नालंदा (हरनौत): अयोध्या नगर स्थित नालंदा फार्मिंग का रूरल एग्रीकल्चर वर्क एक्सपीरियंस यानी रावे (RAVE) के छात्रों ने मुआयना किया. इस दौरान छात्रों को लाइव स्टॉक सेक्टर का विजिट कराया गया. इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के पशु वैज्ञानिक डॉ. संजीव रंजन ने छात्रों को विभिन्न नस्लों के गाय के बारे में जानकारी दी.
छात्रों को दी गई जानकारी
'ठंड के समय में अपने पशुओं को धूप में जरूर रखना चाहिए. सुखा जगह पर पशुओं को रखना चाहिए. ताकि नमी के कारण बैक्टीरिया या फंगस का ग्रो न हो. ठंड के दिनों में अपने पशुओं को मिनरल मिक्चर का भी मात्रा अधिक मात्रा में देना चाहिए. ताकि उसका शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता बना रहे. एक गाय को प्रतिदिन 40 से 50 ग्राम मिनरल मिक्सचर दी जाती है.'- डॉ. संजीव रंजन, पशु वैज्ञानिक
यह भी पढ़ें - विधि-विधान से अंतिम संस्कार, श्राद्ध में शामिल हुआ संत समाज, अब बिल्ली के नाम पर बनेगा ट्रस्ट
'ठंड के दिनों में उसे 50 से 60 ग्राम कर देना चाहिए. पानी भी सुबह शाम गुनगुना देना चाहिए. अगर संभव नहीं है तो ताजा पानी दें. पशुओं को जूट का बोरा से ढक कर रखना चाहिए, ताकि ठंड न लगे. वहीं, बीमार पशुओं को अलग रखना चाहिए ताकि बीमारी दूसरे पशुओं में न फैल सके और अगर संभव हो तो रूम हीटर लगा देना चाहिए.'- डॉ. संजीव रंजन, पशु वैज्ञानिक
इस दौरान नालन्दा फार्मिंग सचिव रवि कुमार ने फार्मिंग में लगाए गए काऊ डंग लॉग मशीन के बारे में भी सभी छात्रों को विस्तार पूर्वक बताया उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए गाय के गोबर से लकड़ी बनाया जाता है, जो जलावन के काम आता है.
खानपान में प्रोटीन की मात्रा
खानपान में प्रोटीन की मात्रा सबसे अधिक दलहन फसल में होता है. खासकर के पशुपालकों को चाहिए कि जो चारा में सबसे अधिक प्रोटीन है. उसे प्रयोग करना चाहिए. साथ ही जानवरों को ठीक ढंग से रखने के लिए थोड़ा सा दूरी बनाने की आवश्यकता है. अगर किसी का तबीयत भी खराब होता है या किसी पशु को कोई फंगल या बैक्ट्रीयल इन्फेक्शन है तो उसे बढ़ने की संभावना कम रहती है.
यह भी पढ़ें - ठंड से ठिठुरने लगे जानवर, डॉक्टरों ने कहा- इस वक्त ज्यादा केयर की है जरूरत
पशु को हरा चारा है जरूरी
पशु वैज्ञानिक के अनुसार, पशु पालकों को सूखा चारा के अलावा पशुओं को हरा चारा जरूरी है. हरा चारा का चुनाव बार-बार काटने वाला घास का इस्तेमाल करना चाहिए. बरसीम और नेपियर घास पशुओं के लिए बहुत ही उपयुक्त माना जाता है. एजोला भी पशुओं को देना चाहिए. कम जगह में और अच्छा प्रोटीन उत्पादन एजोला से मिलता है. एजोला प्रति पशु दो किलो देना उपयुक्त माना जाता है. इसके लिए मिट्टी वाला जगह को दो फिट गहरा गड्ढा कर लिया जाता है. उसमें पॉलिथीन बिछाकर पानी डाल दिया जाता है. फिर उसमें अजोला घास डाल दिया जाता है यह अजोला स्वस्थ पनपने वाला घास है जो पशुओं के लिए बहुत ही उपयुक्त है.