नालंदा: पिछले दो दशक से बिहार की राजनीति का सबसे चमकता सितारा सीएम नीतीश कुमार का जन्मदिन (Celebrations on Nitish Kumar birthday in Kalyan Bigha Nalanda) पूरे प्रदेश में विकास दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. वहीं सीएम के गांव कल्याण बिगहा में भी जश्न का माहौल है. सुशासन बाबू नीतीश कुमार एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इनके पिता स्व. कवि राज रामलखन सिंह वैध सह समाजसेवी और माता स्व. परमेश्वरी देवी गृहणी थीं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 5 भाई बहनों में सबसे छोटे हैं. नीतीश कुमार बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे.
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नीतीश कुमार के बारे में कहा जाता है कि वे बचपन में बहुत शरारती थे. वह बचपन में कबड्डी और गुल्ली डंडा खेलने के शौकीन थे. इस संबंध में नीतीश कुमार के मित्र सह दोस्त रामप्रवेश सिंह ने बताया कि, उनके अंदर शुरू से ही नेतृत्व करने का क्षमता थी. नीतीश कुमार अपने स्कूली दिनों में भी राजनीति करते थे. रामप्रवेश सिंह ने कहा कि अपनी कुशलता और दूरदर्शिता के कारण ही बिहार का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने प्रदेश का विकास किया, लेकिन गांव का विकास नहीं हो सका.
"नीतीश बचपन से ही नटखट थे. कोई भी खेल हो नीतीश ही नेतृत्व करते थे. जब नीतीश कुमार ने पढ़ाई पूरी कर ली तो उन्हें नौकरी मिल गई थी. पिता ने नौकरी करने के लिए काफी समझाया पर नीतीश नहीं माने. उन्होंने कहा कि मैं राजनीति करूंगा. सीएम बनने के बाद पूरा बिहार बदला लेकिन उस अनुपात में कल्याण बिगहा नहीं बदला. हमारे पास पहले से ही रोड था. लेकिन जहां रोड नहीं था वो अब स्वर्ग बन गया है. इस गांव को कुछ नहीं मिला. नीतीश कुमार ने गांव को विशेष कुछ नहीं दिया."- रामप्रवेश सिंह, सीएम नीतीश कुमार के मित्र
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मुख्यमंत्री के चाचा अम्बिका प्रसाद सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री के 71वें जन्मदिन के मौके पर हम उनके लंबी उम्र की कामना करने के साथ ही प्रार्थना करते हैं कि वो बुलंदियों पर पहुंचे. नीतीश तीन बहन और दो भाई हैं. पढ़ने में शुरू से ही काफी तेज थे. सीएम ने गांव के विकास के साथ यहां के वासियों को सारी सुविधाएं प्रदान की है. लेकिन यहां रोजगार के लिए उद्योग नहीं है.
"सीएम को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हैं. नेतृत्व करने की उनकी शुरू से ही आदत थी. सभी भाई बहनों में नीतीश कुमार सबसे नटखट थे. नीतीश ने गांव का विकास किया है. लेकिन जितना विकास हो उतना अच्छा है. रोजगार के संबंध में कोई उद्योग नहीं है. सीएम को इसपर ध्यान देना चाहिए."-अम्बिका प्रसाद सिंह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चाचा
नीतीश कुमार शुरू से लीक से हटकर चलने वाले रहे हैं. तमाम विरोधों के बावजूद अपने निर्णयों पर अडिग रहने वाले समाजवादी नेता नीतीश कुमार सबसे लंबे समय तक बिहार का मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बना चुके हैं. पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर, राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण का नीतीश कुमार पर खासा असर रहा. पढ़ाई पूरी करने के बाद बिजली विभाग में नौकरी ज्वाइन की. लेकिन कुछ समय बाद ही नौकरी छोड़ राजनीति में आ गए. जेपी मूवमेंट में सक्रिय रहे.
