है। वहीं, प्रेस क्लब और लाइब्रेरी सभागार भवन सभी बनकर तैयार है लेकिन अभी तक संबंधित विभाग को सुपूर्द नहीं किया गया है। जिला प्रशासन की ओर से अभी तक हैंडओवर नहीं किए जाने के कारण। नए भवन भी जुआरी और शराबियों का अड्डा बन गया है। असामाजिक तत्त्वों की भेंट चढ़ती जा रही है। प्रेस क्लब और सभागार भवन के मेन गेट में ताला तो लगा हुआ पर उसके अंदर के गेट को तोड़ दिए गए हैं। लाइब्रेरी में भी ताला जड़ा हुआ है खाली देख लोग वहां शौच का स्थान बना दिया है।

गांव के ही मुसाफिर यादव का कहना है कि, यह अनाथालय का 10 साल बने हुए हो गए हैं अभी तक कुछ नहीं हुआ है। अभी तक उद्धघाटन भी नहीं हुआ है। कुछ काम नहीं होगा तो लोग क्या करेंगें। अपना मालजाल गोबर-चिपड़ी करते हैं। हम अनपढ़ है हमारे कहने से कौन सुनेगा। वहीं, गायत्री देवी का कहना है कि, इससे अच्छा स्कूल बना देता तो बच्चा सबको ज्ञान भी होता। चार-चार मकान बना के क्या फायदा जब कोई राहत ही नहीं है। जाकर देखिए किसी गेट, खिड़की पंखा, बल्ब बचा है।

वहीं, जब इस बाबत नवादा सदर के एसडीओ अन्नू कुमार से सवाल पूछा गया तो उन्होंने, इसे अविलंब वरीय अधिकारी से बात कर संबंधित विभाग को सुपुर्द करवाने की बात कही है।



Conclusion:लेकिन, एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर इतने दिनों से जिला प्रशासन ने सम्बन्धित विभाग को मकान हैंडओवर क्यों नहीं किए? क्या अड़चनें है? आखिर क्यों गरीबों के टैक्स के पैसे से बने सरकारी भवन बदहाली की भेंट चढ़ जाती है?
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