मुजफ्फरपुर: जिले के सीजेएम कोर्ट में 49 हस्तियों पर दर्ज केस में नया मोड़ आया है. एसएसपी ने मुकदमे को ठहराया गलत ठहरा दिया है. पूरे मामले में परिवादी सुधीर ओझा पर कार्रवाई की गाज गिरने वाली है.
मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखने वाले 49 नामी लोगों के खिलाफ 3 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर में केस दर्ज किया गया था. इस केस को यहां के वकील सुधीर ओझा ने दर्ज करवाया था. कोर्ट के आदेश पर सदर थाने में दर्ज मामले को मुजफ्फरपुर के एसएसपी मनोज कुमार ने जांच के बाद गलत ठहराया है. एसएसपी ने अधिवक्ता सुधीर ओझा के खिलाफ गलत मामला दर्ज कराने को लेकर कार्रवाई का आदेश दिया है. इसके बाद अधिवक्ता सुधीर ओझा के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है.
कई नामी हस्तियों पर दर्ज हुआ था केस
मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखने वाले 49 नामी लोगों के खिलाफ 3 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर में केस दर्ज किया गया था. नामी हस्तियों में रामचंद्र गुहा, मणिरत्नम और अपर्णा सेन समेत कई हस्तियों पर केस दर्ज किया गया था. स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से 2 महीने पहले दायर याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी के आदेश के बाद मामला दर्ज किया गया था.
एक नजर पूरे मामले पर...
मुजफ्फरपुर के सीजेएम कोर्ट में असहिष्णुता मामले में 27 जुलाई 2019 को फिल्म निर्देशक मणिरत्नम सहित 49 फिल्म कलाकारों के खिलाफ परिवाद दर्ज किया गया था. इस मामले में कोर्ट के आदेश पर सदर थाना पुलिस ने प्राथमिकि दर्ज की थी.
- 49 फिल्मी कलाकारों पर देशद्रोह का मुकदमा किया गया था.
- सीजेएम कोर्ट में मुख्यन्यायिक दंडाधिकारी सूर्यकांत तिवारी की अदालत में अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने अभिनेत्री अपर्णा सेन, सौमित्र चटर्जी, श्याम बेनेगल सहित 49 फिल्म कलाकारों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था.
- आरोप था कि इन लोगों ने मॉब लिंचिंग और असहिष्णुता को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, और इस बात की गोपनीयता को भंग करते हुए इसका काफी प्रचार-प्रसार भी किया था. इससे विदेशों में देश की छवि खराब हुई. उन लोगों ने अलगाववादियों के साथ मिलकर देश को विखंडित करने का काम किया है.
'देश को विभाजित करने की कोशिश'
याचिकाकर्ता ने परिवाद दायर करने के दौरान बताया था कि इन 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि इन दिनों ‘जय श्री राम’ हिंसा भड़काने का एक नारा बन गया है. इसके नाम पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं. इन मामलों पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए. यही नहीं, इसमें मुसलमानों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हुई लिंचिंग का जिक्र करते हुए एनसीआरबी के एक डाटा का भी हवाला दिया गया था. इस पत्र के माध्यम से देश को विभाजित करने की कोशिश की गई है.