गया: बिहार के बोधगया में अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक पूजा चल रही है. 2 दिसंबर से शुरू हुए त्रिपिटक पूजा में करीब 13 देशों के बौद्ध धर्मावलंबी जुटे हैं. अंतर्राष्ट्रीय धरोहर महाबोधि मंदिर का परिसर बुद्धं शरणम गच्छामि से गुंजायमान हो रहा है.
बोधगया में त्रिपिटक सुत्त पाठ शुरू: त्रिपिटक पूजा का उद्देश्य विश्व शांति और कल्याण का संदेश देना है. त्रिपिटक पूजा में विश्व शांति और कल्याण के लिए भगवान बुद्ध के उपदेशों का पाठ किया जाता है. त्रिपिटक पूजा का जुड़ाव वर्षावास से भी है.
क्या होता है त्रिपिटक पूजा: कहा जाता है, कि 3 महीने का वर्षावास जब समाप्त होता है, तो त्रिपिटक पूजा शुरू होती है. वर्षावास में बौद्ध भिक्षु 3 महीने तक एक स्थान पर रहकर भगवान बुद्ध का ध्यान करते हैं. स्थिर साधना यानी कि वर्षावास काल के समाप्ति के बाद त्रिपिटक पूजा का प्रारंभ होता है.
12 दिसंबर तक चलेगा त्रिपिटक पूजा: अंतर्राष्ट्रीय त्रिपिटक पूजा 12 दिसंबर तक चलेगा. यह 19वां अंतर्राष्ट्रीय त्रिपिटक पूजा है. त्रिपिटक पूजा में भगवान बुद्ध के उपदेशों के माध्यम से सत्य, अहिंसा व करुणा का संदेश दिया जाता है. त्रिपिटक पूजा में त्रिपिटक सुत्त के मंत्रों से महाबोधि मंदिर का परिसर गुंजायमान है. महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित बोधि वृक्ष के नीचे 19 वां अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक पूजा किया जा रहा.
13 देशों के बौद्ध धर्मगुरु पहुंचे: अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक पूजा में इस बार 13 देशों के बौद्ध धर्मगुरु पहुंचे हैं. त्रिपिटक पूजा में थाइलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया, वियतनाम, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश, ताइवान, कंबोडिया, लाओस, श्रीलंका आदि देशों के बौद्ध धर्मगुरु शामिल हुए हैं.
अमेरिकी राजदूत समारोह के थे मुख्य अतिथि: गौरतलब हो, कि 19 वें अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक सूत पाठ समारोह के उद्घाटन शुभारंभ के दिन यानी दो दिसंबर को बोधगया में भव्य शोभा यात्रा निकाली गई थी, जिसमें 37 देशों के हजारों बौद्ध भिक्षु और श्रद्धालु शामिल हुए थे. त्रिपिटक पूजा महाबोधि मंदिर परिसर में इन दिनों रोजाना हो रही है और यह अगले 12 दिसंबर तक चलेगा. गौरतलब हो, कि अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी इस त्रिपिटक पूजा के शुभारंभ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे.
इस दिन भिक्षु करेंगे जेठियन से पदयात्रा: 12 दिसंबर तक चलने वाली त्रिपिटक पूजा के बाद 13 दिसंबर को जहां बौद्ध भिक्षु जेठियन से पदयात्रा करते हुए वेणुवन राजगीर को जाएंगे. वहीं, 14 दिसंबर से बोधगया में कांग्यू मोनेलम चेन्मो पूजा का शुभारंभ होगा. यह कांग्यू मोनलम चेन्मो पूजा 23 दिसंबर तक चलेगा. इस तरह विश्व भर के बौद्ध धर्मावलंबियों की आस्था का मुख्य केंद्र भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि बोधगया में विभिन्न पूजा का आयोजन समयवार आयोजित है.
'त्रिपिटक बौद्ध धर्म का प्रमुख ग्रंथ'- भिक्खु भंते मनोज: वहीं, इस संबंध में भिक्खु भंते मनोज बताते बताते हैं, कि त्रिपिटक बौद्ध धर्म का प्रमुख ग्रंथ है. यह बौद्ध धर्म के प्राचीनतम ग्रंथ में से एक है. इसमें भगवान बुद्ध के उपदेश संग्रहित हैं. यह त्रिपिटक ग्रंथ पाली भाषा में लिखा गया है और अलग-अलग भाषाओं में भी अनुवादित है.
"त्रिपिटक ग्रंथ में भगवान बुद्ध के बुद्धत्व प्राप्ति करने के समय से महापरिनिर्वाण तक हुए प्रवचनों को संग्रहित किया गया है. 2 दिसंबर से शुरू हुई त्रिपिटक पूजा 12 दिसंबर को विशेष अनुष्ठान के साथ समाप्त हो जाएगी. 13 दिसंबर को सभी बौद्ध भिक्षु जेठियन से पदयात्रा करते हुए वेणुवन राजगीर को जाएंगे."- भिक्खु भंते मनोज, महाबोधि मंदिर के वरीय बौद्ध भिक्खु
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