पटना यूनिवर्सिटी के दिनों में जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में हुए छात्र आंदोलन में नीतीश कुमार का नाम पहली बार उभरा. समाजवादी धारा के नीतीश कुमार 1977 में एंटी कांग्रेस आंदोलन के दौरान पहली बार जनता पार्टी की टिकट से हरनौत से चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए. 1985 में हरनौत से नीतीश कुमार ने जीत दर्ज की और पहली बार विधायक बने. साल 1987 में नीतीश कुमार बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बन गए. वहीं साल 1989 में उनको जनता दल की बिहार इकाई का महासचिव बना दिया गया.
साल 1989 नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर के लिए काफी अहम था. इस साल वे 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए. लोकसभा के लिए ये नीतीश का पहला कार्यकाल था. इसके बाद साल 1990 में नीतीश अप्रैल से नवंबर तक कृषि एवं सहकारी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे. नीतीश का राजनीतिक कद लगातार बढ़ता जा रहा था. साल 1991 में दसवीं लोकसभा का चुनाव हुए नीतीश एक बार फिर से संसद में पहुंचे. इसी साल नीतीश कुमार जनता दल के महासचिव बने और संसद में जनता दल के उपनेता भी बने. करीब दो साल बाद 1993 को नीतीश को कृषि समित का चेयरमैन बनाया गया. साल 1996 में नीतीश कुमार 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए. 1998-99 तक नीतीश कुमार केंद्रीय रेल मंत्री भी रहे. एक बार फिर चुनाव हुए साल 1999 में नीतीश कुमार 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए. इस बार केंद्रीय कृषि मंत्री भी रहे.
वहीं, साल 2000 नीतीश के राजनीतिक करियर का सबसे अहम मोड़ था, क्योंकि इसी साल 3 मार्च को नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. हालांकि पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के कारण नीतीश कुमार को 7 दिन में इस्तीफा देना पड़ा (Nitish Kumar Had to Resign in 7 Days) था. बाद में 24 नवंबर, 2005 में नीतीश दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. बतौर सीएम उनका ये कार्यकाल पूरे पांच साल यानी 24 नवंबर, 2005 से 24 नवंबर, 2010 तक चला. बिहार की जनता ने 2010 के चुनाव में भी नीतीश कुमार पर भरोसा किया और उन्होंने तीसरी बार 26 नवंबर 2010 को बिहार की बागडोर संभाली.
इसी बीच 2013 में बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के विरोध में उन्होंने खुद को एनडीए से अलग कर लिया और अकेले ही 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने की वजह से 17 मई 2014 को नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया. बाद में कुछ मुद्दों पर गलतफहमी के बाद जीतनराम मांझी को इस्तीफा देना पड़ा और 22 फरवरी 2015 को नीतीश कुमार ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वह 19 नवंबर 2015 तक अपने पद पर बने रहे.
2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए लालू यादव के साथ नीतीश कुमार का गठबंधन (Nitish Kumar Alliance With Lalu Yadav) हुआ, जोकि कामयाब रहा. महागठबंधन की सरकार बनी और 20 नवंबर 2015 को नीतीश ने पांचवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन उन्होंने बीच में ही (तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद) आरजेडी का साथ छोड़ दिया और 26 जुलाई 2017 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. आरजेडी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी के साथ आ गए. इसके बाद उन्होंने 27 जुलाई 2017 को छठी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और कार्यकाल पूरा किया. 2020 के चुनाव में एनडीए को बहुमत मिली और 16 नवम्बर, 2020 को नीतीश कुमार ने 7वीं बार सीएम पद की शपथ ली.
हालांकि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू का प्रदर्शन पहले जैसा नहीं रहा और उसे 71 सीटों के मुकाबले मात्र 43 सीटें मिलीं. मंडल की राजनीति से नेता बनकर उभरे नीतीश कुमार को बिहार को अच्छा शासन मुहैया कराने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन उनके विरोधी उन पर अवसरवादी होने का आरोप लगाते रहे हैं.
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