नवादा: जिले में लोक अदालत की तरफ लोगों का झुकाव बढ़ता ही जा रहा है. लोक अदालत एक ऐसा फोरम है. जहां सौहार्दपूर्ण तरीके से मामले का निपटारा किया जाता है. लोक अदालत में किसी भी प्रकार की कोर्ट शुल्क नहीं लगती. लोगों को कम खर्च में न्याय भी मिल जाता है.
इस अदालत में संपत्ति विवाद, बैंक लोन, बीमा, बिजली संबंधी विवाद, वैवाहिक विवाद और नागरिक मामले बिना पैसे खर्च किए निपटाए जाते हैं. यही वजह है कि लोग इस ओर आकर्षित हो रहे हैं. शनिवार को नवादा जिले में व्यवहार न्यायालय में भी लोक अदालत लगाई गई. जिसमें करीब 1418 लंबित मामलों का निस्तारण किया गया.
कोर्ट में पेंडिंग पड़े मामले खत्म करना है मकसद
किसी न किसी मामले में आम लोग कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते रहते थे. जिसमें उन्हें धन और समय की क्षति होती थी और मामले कई सालों तक उलझे ही रहते थे. जिससे कोर्ट पर दिनों-दिनों केस का बोझ बढ़ता ही जा रहा था. जिसे देखते हुए लोक अदालत लगाकर लोगों को वर्षों से पड़े लंबित मामले को निपटाए जाते हैं. लोक अदालत यह सुनिश्चित करता है कि देश का कोई भी नागरिक आर्थिक या कोई अन्य परिस्थितियों के कारण न्याय पाने से वंचित न रह जाए.
68 हजार का मामला 11 हजार में निपटा
सुशीला देवी ने बताया कि पति ने बैंक से लोन लिया था. अचानक उनकी मृत्यु हो गई. घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. पति की मौत के बाद परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था. इसी बीच बैंक ने 68 हजार रुपए के लोन की रकम चुकाने के लिए नोटिस भेज दिया. सुशीला देवी इतनी रकम कहां से चुका पाती लेकिन लोक अदालत में जाने के बाद 68 हजार रूपये का मामला 11 हजार में ही निपट गया. उन्होंने बताया कि 5 हजार रूपये जमा कर दिए हैं. बांकी के पैसे 30 दिन के अंदर चुकाने हैं.
'दोनों पक्षों की संधि से होता है फैसला'
जिला लोक विधि सेवा प्राधिकार के सचिव प्रवीण कुमार सिंह का कहना है लोक अदालत का काम सिर्फ मामलों को निपटाना ही नहीं बल्कि समाज में शांति कायम करना भी है. क्योंकि इसमें दोनों पक्षों की संधि के हिसाब से फैसला होता है.
11 बेंचों ने निपटाए मामले
नवादा जिला प्रभारी सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार का कहना है आज 11 बेंच लगाई गई हैं. जिसमें हर तरह के मामलों का निपटारा किया गया है. इसका उद्देश्य यह है कि न्यायालय में लंबित मामलों का निपटारा जल्द से जल्द किया जा सके. उन्होंने कहा कि इसमें ना किसी की हार होती है ना जीत, सभी आपस सुलह करके मामले को खत्म करते हैं. कहा कि अदालत में केस लड़ने से दुश्मनी बनी रहती है. लेकिन लोक अदालत में ऐसा नहीं होता है.