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ब्रजेश ठाकुर निचली अदालत के फैसले के खिलाफ पहुंचा दिल्‍ली हाई कोर्ट - delhi news

मुजफ्फरपुर शेल्‍टर होम के मुख्‍य दोषी ब्रजेश ठाकुर ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दिल्‍ली हाई कोर्ट का रुख किया है. ट्रायल कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

मुजफ्फरपुर
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Published : Jul 20, 2020, 11:55 PM IST

Updated : Jul 21, 2020, 5:46 AM IST

नई दिल्ली/मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ट्रायल कोर्ट की ओर से उम्रकैद की सजा देने के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. ब्रजेश ठाकुर को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मौत तक कैद की सजा का आदेश सुनाया था. साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर पर 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

11 फरवरी को साकेत कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी
बता दें कि पिछले 11 फरवरी को साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सजा सुनाया था. साकेत कोर्ट ने तीन महिलाओं समेत 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने चार महिलाओं समेत छह दोषियों को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. एक महिला को छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि उसने छह महीने से ज्यादा दिनों तक जेल में काट लिए थे, इसलिए कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया.

पेश है खास रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केस बिहार से दिल्ली ट्रांसफर किया था
पहले इस मामले की सुनवाई बिहार की कोर्ट में चल रही थी. 7 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्दश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए. उसके बाद साकेत कोर्ट ने 25 फरवरी 2019 से सुनवाई शुरु की थी.

नई दिल्ली/मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ट्रायल कोर्ट की ओर से उम्रकैद की सजा देने के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. ब्रजेश ठाकुर को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मौत तक कैद की सजा का आदेश सुनाया था. साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर पर 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

11 फरवरी को साकेत कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी
बता दें कि पिछले 11 फरवरी को साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सजा सुनाया था. साकेत कोर्ट ने तीन महिलाओं समेत 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने चार महिलाओं समेत छह दोषियों को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. एक महिला को छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि उसने छह महीने से ज्यादा दिनों तक जेल में काट लिए थे, इसलिए कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया.

पेश है खास रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केस बिहार से दिल्ली ट्रांसफर किया था
पहले इस मामले की सुनवाई बिहार की कोर्ट में चल रही थी. 7 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्दश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए. उसके बाद साकेत कोर्ट ने 25 फरवरी 2019 से सुनवाई शुरु की थी.

Last Updated : Jul 21, 2020, 5:46 AM IST
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