नालंदा: एक ओर पूरा विश्व पर्यावरण संतुलन को लेकर चिंतित है तो वहीं मंगलवार को समर्थकों ने पर्यावरण संतुलन के बनाए रखने के लिए के किए जाने वाले प्रयासों की धज्जियां उड़ाई गयी. नालंदा में भारत बंद के दौरान टायर और पराली जला कर विरोध दर्ज कराया गया.
पराली जालाने का अपना तर्क
गौरतलब है कि सरकार और संगठन पर्यावरण को संतुलित करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसके बावजूद आज भारत बंद के दौरान समर्थकों ने आगजनी और पराली जलाए जाने को लेकर बंद समर्थकों का अपना ही तर्क था. अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला सचिव पाल बिहारी लाल ने कहा कि सरकार ने पराली जलाने पर किसानों को दंडित करने का अध्यादेश लाया गया है. इस आंदोलन के माध्यम से किसानों को दंडित करने का अध्यादेश को वापस लेने की भी मांग शामिल है.
पराली नहीं हटने से होता है फसलों को नुकसान
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलन का पूरा जिम्मा किसान को नहीं सौंपा जा सकता है. खेतों से पराली को सरकार को ले लेना चाहिए. उस पराली का जिस प्रकार उपयोग करना चाहे, सरकार कर सकती है. जिसका दाम भी किसान नहीं लेंगे, लेकिन पराली नहीं हटाए जाने की स्थिति में किसान को अगले फसल के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.