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नालंदा के परिसदन में मंत्री मस्त और सुरक्षाकर्मी पस्त - etv bharat

बिहारशरीफ में बनाए गए परिसदन में सुरक्षाबलों के साथ दो तरह की रणनीति अपनाई जा रही है. एक तरफ जहां मंत्रियों और विधायकों को वहां हर तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं. वहीं दूसरी तरफ वहां रहने वाले सुरक्षाकर्मी खानाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

बिहारशरीफ
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Published : Jun 9, 2019, 9:33 PM IST

नालंदा: चुनाव के समय एनडीए ने राष्ट्रवाद और सेना की शहादत का अमलीजामा पहनाकर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार तो बना लिया. लेकिन उनके वादें सिर्फ भाषणों तक ही सिमट कर रह गए हैं या फिर यूं कहें कि उन भाषणों का असर पदाधिकारियों पर नहीं हुआ है. तभी तो राज्य की सुरक्षा में लगे जवानों की हालात बद से बदतर है.

सुरक्षाबलों के साथ होता है भेदभाव
बिहारशरीफ में बनाया गया परिसदन इसकी सच्चाई बयां करता है. करोड़ों रुपये की लागत से इस परिसदन का निर्माण कराया गया था. इसमें सुरक्षाकर्मियों के साथ-साथ मंत्रियों और अधिकारियों के भी रहने के इंतजाम किए गए हैं. लेकिन आज इस परिसदन में रहने वाले सुरक्षाबलों के साथ भेदभाव बरती जा रही है.

खानाबदोश जिंदगी जीने को मजबूर
इस परिसदन के अंदर ठहरने के लिए दर्जनों शानदार कमरों का निर्माण कराया गया है. लेकिन सुरक्षाकर्मियों की रहने की बात की जाय तो पूरे भवन को छोड़कर इनके रहने के लिए बरामदे में व्यवस्था की गई है. इस चिलचिलाती धूप में इन सुरक्षाकर्मियों को आपातकाल के लिए बिहारशरीफ परिसदन में रखा गया है, लेकिन इन्हें मंत्रियों, विधायकों और बड़े पदाधिकारियों की तरह रहने देने की तो बात दूर, इन्हें छोटी-छोटी सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई गई हैं.

प्रेम कुमार, कृषि मंत्री

पदाधिकारियों का चलता है रौब
बता दें कि इस परिसदन के आसपास कई ऐसे कमरे हैं जो पूरी तरह से खाली हैं. बावजूद इसके इन सुरक्षाकर्मियों को खानाबदोश की तरह एक बरामदे पर रहने को मजबूर कर दिया है. इस बारे में सुरक्षाकर्मी बताते हैं कि अगर इनकी जुबान खुलती है तो बड़े पदाधिकारियों के रौब का डंडा इनके ऊपर चलता है. यही कारण है कि यह सुरक्षाकर्मी अपना मुंह बंद कर रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं.

नालंदा: चुनाव के समय एनडीए ने राष्ट्रवाद और सेना की शहादत का अमलीजामा पहनाकर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार तो बना लिया. लेकिन उनके वादें सिर्फ भाषणों तक ही सिमट कर रह गए हैं या फिर यूं कहें कि उन भाषणों का असर पदाधिकारियों पर नहीं हुआ है. तभी तो राज्य की सुरक्षा में लगे जवानों की हालात बद से बदतर है.

सुरक्षाबलों के साथ होता है भेदभाव
बिहारशरीफ में बनाया गया परिसदन इसकी सच्चाई बयां करता है. करोड़ों रुपये की लागत से इस परिसदन का निर्माण कराया गया था. इसमें सुरक्षाकर्मियों के साथ-साथ मंत्रियों और अधिकारियों के भी रहने के इंतजाम किए गए हैं. लेकिन आज इस परिसदन में रहने वाले सुरक्षाबलों के साथ भेदभाव बरती जा रही है.

खानाबदोश जिंदगी जीने को मजबूर
इस परिसदन के अंदर ठहरने के लिए दर्जनों शानदार कमरों का निर्माण कराया गया है. लेकिन सुरक्षाकर्मियों की रहने की बात की जाय तो पूरे भवन को छोड़कर इनके रहने के लिए बरामदे में व्यवस्था की गई है. इस चिलचिलाती धूप में इन सुरक्षाकर्मियों को आपातकाल के लिए बिहारशरीफ परिसदन में रखा गया है, लेकिन इन्हें मंत्रियों, विधायकों और बड़े पदाधिकारियों की तरह रहने देने की तो बात दूर, इन्हें छोटी-छोटी सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई गई हैं.

