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नालंदा: जर्जर हो चुका पशुपालन विभाग का भवन, नहीं हो रहा जानवरों का इलाज

सरकारी व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त नहीं रहने के कारण कर्मियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यहां लाए गए जानवरों का समुचित इलाज भी नहीं हो पाता.

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Published : Apr 19, 2019, 2:01 PM IST

पशुपालन विभाग

नालंदाः बिहार शरीफ के एक मात्र पशुपालन विभाग की हालात दयनीय है. बड़े भू-भाग में फैले इस विभाग का भवन जर्जर हो चुका है. यहां इलाज के लिए आने वाले जानवरों का इलाज भी अब सही ढंग से नहीं होता. पानी की किल्लत होने के कारण कर्मियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

दरअसल, बिहारशरीफ का पशुपालन विभाग खुद इलाज के लिए तरस रहा है. मरम्मत के अभाव में विभाग का भवन जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है. हालांकि यहां जानवरों के इलाज के लिए डॉक्टर और कर्मी मौजूद हैं. जिन्हें इस बात का डर बना रहता है कि जर्जर भवन के कारण कोई बड़ा हादसा ना हो जाए. यहां रोजाना दर्जनों जानवरों का इलाज होता है. दूर दराज से लोग यहां अपने गाय, भैंस, बकरी, खरगोश, कुत्ता और कई अन्य जानवरों को लेकर इलाज के लिए आते हैं. जिनका समुचित इलाज नहीं हो पाता.

बदहाल पशुपालन विभाग और बयान देते डॉक्टर

खरीद कर पीना पड़ता है पानी
सरकारी व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त नहीं रहने के कारण यहां के कर्मियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पानी की किल्लत होने के कारण इस भीषण गर्मी में कर्मचारियों को पीने का पानी खरीदना पड़ता है. दूर-दराज से आने वाले मवेशी पालकों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है. पानी के अभाव में लोग इधर-उधर भटकते नजर आते हैं.

पोल्ट्री फार्म भी हुआ ध्वस्त
यहां एक पोल्ट्री फार्म भी था, जो अब पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है. सरकार द्वारा यहां मुर्गियों के पालन की व्यवस्था तो की गई थी. लेकिन सही देख-रेख नहीं होने के कारण फार्म खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है. जरूरत है सरकार इस विभाग की ओर ध्यान दे ताकि लोग मवेशियों का इलाज सही ढंग से करा सकें.

नालंदाः बिहार शरीफ के एक मात्र पशुपालन विभाग की हालात दयनीय है. बड़े भू-भाग में फैले इस विभाग का भवन जर्जर हो चुका है. यहां इलाज के लिए आने वाले जानवरों का इलाज भी अब सही ढंग से नहीं होता. पानी की किल्लत होने के कारण कर्मियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

दरअसल, बिहारशरीफ का पशुपालन विभाग खुद इलाज के लिए तरस रहा है. मरम्मत के अभाव में विभाग का भवन जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है. हालांकि यहां जानवरों के इलाज के लिए डॉक्टर और कर्मी मौजूद हैं. जिन्हें इस बात का डर बना रहता है कि जर्जर भवन के कारण कोई बड़ा हादसा ना हो जाए. यहां रोजाना दर्जनों जानवरों का इलाज होता है. दूर दराज से लोग यहां अपने गाय, भैंस, बकरी, खरगोश, कुत्ता और कई अन्य जानवरों को लेकर इलाज के लिए आते हैं. जिनका समुचित इलाज नहीं हो पाता.

बदहाल पशुपालन विभाग और बयान देते डॉक्टर

खरीद कर पीना पड़ता है पानी
सरकारी व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त नहीं रहने के कारण यहां के कर्मियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पानी की किल्लत होने के कारण इस भीषण गर्मी में कर्मचारियों को पीने का पानी खरीदना पड़ता है. दूर-दराज से आने वाले मवेशी पालकों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है. पानी के अभाव में लोग इधर-उधर भटकते नजर आते हैं.

पोल्ट्री फार्म भी हुआ ध्वस्त
यहां एक पोल्ट्री फार्म भी था, जो अब पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है. सरकार द्वारा यहां मुर्गियों के पालन की व्यवस्था तो की गई थी. लेकिन सही देख-रेख नहीं होने के कारण फार्म खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है. जरूरत है सरकार इस विभाग की ओर ध्यान दे ताकि लोग मवेशियों का इलाज सही ढंग से करा सकें.

Intro:नालंदा। बिहारशरीफ का एक मात्र पशुपालन विभाग को हालात दयनीय हो चुकी है। एक बड़े भूभाग में फैले इस विभाग का भवन जर्जर हो चुका है। यहाँ पानी की किल्लत होने के कारण कर्मियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इतना ही नही इलाज़ करने के लिए लाने वाले जानवर को भी काफी समस्या उठानी पड़ती है। यहां मौजूद मुर्गी फॉर्म भी पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।


Body:बिहारशरीफ पशुपालन विभाग खुद इलाज के लिए तरस रहा है। यहां सरकार द्वारा भवन तो बनाया गया था लेकिन आज यह भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है। मरम्मत के अभाव में जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुच चुका है। यहां मौजूद डॉक्टरों एवं कर्मियों को जानवरों के इलाज के लिए मौजूद रहना पड़ता है ।नतीजतन जर्जर भवन कभी भी बड़ी हादसा होने की संभावनाएं बनी रहती है । यहां प्रतिदिन दर्ज़नो जानवरों का इलाज होता है । दूर दराज से लोग अपने गाय भैंस बकरी खरगोश, कुत्ता सहित अन्य जानवरों को इलाज के लिए लाते है। इनका यहां समुचित इलाज होता है लेकिन सरकारी व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त नहीं रहने के कारण यहां के कर्मियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पानी की किल्लत होने के कारण इस भीषण गर्मी में कर्मचारियों को पीने का पानी खरीदना पड़ता है । दूरदराज से आने वाले मवेशी पालको को भी परेशानी झेलनी पड़ती है । पानी के अभाव में लोग इधर-उधर भटकते नजर आते हैं । यहां मौजूद मुर्गी फार्म पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। कह सकते हैं कि सरकार द्वारा व्यवस्था तो की गई थी लेकिन आज व्यवस्था पूरी तरह खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका। जरूरत है सरकार की ओर से ध्यान देने की ताकि लोग मवेशियों का इलाज अच्छे ढंग से कर सके और करा सके


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