मुजफ्फरपुर: कोरोना को लेकर प्रभावी लॉकडाउन के बीच जिले में लगातार आ रहे चमकी बुखार के मामलों के बीच अब इसपर नियंत्रण करने को लेकर प्रशासनिक कवायद तेज हो गयी है. इसको लेकर जिला प्रशासन ने लागू लॉकडाउन के बीच बंद जागरूकता अभियान को फिर से शुरू करने समेत कई महत्त्वपूर्ण फैसले लिए हैं. चमकी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए डीएम ने बड़ी पहल करते हुए जिला, प्रखण्ड और पंचायत स्तर के सभी सरकारी पदाधिकारियों को चमकी बुखार से प्रभावित और चिन्हित गांवों को गोद लेने का निर्देश दिया है.
सभी अधिकारी एक-एक गांव को लेंगें गोद
इस मामले पर जिले के डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि जिले में पिछले साल चमकी बुखार ने काफी कोहराम मचाया था. इस बिमारी को लेकर जिला प्रशासन काफी पहले से ही सजग है. चमकी बुखार उन्मूलन को लेकर पिछले साल गांव में वृहद पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया था. हालांकि, लागू लॉकडाउन के कारण जिले में इसे बंद कर दिया गया था. जिसे फिर से शुरू करने का निर्णय किया गया है. इसको लेकर जिला प्रशासन ने जिला स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक के सभी अधिकारियों को चमकी बुखार से प्रभावित और चिन्हित गांवों को गोद लेने का निर्देश दिया गया है. गांव को गोद लेने के बाद सभी अधिकारियों की जिम्मेवारी तय की गई है. अधिकारी गांव की देखभाल और चमकी बुखार उन्मूलन को लेकर चल कार्यक्रम को मॉनिटर करने का काम करेंगे. इसके तहत अपने संबंधित गांव की पूरी जानकारी जिला प्रशासन को देते रहेंगे. जिससे इस बिमारी को जिले से जड़ से समाप्त करने में हमलोग एक कदम और बढ़ाएंगे.
354 गांव चमकी बुखार को लेकर चिन्हित
गौरतलब है कि चमकी बुखार की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने जफ्फरपुर जिले में 2017 से प्रभावित गांवों का डाटा एकत्र किया है. इस दौरान कुल 354 गांव को रेड अलर्ट गांव में चिन्हित किया गया है. उन्हीं प्रभावित गांव में इस रोग की रोकथाम के लिए कई योजनाएं बनायी जा रही है. बता दें कि मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से कई बच्चे अपनी जान गवां चुके हैं. दरअसल, एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार एक एक तरह का मस्तिष्क ज्वर होता है. इम्युनिटी कमजोर होने की वजह से यह 1 साल से लेकर 8 साल के बच्चे को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है.