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नालंदा: नगर निगम कर्मियों की मिलीभगत से सरकारी खजाने का हो रहा था बंदरबांट, जांच शुरू - विभागीय स्तर पर राजस्व वसूली

बंदोबस्ती नहीं होने के वजह से नगर निगम ने विभागीय स्तर पर राजस्व वसूली कराने का निर्णय लिया. निगम के कर्मी प्रतिदिन 20 से 22 हजार तक की वसूली की रहे थे. लेकिन राशि का बंदरबांट करते हुए विभाग को महज 10 हजार रूपये मिल पा रहे हैं.

नालंदा
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Published : Jun 26, 2020, 7:48 PM IST

नालंदा: बिहार शरीफ नगर निगम क्षेत्र के अधीन रामचंद्रपुर बस स्टैंड में कर्मियों की मिलीभगत से सरकारी राशि के बंदरबांट का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के कारण बस स्टैंड, ऑटो स्टैंड की बंदोबस्ती इस साल नहीं हो सकी थी. जिसके बाद कर्मियों ने अवैध रूप से वसूली शुरू कर दी.

खास बात यह है कि राशि की वसूली के दौरान फर्जी रसीद भी जारी किया जाता था. लेकिन जितनी राशि वसूली जाती थी. उस राशि का आधा भी नगर निगम में जमा नहीं किया जाता था. मामला बाहर सामने आने पर निगम में हड़कंप मचा हुआ है.

प्रतिदिन 20 से 22 हजार की हो रही थी वसूली
बता दें कि कोरोना महामारी के कारण देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया था. बंदी के कारण नगर निगम की ओर से होने वाली बंदोबस्ती इस साल नहीं हो पाई. जिसके बाद अनलॉक वन में वाहनों का परिचालन शुरू हुआ. लेकिन बंदोबस्ती को लेकर कई ऐसे मामले सामने आए जिसके कारण संवेदक ने अपने कदम पीछे हटा लिए.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बंदोबस्ती नहीं होने के वजह से नगर निगम ने विभागीय स्तर पर राजस्व वसूली कराने का निर्णय लिया. इसके बाद निगम के कर्मी को राजस्व वसूली के लिए लगाया गया. मिल रही जानकारी के अनुसार प्रतिदिन 20 से 22 हजार तक की वसूली की जा रही है. लेकिन राशि का बंदरबांट करते हुए विभाग को महज 10 हजार रूपये मिल रहे हैं.

पिछले साल 67 लाख में हुई थी बंदोबस्ती
बताया जा रहा है कि पिछले वित्तीय वर्ष में रामचंद्रपुर बस पड़ाव का बंदोबस्त 67 लाख रुपये में किया गया था. इसी प्रकार कारगिल बस स्टैंड की बंदोबस्ती करीब 15 लाख में हुई थी. यहां से प्रतिदिन लगभग 4 हजार रूपये की आय नगर निगम को होती थी. लेकिन राजस्व के लिए लगे कर्मियों वर्तमान में मात्र 400 से 500 रूपये जमा करा रहे हैं.

फर्जी रसीद के सहारे राशि का बंदरबांट
निगम के कर्मी फर्जी रसीद या बिना रसीद के माध्यम से वाहनों से राशि वसूली कर रहे हैं. वहीं, इस बात की शिकायत मिलने पर नगर आयुक्त ने मामले की जांच की. जांच टीम ने मौके से अपने साथ कई रसीद को अपने साथ ले गए है. हालांकि, इस मामले में राजस्व कर्मचारी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है. वहीं, निगम ने इस मामले में जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है.

नालंदा: बिहार शरीफ नगर निगम क्षेत्र के अधीन रामचंद्रपुर बस स्टैंड में कर्मियों की मिलीभगत से सरकारी राशि के बंदरबांट का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के कारण बस स्टैंड, ऑटो स्टैंड की बंदोबस्ती इस साल नहीं हो सकी थी. जिसके बाद कर्मियों ने अवैध रूप से वसूली शुरू कर दी.

खास बात यह है कि राशि की वसूली के दौरान फर्जी रसीद भी जारी किया जाता था. लेकिन जितनी राशि वसूली जाती थी. उस राशि का आधा भी नगर निगम में जमा नहीं किया जाता था. मामला बाहर सामने आने पर निगम में हड़कंप मचा हुआ है.

प्रतिदिन 20 से 22 हजार की हो रही थी वसूली
बता दें कि कोरोना महामारी के कारण देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया था. बंदी के कारण नगर निगम की ओर से होने वाली बंदोबस्ती इस साल नहीं हो पाई. जिसके बाद अनलॉक वन में वाहनों का परिचालन शुरू हुआ. लेकिन बंदोबस्ती को लेकर कई ऐसे मामले सामने आए जिसके कारण संवेदक ने अपने कदम पीछे हटा लिए.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बंदोबस्ती नहीं होने के वजह से नगर निगम ने विभागीय स्तर पर राजस्व वसूली कराने का निर्णय लिया. इसके बाद निगम के कर्मी को राजस्व वसूली के लिए लगाया गया. मिल रही जानकारी के अनुसार प्रतिदिन 20 से 22 हजार तक की वसूली की जा रही है. लेकिन राशि का बंदरबांट करते हुए विभाग को महज 10 हजार रूपये मिल रहे हैं.

पिछले साल 67 लाख में हुई थी बंदोबस्ती
बताया जा रहा है कि पिछले वित्तीय वर्ष में रामचंद्रपुर बस पड़ाव का बंदोबस्त 67 लाख रुपये में किया गया था. इसी प्रकार कारगिल बस स्टैंड की बंदोबस्ती करीब 15 लाख में हुई थी. यहां से प्रतिदिन लगभग 4 हजार रूपये की आय नगर निगम को होती थी. लेकिन राजस्व के लिए लगे कर्मियों वर्तमान में मात्र 400 से 500 रूपये जमा करा रहे हैं.

फर्जी रसीद के सहारे राशि का बंदरबांट
निगम के कर्मी फर्जी रसीद या बिना रसीद के माध्यम से वाहनों से राशि वसूली कर रहे हैं. वहीं, इस बात की शिकायत मिलने पर नगर आयुक्त ने मामले की जांच की. जांच टीम ने मौके से अपने साथ कई रसीद को अपने साथ ले गए है. हालांकि, इस मामले में राजस्व कर्मचारी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है. वहीं, निगम ने इस मामले में जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है.

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