नालंदा: जिले में एक बार फिर पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है. जहां राजगीर के जू सफारी के पास सड़क हादसे में वृद्ध की मौत के बाद उसके शव को परिजनों को बिना बताए दफ्ना दिया गया. परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने शव को बिना पोस्टमार्टम के ही दफना दिया और साक्ष्य मिटाने की कोशिश की.
सड़क हादसे का शिकार
घटना के बारे में परिजनों ने बताया कि नवादा के हड़िया गांव निवासी नरेश सिंह कार्तिक पूर्णिमा को लेकर स्नान करने गए थे. राजगीर कुंड में स्नान करने जाने के दौरान नरेश प्रसाद सड़क हादसे का शिकार हो गए. हादसा इतना दर्दनाक था कि नरेश सिंह का शव क्षत-विक्षत हो गया. एक दिसम्बर को बिहार के सीएम नीतीश कुमार का भी जू सफारी का निरीक्षण के लिए राजगीर आना पूर्व से तय था. जिसको लेकर पुलिसकर्मियों ने शव को आनन-फानन में उसी इलाके के पास जंगलों में दफना दिया. ताकि मामला आगे नहीं बढ़े.
परिजनों को सौंपा गया शव
जब नरेश सिंह घर नहीं पहुंचे, तो परिजन परेशान होकर राजगीर थाना पहुंचे. जहां पहले तो पुलिसकर्मियों ने कोई भी घटना का जिक्र करने से इनकार कर दिया. लेकिन जब इधर-उधर से सड़क हादसे की जानकारी मिलने के बाद पुलिस पर दवाब पड़ा तो, जेसीबी के सहारे दफनाए गए शव को बाहर निकलवाकर परिजनों को सौंप दिया गया.
पुलिस पर गंभीर आरोप
परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब कोई भी लावारिस शव की पहचान नहीं होती है तो, उस शव को 72 घंटे तक रखा जाता है. फिर नरेश सिंह के शव को क्यों दफना दिया गया. वहीं राजगीर थाना पुलिस ने इस सारे आरोप पर से पल्ला झाड़ते हुए सफाईकर्मियों के द्वारा शव को दफनाने की बात कही है.