नालंदा: स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत जिले के तमाम डाटा इंट्री ऑपरेटर आंदोलन करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं. बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की ओर से संचालित आउटसोर्सिंग डेटा एंट्री ऑपरेटर संघर्ष समिति नालंदा के बैनर तले सभी कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं.
नई बहाली की प्रक्रिया का विरोध
जिले के सिविल सर्जन कार्यालय के सामने लगातार 9वें दिन हड़ताल जारी है. बिहार में स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्स के तहत डाटा एंट्री ऑपरेटर कई वर्षों से लगातार सरकारी कार्यों का संपादन कर रहे हैं. ऐसे में अचानक नई कंपनी को राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से अनुबंध दिया गया है. साथ ही उक्त कंपनी के द्वारा परीक्षा, मेरिट लिस्ट, रोस्टर आरक्षण और अन्य जिला में स्थानांतरण के नाम पर नई बहाली की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है. जिसका विरोध डाटा एंट्री ऑपरेटर कर रहे हैं.
डाटा एंट्री ऑपरेटर का किया जा रहा शोषण
धरना पर बैठे डेटा एंट्री ऑपरेटर का कहना है कि राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार ने उर्मिला इंटरनेशनल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड से अनुबंध किया है. अनुबंध के बाद कंपनी की ओर से डेटा एंट्री ऑपरेटर को परेशान और शोषण के नीयत से मेरिट लिस्ट, परीक्षा, रोस्टर आरक्षण और अन्य जिला में स्थानांतरण के नाम पर नई बहाली की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है.
कोरोना काल में भी निष्ठा से किया काम
उन्होंने कहा कि डेटा एंट्री ऑपरेटर कई वर्षों से लगातार सरकारी कार्यों का संपादन करते आ रहे हैं. नई व्यवस्था के बाद कई लोग बेरोजगार हो जाएंगे. जबकि कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी में भी सभी आउटसोर्सिंग डेटा एंट्री ऑपरेटर की ओर से अपनी जान पर खेलते हुए निष्ठा पूर्वक कार्य किया गया है.
शोषण का प्रतीक है आउटसोर्सिंग
उनका कहना है कि ठेका प्रथा के साथ कार्य करने वाले सभी कर्मियों के नौकरी की गारंटी नहीं होती है. साथ ही न्यूनतम वैधानिक मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया जाता है. आउटसोर्सिंग लूट-खसोट और शोषण का प्रतीक बन गया है. उन्होंने कहा कि पूर्व से कार्य कर रहे संविदा आउटसोर्स कर्मियों को सेवा स्थाई होने तक बिना शर्त समायोजन कर लिया जाए. ऐसा नहीं होने पर आंदोलन को जारी रखा जाएगा. इसकी पूरी जवाबदेही सरकार की होगी.