मुजफ्फरपुर: यूं तो अब तक शहरों से निकलने वाले लाखों टन कचरों को ऐसे ही फेंक दिया जाता है या फिर नगर निगम की तरफ से इन कचरों को शहर से दूर गैर-रिहायशी इलाकों में डंप कर दिया जाता है. लेकिन बेहतर प्रबंधन का और कुशल तकनीक का साथ मिले तो कचरे जैसी बेकार वस्तु को भी उपयोग में लाया जा सकता है. बिल्कुल ऐसा ही काम उत्तर बिहार की सबसे बड़ी व्यवासियक राजधानी मुजफ्फरपुर में नगर निगम कर रहा है.
नगर निगम घरों के साथ व्यावसायिक प्रतिष्ठान से निकलने वाले कचरों को डोर-टू-डोर जाकर कलेक्ट कर रहा है. साथ ही निगम प्रशासन कचरा प्रबंधन की एक कुशल तकनीक का इस्तेमाल करते हुए लाखों टन कचरे को शहर से भी बाहर निकाल रहा है. इस दौरान नगर निगम की तरफ से पर्यावरण संरक्षण का पूरे तरीके से अनुपालन किया जा रहा है.
नगर निगम एरोबिक तकनीक से कचरे से जैविक खाद बना रहा है. तकनीक किसानों को महंगे रासायनिक उर्वरक की समस्या से भी निजात दिला रही है. इस जैविक खाद को प्रति किलो पांच रुपये की दर से बिक्री की जा रही है. जिसका लाभ किसानों के साथ नर्सरी वाले भी उठा रहे हैं.
ऐसे होता है निर्माण
मुजफ्फरपुर नगर निगम के 49 वार्डों से निगम की गाड़ियां डोर-टू-डोर सभी प्रकार के कचरों को उठाती है. फिर इनमें से गिले और सूखे कचरे तो अलग-अलग कर इन्हें एक जगह इकठा करती है. इसके बाद इसे यहां बने 40 चैम्बर के बॉक्स में इसे सुखाया जाता हैऔर उसके बाद मवेशियों के गोबर का प्रयोग कर इस कचरे से जैविक खाद बनाया जाता है. इसके बाद इसके पूरी तरह सूखने के बाद कंपोजर मशीन से जैविक खाद को अलग कर इसे पैक किया जाता है और मात्र 5 रुपये प्रति किलो के भाव से किसानों, व्यापारियों और नर्सरी संचालित करने वाले लोगों को दिया जाता है जो न सिर्फ गुणवत्तापूर्ण में उच्च कसौटी की है बल्कि वातावरण के लिए भी पूरी तरह अनुकुल है.
किसानों को मिल रहा लाभ
मुजफ्फरपुर नगर निगम की इस शानदार तकनीक और प्रबंधन के प्रयोग से आज कई किसानों को लाभ मिल रहा है. इसको अब न सिर्फ मुजफ्फरपुर बल्कि देश के अन्य भागों में भी बढ़ावा देने की जरूरत है, ताकि विदेशों से आयात होने वाले उर्वरकों की हमारी निर्भरता कम हो हो और सरकार के लिए भी ये बेहतर प्रबंधन का क्षेत्र बन अपनी स्वयं की निर्भरता को और भी मजबूत बना सके.