मुजफ्फरपुर: अधिकतर पंचायतों के अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र गाय और भैंस के तबेलों में तब्दील हो चुका है. कुछ स्वास्थ्य केंद्र मवेशियों के भूसा रखने के काम में आता है. जिस स्वास्थ्य केंद्र में करीब 20 वर्ष पूर्व चिकित्सक बैठ कर ग्रामीणों का इलाज करते थे. वर्तमान में वहां गाय और भैंस बांधा जा रहा है. इसके कारण प्रखंड के बीमार लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है.
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स्वास्थय व्यवस्था की हालत दयनीय
सामाजिक कार्यकर्ता दीनबंधु क्रांतिकारी बताते हैं कि किसी राजनेता ने यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने का काम नहीं किया. कल्याणपुर गांव के समाजसेवी विनोद कुमार यादव ने कहा कि गांव के अस्पताल को चालू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग से कई बार अपील की गयी. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. बागमती संघर्ष मोर्चा के संयोजक आफताब आलम ने बताया कि बागमती परियोजना से विस्थापित बभनगावा पश्चिमी, मधुबन प्रताप, बड़ा खुर्द, बड़ा बुजुर्ग, महुआरा समेत गांवों के विस्थापित परिवार इलाज की सरकारी व्यवस्था नहीं मिलने के कारण झोला छाप डॉक्टरों के शिकार हो रहे हैं.
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अस्पताल को चालू कराने की अपील
प्रखंड की बदहाल व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष ई. अखिलेश यादव, छात्र नेता आकाश यादव, दिलीप चौधरी, पप्पू मिश्रा, गुरु पासवान समेत कई लोगों ने वर्तमान समय में बंद पड़े सभी अस्पतालों को चालू करने की मांग स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन से की है.
कई स्वास्थ्य उपकेंद्र बन चुके हैं खटाल
अमनौर, बलिया बसंतपुर, भादो रसलपुर, भरथुआ, भैरव स्थान, भवानीपुर, विस्था, चहुंटा, डकरामा, धरहरवा, घघरी, जनाढ़, जोंकि, कल्याणपुर, मधुबन बेसी, मधुबन प्रताप, महेश स्थान, महेश्वारा, मटिहानी, परमजीवर, राजखंड, रामपुर संभूता, रतवारा पूर्वी, सहीलाबली, शहिला जीवर और शाही मीनापुर शामिल हैं.