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खेतों में काम करते दिखे असल किसान, बंद में जाने के सवाल पर कहा- काम न करेंगे तो खाएंगे क्या - भारत बंद

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ मंगलवार को किसान संगठनों ने भारत बंद बुलाया था. महागठबंधन ने इसका समर्थन किया था. जिनके नाम पर बंद बुलाया गया था वे किसान खेतों में काम करते दिखे.

Nawada farmer
खेत में काम करते किसान
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Published : Dec 8, 2020, 9:06 PM IST

नवादा: किसानों ने मंगलवार को भारत बंद बुलाया था, लेकिन असल किसान खेतों में काम करता रहा. दूसरी ओर सियासतदां सड़कों पर राजनीतिक रोटी सेंकते रहे. जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने बंद में जाने की जगह अपने खेतों में काम कर रहे किसानों से बात की तो जवाब मिला. काम बंद कर देंगे तो खाएंगे क्या?

भारत बंद में जाने से पेट थोड़े न भरेगा
किसान कुंदन अपनी पत्नी और बच्चे के साथ खेती के काम में जुटे दिखे. किसान ठकुरी यादव खेत में हल जोतने में व्यस्त दिखे. उन्हें धान के फसल के बाद अब गेंहू की फसल की चिंता सताए जा रही है. वह सड़क पर जाने की जगह अपने खेत में पसीना बहा रहे हैं. उनका कहना है काम नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या? भारत बंद में जाने से हमारा पेट थोड़े न भरेगा.

देखें रिपोर्ट

गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो सप्ताह से किसान आंदोलन कर रहे हैं. राजनीतिक दल भी इनका समर्थन कर रहे हैं. किसान आंदोलन को लेकर मंगलवार को भारत बंद था. सवाल यह है कि जब बिहार के किसान खेतों में हैं तो सड़कों पर कौन है? स्पष्ट है बिहार के किसान अपनी मेहनत और परिश्रम पर विश्वास रखते न की सरकार की खैरात पर.

नवादा: किसानों ने मंगलवार को भारत बंद बुलाया था, लेकिन असल किसान खेतों में काम करता रहा. दूसरी ओर सियासतदां सड़कों पर राजनीतिक रोटी सेंकते रहे. जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने बंद में जाने की जगह अपने खेतों में काम कर रहे किसानों से बात की तो जवाब मिला. काम बंद कर देंगे तो खाएंगे क्या?

भारत बंद में जाने से पेट थोड़े न भरेगा
किसान कुंदन अपनी पत्नी और बच्चे के साथ खेती के काम में जुटे दिखे. किसान ठकुरी यादव खेत में हल जोतने में व्यस्त दिखे. उन्हें धान के फसल के बाद अब गेंहू की फसल की चिंता सताए जा रही है. वह सड़क पर जाने की जगह अपने खेत में पसीना बहा रहे हैं. उनका कहना है काम नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या? भारत बंद में जाने से हमारा पेट थोड़े न भरेगा.

देखें रिपोर्ट

गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो सप्ताह से किसान आंदोलन कर रहे हैं. राजनीतिक दल भी इनका समर्थन कर रहे हैं. किसान आंदोलन को लेकर मंगलवार को भारत बंद था. सवाल यह है कि जब बिहार के किसान खेतों में हैं तो सड़कों पर कौन है? स्पष्ट है बिहार के किसान अपनी मेहनत और परिश्रम पर विश्वास रखते न की सरकार की खैरात पर.

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