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शीतला पूजाः इस दिन नहीं जलता चूल्हा, मां को पंसद है बासी खाने का भोग

शीतला पूजा पर अष्टमी के दिन चूल्हा नहीं जलता है. इस दिन लोग बासी खाना खाते हैं. इसलिए इसे राजस्थान में बासेड़ा भी कहा जाता है.

लगा भक्तों का तांता
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Published : Mar 27, 2019, 1:03 PM IST

नालंदाः बिहार में आज मां शीतला की पूजा की जा रही है. शहर से महज 3 किलोमीटर दूर स्थित मधडा गांव जहां चैत माह की अष्टमी पर लोग मां शीतला की पूजा कर रहे हैं. इस दिन मां शीतला की पूजा करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग मंदिर पहुंच रहे हैं.

temple
मधडा गांव स्थित मां का मंदिर

शीतला पूजापर अष्टमी के दिन चूल्हा नहीं जलता है. इस दिन लोग बासी खाना खाते हैं. इसलिए इसे राजस्थान में बासेड़ा भी कहा जाता है. मधडा गांव में भी लोग इसी तरह यह पूजा करते हैं. शीतला पूजा के दिन यहां मेला भी लगता है.

sheetla pooja
सुर्योदय से पहले होती हैव पूजा

त्वचा संबधी रोग होते हैं दूर
गांव में एक पूराने कूएं के पास सुर्योदय से पहले उठ कर मां की पूजा की जाती है. इस दौरान मां को ठंडे हलवे, पूरी, गुलगुले इन चीजों से भोग लगाया जाता है. कहा जाता है मां शीतला को गर्म चीजे नहीं पंसद बासी खाने से ही उनका भोग लगता है. मान्यता है कि शीतला माता की पूजा करने से त्वचा संबधी रोग नहीं होते. चेचक और चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है.

मधडा गांव में शीतला पूजा

सुरक्षा के इंतजाम
शीतला पूजा को लेकर दूर-दूर से लोग मधडा गांव आते हैं. यहां आयोजित मेले में लोगों का उत्साह चरम पर है. वहीं मेले के लिए प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए हैं. यहां बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है, जिसमें महिला पुलिस भी शामिल हैं.

नालंदाः बिहार में आज मां शीतला की पूजा की जा रही है. शहर से महज 3 किलोमीटर दूर स्थित मधडा गांव जहां चैत माह की अष्टमी पर लोग मां शीतला की पूजा कर रहे हैं. इस दिन मां शीतला की पूजा करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग मंदिर पहुंच रहे हैं.

temple
मधडा गांव स्थित मां का मंदिर

शीतला पूजापर अष्टमी के दिन चूल्हा नहीं जलता है. इस दिन लोग बासी खाना खाते हैं. इसलिए इसे राजस्थान में बासेड़ा भी कहा जाता है. मधडा गांव में भी लोग इसी तरह यह पूजा करते हैं. शीतला पूजा के दिन यहां मेला भी लगता है.

sheetla pooja
सुर्योदय से पहले होती हैव पूजा

त्वचा संबधी रोग होते हैं दूर
गांव में एक पूराने कूएं के पास सुर्योदय से पहले उठ कर मां की पूजा की जाती है. इस दौरान मां को ठंडे हलवे, पूरी, गुलगुले इन चीजों से भोग लगाया जाता है. कहा जाता है मां शीतला को गर्म चीजे नहीं पंसद बासी खाने से ही उनका भोग लगता है. मान्यता है कि शीतला माता की पूजा करने से त्वचा संबधी रोग नहीं होते. चेचक और चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है.

मधडा गांव में शीतला पूजा

सुरक्षा के इंतजाम
शीतला पूजा को लेकर दूर-दूर से लोग मधडा गांव आते हैं. यहां आयोजित मेले में लोगों का उत्साह चरम पर है. वहीं मेले के लिए प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए हैं. यहां बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है, जिसमें महिला पुलिस भी शामिल हैं.

Intro:नालंदा। बिहारशरीफ शहर से महज 3 किलोमीटर दूर स्थित मधडा गांव जहां चैत माह के अष्ठमी को लोग बासी भोजन को प्रसाद के रूप के ग्रहण करते है। पूरे गांव में अष्टमी के दिन चूल्हा नही जलता है। यहां माँ शीतला के मंदिर में लोग पूजा अर्चना करते है, उसके बाद बासी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यहां पूजा करने के लिए लोग नालंदा ही नही अपितु बिहार के कोने कोने से लोग आते है। इसके कारण यहां शितलाष्टमी का मेला भी लगता है।


Body:मान्यता के अनुसार गांव के राजा वृक्षकेतु को माँ ने स्वप्न दिया था जिसमे पंचाने नदी के किनारे जमीन में दबे होने का स्वप्न था। और उन्हें निकाल कर स्थापित करने को कहा था। राजा ने जब उक्त जमीन की खुदाई कराई तो माता का मूर्ति मिली। जिसके बाद मंदिर बना कर प्रतिमा को स्थापित किया गया। जो कालांतर में शीतला मंदिर के नाम से विख्यात हुआ। जिस स्थल पर खुदाई की गई वो आज कुआं का रूप धारण किया जो कि आज मिट्टी कुआं के नाम से जाना जाता है। माँ शीतला की पूजा आग या गर्म चीजो से नही होता है, इसलिये शीतलाष्टमी के दिन घरो में चूल्हा नही जलता है और लोग सप्तमी के दिन अरवा चावल, चना का दाल, साग, पूरी, हलवा आदि बना लेते है और माँ को भोग लगाते है। यही पकवान बासी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है। यहाँ के तालाब में स्नान कर लोग माँ शीतला की पूजा करते है। इस तालाब के बारे में कहा जाता है कि जो लोग चेचक या चर्म रोग से ग्रसित होते है वे इस तालाब में स्नान करते है और उन रोगों से मुक्ति पाते है। सदियों से यह परंपरा चली आ रही है जो आज भी जारी है।


Conclusion:मेला को लेकर लोगो के मनोरंजन का साधन भी लगाया गया है। लोगो की होने वाली भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के भी व्यापक इंतेज़ाम किये गए है। बड़ी संख्या में महिला और पुरुष जवान लगाए गए है।
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