प्रेम कुमार, कृषि मंत्री

पदाधिकारियों का चलता है रौब
बता दें कि इस परिसदन के आसपास कई ऐसे कमरे हैं जो पूरी तरह से खाली हैं. बावजूद इसके इन सुरक्षाकर्मियों को खानाबदोश की तरह एक बरामदे पर रहने को मजबूर कर दिया है. इस बारे में सुरक्षाकर्मी बताते हैं कि अगर इनकी जुबान खुलती है तो बड़े पदाधिकारियों के रौब का डंडा इनके ऊपर चलता है. यही कारण है कि यह सुरक्षाकर्मी अपना मुंह बंद कर रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं.

Intro:एंकर--पिछले दिनों चुनाव के पूर्व भारतीय जनता पार्टी के द्वारा एक शगुफा छेड़ा गया था कि मोदी है तो मुमकिन है ठीक उसी तरह राज्य की सुरक्षाकर्मी है तो हमलोग सुरक्षित है। जिस भारतीय जनता पार्टी ने इस बार लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद और सेना की शहादत का अमलीजामा पहनाकर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने का काम किया। अपने हर भाषणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भारत माता की जय और सेना की सहादत की जय जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर अपने भाषण की शुरुआत करते थे लेकिन इन भाषणों का असर सिर्फ भाषणों तक ही सिमट कर रह गया इन भाषणों का असर शायद अधिकारी पदाधिकारियों को ऊपर नहीं दिख रहा है तभी तो राज्य की सुरक्षा में लगे जवानों की हालात नालंदा जिला में कुछ ठीक दिखाई नही दे रही है।Body: किसी ने सच ही कहा है कि किसी राज्य व किसी देश का सुरक्षा का बागडोर सुरक्षाबलों के हाथों निर्भर करता है यही सुरक्षा बल जो रात दिन अपनी नींद को हराम कर ते हैं तब जाकर हम अपने अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं लेकिन जब यही सुरक्षाकर्मियों की दिनचर्या की बात की जाए तो इनका रात और दिन एक जैसा करता है ऐसा ही कुछ वाक्य बिहार शरीफ परिसदन का है जहां करोड़ों रुपए की लागत से इस परिसदन का निर्माण कराया गया है लेकिन आजकल इस परिसदन में भी सुरक्षाबलों के साथ 2 रन की नीति अपनाई जा रही है क्योंकि इस पर सदन के अंदर दर्जनों शानदार कमरों का निर्माण कराया गया है जिसमें ठहरने की व्यवस्था की गई है हालांकि इस परिषद में बड़े बड़े पदाधिकारियों विधायकों व मंत्रियों के ठहरने की उत्तम व्यवस्था की गई है लेकिन सुरक्षाकर्मियो की रहने की बात की जाय तो इनका पूरा आशियाना एक छोटे से बरामदे में सिमट कर रह गया है इस चिलचिलाती धूप में इन सुरक्षाकर्मियों को आपात काल के लिए बिहारशरीफ परिसदन में रखा गया है लेकिन इन्हें मंत्रियों विधायकों व बड़े पदाधिकारियों की तरह रहने देने की तो तो दूर की बात है इन्हें छोटे पार्टियों की तरह एक बरामदे में पड़े पर रहने को मजबूर कर दिया है जबकि इनके आसपास कई ऐसे कमरे हैं जो पूरी तरह से खाली है बावजूद इन सुरक्षाकर्मियों को खानाबदोश की तरह एक बरामदे पर रहने खाने व सोने को मजबूर कर दिया है वहीं सुरक्षा में लगे सुरक्षा कर्मी बताते हैं कि अगर इनकी जुबान खुलती है तो बड़े पदाधिकारियों का रोब का डंडा भी इनके ऊपर चलता है यही कारण है कि यह सुरक्षाकर्मी अपनी मुंह को बंद करने में ही अपनी भलाई समझते हैं।

बाइट--प्रेम कुमार कृषि मंत्री
बाइट--उमेश कुमार सिंह एसआई
बाइट--सुरक्षाकर्मी


राकेश संवाददाता नालंदाConclusion:जिले में जबकि पास में ही करोड़ों रुपए की लागत से पुलिस लाइन का भी निर्माण कराया गया है और बाबजूद जो दिन सुरक्षाकर्मियों को एक छोटे से बरामदे में रखवा दिया है हालांकि जब प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बिहार सरकार की कृषि मंत्री प्रेम कुमार से इस बारे में पूछा गया तो प्रेम कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि राज की सुरक्षा में लगे जवानों को भी अब रहने के लिए अलग से सुदृढ़ व्यवस्था की जाएगी।अब देखना यह है कि इस पर अमल कब तक होता है।
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