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Nawada News: लोहसिंघानी गांव में निकली काले पत्थर की मूर्ति, ग्रामीणों ने की पूजा - Nawada

नवादा (Nawada) जिले के लोहसिंघानी गांव स्थित एक गढ़ से भगवान नटराज की काले रंग की मूर्ति पाई गई है. ग्रामीण एक भव्य मंदिर का निर्माण कर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराने की बात कह रहे हैं.

मूर्ति
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Published : Jun 21, 2021, 9:46 PM IST

नवादा: बिहार के नवादा (Nawada) जिले में भगवान नटराज की काले रंग की एक बेशकीमती पत्थर की मूर्ति पाई गई है. मूर्ति के नीचले भाग पर कैथी भाषा (Kaithi Language) में उस देवता का नाम लिखा हुआ है. हालांकि मूर्ति पर लिखे भाषा को लोग स्पष्ट पढ़ नहीं पा रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि मूर्ति भगवान शंकर की है.

इसे भी पढ़ें: Bettiah News : मंदिर में टूटी मिली मूर्ति, लोगों ने सड़क जाम कर किया हंगामा

डेढ़ फीट ऊंची मूर्ति
बता दें कि यह अमूल्य मूर्ति कौआकोल प्रखंड के मंझिला पंचायत के लोहसिंघानी गांव (Lohsinghani Village) स्थित गढ़ से निकली है. मूर्ति करीब डेढ़ फीट ऊंची और इसका बजन लगभग 20 किलो है.

ग्रामीण राजेन्द्र यादव और आनंदी यादव आदि ने बताया कि लगातार एक सप्ताह से हो रही बारिश के कारण गढ़ की मिट्टी के बहने के बाद एक ग्रामीण की नजर मिट्टी में दबी मूर्ति पर पड़ी. मूर्ति का कुछ ही भाग पर से दिखाई पड़ रहा था. जिसे खरोचने के बाद स्पष्ट रूप से मूर्ति का पता चला.

ये भी पढ़ें: मधुबनीः मिट्टी खोदने के दौरान मिली सात सौ साल पुरानी ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित देवी-देवताओं की मूर्ति

ग्रामीणों ने की पूजा
ग्रामीणों ने मूर्ति को निकालकर एक चबूतरे पर रखा. इसके साथ ही ग्रामीणों ने विधि-विधान के साथ मूर्ति की पूजा-अर्चना की. मूर्ति निकलने की खबर क्षेत्र में आग की तरह फैल गई. मूर्ति देखने वालों की भीड़ इकट्ठा होने लगी. ग्रामीणों के अनुसार एक भव्य मंदिर का निर्माण कर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी.

भगवान विष्णु की मिली थी प्रतिमा
बता दें कि बिहार के मधुबनी जिले में 20 मार्च को भी मधवापुर प्रखंड के बैरवा गांव में मिट्टी काटने के दौरान भगवान विष्णु की प्रतिमा मिली थी. प्रतिमा मिलने की खबर सुनते ही लोगों की भीड़ जुटने लगी थी. जिसके बाद ग्रामीणों के सहयोग से ब्रह्म बाबा स्थान पर मूर्ति को रखा गया. मूर्ति के दर्शन और पूजा के लिए लोगों का तांता लग गया था.

दो टुकड़ों में मिली थी मूर्ति
वहीं, 27 मार्च को भी कुमरखत में मिट्टी खोदने के दौरान करीब सात सौ साल पुरानी ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित देवी-देवताओं की मूर्ति मिली थी. मूर्ती अलग-अलग दो टुकड़े में थी. मूर्ती करीब साढ़े तीन फीट की थी, जो ग्रेनाइट पत्थर से बनी थी. मूर्ति के दो भाग थे, जिसमें बाये भाग में मां लक्ष्मी और दाये भाग मां सरस्वती जी थीं. वहीं दूसरी मूर्ती करीब दो फीट की थी, जो भगवान शिव और गणेश की थी.

नवादा: बिहार के नवादा (Nawada) जिले में भगवान नटराज की काले रंग की एक बेशकीमती पत्थर की मूर्ति पाई गई है. मूर्ति के नीचले भाग पर कैथी भाषा (Kaithi Language) में उस देवता का नाम लिखा हुआ है. हालांकि मूर्ति पर लिखे भाषा को लोग स्पष्ट पढ़ नहीं पा रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि मूर्ति भगवान शंकर की है.

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डेढ़ फीट ऊंची मूर्ति
बता दें कि यह अमूल्य मूर्ति कौआकोल प्रखंड के मंझिला पंचायत के लोहसिंघानी गांव (Lohsinghani Village) स्थित गढ़ से निकली है. मूर्ति करीब डेढ़ फीट ऊंची और इसका बजन लगभग 20 किलो है.

ग्रामीण राजेन्द्र यादव और आनंदी यादव आदि ने बताया कि लगातार एक सप्ताह से हो रही बारिश के कारण गढ़ की मिट्टी के बहने के बाद एक ग्रामीण की नजर मिट्टी में दबी मूर्ति पर पड़ी. मूर्ति का कुछ ही भाग पर से दिखाई पड़ रहा था. जिसे खरोचने के बाद स्पष्ट रूप से मूर्ति का पता चला.

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ग्रामीणों ने की पूजा
ग्रामीणों ने मूर्ति को निकालकर एक चबूतरे पर रखा. इसके साथ ही ग्रामीणों ने विधि-विधान के साथ मूर्ति की पूजा-अर्चना की. मूर्ति निकलने की खबर क्षेत्र में आग की तरह फैल गई. मूर्ति देखने वालों की भीड़ इकट्ठा होने लगी. ग्रामीणों के अनुसार एक भव्य मंदिर का निर्माण कर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी.

भगवान विष्णु की मिली थी प्रतिमा
बता दें कि बिहार के मधुबनी जिले में 20 मार्च को भी मधवापुर प्रखंड के बैरवा गांव में मिट्टी काटने के दौरान भगवान विष्णु की प्रतिमा मिली थी. प्रतिमा मिलने की खबर सुनते ही लोगों की भीड़ जुटने लगी थी. जिसके बाद ग्रामीणों के सहयोग से ब्रह्म बाबा स्थान पर मूर्ति को रखा गया. मूर्ति के दर्शन और पूजा के लिए लोगों का तांता लग गया था.

दो टुकड़ों में मिली थी मूर्ति
वहीं, 27 मार्च को भी कुमरखत में मिट्टी खोदने के दौरान करीब सात सौ साल पुरानी ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित देवी-देवताओं की मूर्ति मिली थी. मूर्ती अलग-अलग दो टुकड़े में थी. मूर्ती करीब साढ़े तीन फीट की थी, जो ग्रेनाइट पत्थर से बनी थी. मूर्ति के दो भाग थे, जिसमें बाये भाग में मां लक्ष्मी और दाये भाग मां सरस्वती जी थीं. वहीं दूसरी मूर्ती करीब दो फीट की थी, जो भगवान शिव और गणेश की थी.

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