मुजफ्फरपुर/पटना: 'बिहार में हाहाकार है, मगर बेफिक्र सरकार है', ये इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि उत्तरी बिहार के कई जिलों में चमकी बुखार का असर है. 179 बच्चों की मौत हो चुकी है, सौ से ज्यादा बीमार बच्चे अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं, लेकिन सरकार के पास जवाब नहीं है. सवाल पूछने पर हुक्मरान भड़क उठते हैं, अपनी नाकामी की खीझ मीडिया पर उतारने की कोशिश करते हैं.
चमकी बुखार से जिस तरह से बिहार में पिछले 20-21 दिनों से रोजाना बच्चों की मौतें हो रही हैं, राज्य सरकार और केंद्र सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. न विभागीय मंत्री और न ही मुख्यमंत्री इन मौतों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं और न ही अपनी नाकामी स्वीकार कर रहे हैं. ऊपर से मीडिया को देखते ही मुंह बंद कर लेते हैं. ज्यादा कुरेदने पर भड़क उठते हैं.
मीडिया के सवालों पर सीएम की चुप्पी
आमतौर शांत और सरल रहने वाले सीएम नीतीश कुमार भी चमकी बुखार के मामले में अपना आपा खोते दिखे. पहले तो 2 हफ्ते बाद मुजफ्फरपुर गए, बीमार बच्चों से मिलने. उसके बाद न तो दिल्ली में और न ही पटना में मीडिया के सवालों का जवाब दिया. शुक्रवार को एलजेपी चीफ रामविलास पासवान के राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान भी मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया.
नीतीश को गुस्सा क्यों आता है?
वहीं, मीडिया जब लगातार उन्हें पास से कवर करने की कोशिश करने लगा और उनकी प्रतिक्रिया पाने का प्रयास करने लगा तो सीएम साहब नाराज हो गए. मीडियाकर्मियों को चिल्लाते हुए पीछे हटने के साथ ही अपनी सीमा में रहने को कहा. मुख्यमंत्री की ये चिल्लाहट उनकी प्रतिक्रया थी, जो पिछले कई दिनों से वे चाहकर भी व्यक्त नहीं कर पा रहे थे. वे जानते थे कि चमकी बुखार के मामले में उनकी सरकार, उनका स्वास्थ्य महकमा और स्थानीय प्रशासन नाकाम रहे हैं, लिहाजा जब नामांकन के दौरान मीडिया को सुनाने का मौका मिला तो उन्होंने उसे हद में रहने की 'चेतावनी' दे डाली.
मंगल पांडेय ने जवाब तक नहीं दिया
जब सीएम साहब इतने गुस्से में हों तो भला उनके स्वास्थ्य मंत्री क्यों पीछे रहे. हालांकि उन्होंने बोलकर तो गुस्सा जाहिर नहीं किया, लेकिन मीडिया से दूरी बनाकर अपनी नाराजगी जतला दी. दरअसल स्वास्थ्य मंत्री से पटना में जब मीडिया ने मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत पर सवाल पूछना चाहा तो वे तुरंत गाड़ी में बैठ गए और गेट बंद कर लिया. बाहर मीडिया उनसे रिएक्शन देने को कहता रहा, उन्होंने ड्राइवर को गाड़ी आगे बढ़ाने को कह दिया.
क्रिकेट का स्कोर पूछकर कराई किरकिरी
इससे पहले मंगल पांडेय ने मुजफ्फरपुर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की मौजूदगी में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बच्चों की मौत को लेकर पूछे जा रहे सवालों के बीच भारत-पाकिस्तान मैच का स्कोर पूछ लिया था, जिसके बाद हर तरफ उनकी आलोचना हुई थी. शायद उसी की खीझ उन्होंने मीडिया से बात न कर के उतारी है.
अश्विनी चौबे की भी बोलती बंद!
अक्सर अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे भी इन दिनों इधर-उधर की बात तो करते हैं लेकिन चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौत पर बोलने से बचते हैं. पटना में जब पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया और पूछा कि कब रुकेगी बच्चों की मौत, कौन है ज़िम्मेदार? तो मंत्री ने धीरे से 'सॉरी' कह दिया. मीडिया ने फिर पूछा सॉरी किसलिए, बच्चों की मौत के लिए या जवाब नहीं देने के लिए. मगर चौबे कुछ बोले बगैर आगे बढ़ गए.
मीटिंग में सोते दिखे थे राज्यमंत्री
मुजफ्फरपुर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की मौजूदगी में जो मीटिग हो रही थी, उसमें अश्विनी चौबे सोते हुए पाए गए थे. जिसके बाद प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय मीडिया में भी उनका वीडियो खूब वायरल हुआ था. हालांकि बाद में उन्होंने सफाई पेश की थी कि वे सो नहीं रहे थे, बच्चों की मौत पर चिंतन-मनन कर रहे थे.
हर्षवर्धन का बोलने से इनकार
वहीं, संसद में सांसद का शपथ लेने पहुंचे डॉक्टर हर्षवर्धन ने 17 जून को पत्रकारों के सवालों को अनसुना कर दिया है. संसद भवन के गलियारे में मीडिया ने जब बिहार में बच्चों की हो रही मौतों से जुड़ा सवाल पूछा तो उन्होंने उत्तर नहीं दिया. हर्षवर्धन ने सिर्फ इतना कहा कि वे पहले ही सभी सवालों का जवाब दे चुके हैं.