नालंदा: बिहार के अधिकांश क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश और वज्रपात (Death Due to Lighting In Bihar) से लोग डरे सहमे हुए हैं. नालंदा में भारी बारिश और वज्रपात से 3 लोगों की मौत हुई है. पहली घटना इस्लामपुर थाना क्षेत्र की है, जहां बुजुर्ग ग्रामीण अपने मवेशी को चराने के लिए खेत में गया हुआ था. इसी दौरान वज्रपात होने से घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गयी. वहीं दूसरी घटना खुदागंज थाना क्षेत्र की है. जहां एक किशोर भी घर से बाहर अपने मवेशी को लेकर चराने गया हुआ था, तभी वज्रपात ने उसकी जान ले ली. सूचना मिलने के बाद दोनों थानों की पुलिस मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. वहीं पूरे प्रदेश भर में ठनका ने अबतक 44 लोगों की जान ली है.
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वज्रपात से बुजुर्ग की मौत: बता दें कि मानसून की शुरुआत होते ही आसमानी आफत किसानों के लिए कहर बरपा रही है. ताजा मामला के अनुसार पहली घटना इस्लामपुर थाना क्षेत्र के जोलहबीघा गांव में मवेशी चरा रहे बुजुर्ग व्यक्ति के उपर ठनका गिरने से मौके पर ही मौत हो गई. मृतक बुजुर्ग की पहचान बाबू लाल यादव (60 वर्ष) के रूप में हुई. घटना की सूचना मिलने के बाद परिजनों में कोहराम मचा है.
खुदागंज में वज्रपात से किशोर की मौत: दूसरी घटना खुदागंज थाना क्षेत्र के सेरथुआ गांव की है. जहां अचानक आई बारिश के साथ वज्रपात से एक किशोर की मौत हो गई. मृतक की पहचान 12 वर्षीय शैलेश कुमार (पिता उमेश पासवान) के रूप में हुई है. इस हादसे के बाद किशोर के परिजनों ने बताया कि किशोर गांव के खेत में मवेशी चराने गया था. उसी समय वज्रपात की चपेट में आने से घटनास्थल पर ही मौत हो गई.
वेना में वज्रपात से युवक की मौत: वहीं, तीसरी घटना जिले के वेना थाना क्षेत्र में कोरनामा बाजार निवासी ब्रजेश कुमार(26) पिता (कामेश्वर प्रसाद यादव) की भी आकाशीय बिजली गिरने से मौत हो गई. इस हादसे की जानकारी साथ में मवेशी चरा रहे किसानों ने इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया. जहां डॉक्टरों ने जांचोपरांत मृत घोषित कर दिया. वहीं इन तीनों हादसों के बाद सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल बिहार शरीफ भेजकर आगे की कारवाई में जुटी है.
मौजूदा सीजन में अब तक 44 की मौत : डिप्टी सीएम और आपदा प्रबंधन मंत्री रेणु देवी (Minister Renu Devi) के दिए गए आंकड़े के अनुसार मौजूदा सीजन में व्रजपात से 29 जून तक 35 लोगों की मौत हो चुकी थी. 28-29 जून के आंकड़ों पर नजर डाले तो सिर्फ दो दिन के अंदर आकाशीय बिजली से 23 लोगों की मौत हुई थी. वहीं इससे पहले 12 लोगों की मौत हुई थी, अब बीते 1 जुलाई को वज्रपात से 6 और लोगों की मौत हो गई, जिससे मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 41 हो गया है.
बिजली गिरने पर क्या करेंः सिर के बाल खड़े हो जाएं या झुनझुनी होने लगे तो फौरन नीचे बैठकर कान बंद कर लें. यह इस बात का संकेत है कि आपके आस-पास बिजली गिरने वाली है. दोनों पैरों को आपस में सटा लें, दोनों हाथों को घुटनों पर रख कर अपने सिर को जमीन की तरफ जितना संभव हो झुका लें. सिर को जमीन से सटने न दें. जमीन पर कभी न लेटें. पेड़ बिजली को आकर्षित करते हैं, इसलिए पेड़ के नीचे खड़े न हों. समूह में न खड़े रहें, अलग-अलग हो जाएं. जहां हैं, वहीं रहें. हो सके तो पैरों के नीचे सूखी चीजें जैसे-लकड़ी, प्लास्टिक, बोरा या सूखे पत्ते रख लें. घर से बाहर हैं तो धातु से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल न करें. बाइक, बिजली के पोल या मशीन से दूर रहें. बिजली से चलने वाले उपकरणों से दूर रहें. खिड़कियों, दरवाजे, बरामदे और छत से दूर रहें.
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