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बिहार के इस युवा ने मशरूम से किया कमाल, बनाई ऐसी चीज जो स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी जबरदस्त

Success Story Of Farmer: बिहार के इस युवा ने भी दूसरे युवाओं जैसे सरकारी नौकरी का सपना देखा था लेकिन मेरिट लिस्ट में नाम नहीं आने पर उन्होंने खुद की कंपनी खोल ली. वे मशरूम की खेती करने के साथ ही मशरूम के लड्डू और बिस्कुट बना रहे हैं, जो स्वाद में लाजवाब तो है ही वहीं स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक है. पूरी खबर.

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मशरूम से बिस्कुट और लड्डू का निर्माण
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 12, 2024, 8:34 AM IST

मुजफ्फरपुर में मशरूम की खेती कर किया स्टार्टअप

मुजफ्फरपुर: कामयाबी का मतलब सिर्फ नौकरी पाना नहीं होता, कामयाबी के कई तरीके हैं. आज की युवा पीढ़ी नौकरी नहीं लगने पर हताशा की शिकार हो जा रही है. लेकिन बिहार के एक युवा ने नौकरी नहीं लगने पर कामयाबी का दूसरा रास्ता बनाया. आज उन्होंने खुद की कंपनी खोल ली, जिसमें मशरूम से बने बिस्कुट और लड्डू बना रहे हैं. ये प्रोडक्ट स्वाद में बेहतरीन होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है.

बिहार पुलिस बनने का था सपना: दरअसल मुजफ्फरपुर के मो. हसन को बिहार पुलिस में जाने की इच्छा थी. इसके लिए ग्रेजुएशन करने के दौरान उन्होंने बिहार पुलिस की परीक्षा भी दी. लेकिन जब मेरिट लिस्ट में नाम नहीं आया तो उन्होंने हार नहीं मानी और कुछ बड़ा करने का सोचा. उन्होंने खुद का स्टार्टअप शुरू किया और अब उनकी मेहनत भी रंग ला रही है.

खुद का स्टार्टअप शुरू कर पेश की मिसाल: दरअसल, जिले के मनियारी स्तिथ बंगरा निवासी युवा उद्यमी मो. हसन इन दिनों मशरूम की खेती के साथ इसके बिस्कुट और लड्डू का निर्माण कर रहे हैं. उन्होंने मशरूम कूकीज नाम से अपनी कंपनी शुरू कर दी है, जिसमें लोगों को रोजगार दे रहे हैं. हसन ने अकाउंट्स से ग्रेजुएशन किया है. हसन के पिता मो. हारून डिस्ट्रिक्ट जज के चालक थे, जो अब रिटायर्ड हो चुके हैं.

ईटीवी भारत GFX.
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पूसा कृषि विश्वविद्यालय से ली ट्रेनिंग: हसन ने ग्रेजुएशन करने के बाद साल 2020 में एमबीए की पढ़ाई बीआरए बिहार विश्वविद्यालय से पूरी की. एमबीए करने के बाद उन्होंने पूसा यूनिवर्सिटी में ट्रेनिंग ली, जिसके बाद अब वे खुद से मशरूम की खेती करते हैं और अपना उत्पादन कर मार्केट में बेचते भी हैं. इसके अलावा, मशरूम बर्बाद ना हो इसलिए उससे स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने वाले लड्डू और बिस्कुट भी तैयार कर रहे हैं.

मार्केट में मिल रहा अच्छा रिस्पांस: उन्होंने बताया कि "तीन तरह के मशरूम की खेती करते हैं. उसमें मिल्की, ऑयस्टर और बटन मशरूम शामिल है. तीनों सीजन के अनुसार पैदा करते हैं. बटन मशरूम को ठंड के दिनों में अधिक लोग पसंद करते हैं. लेकिन, ऑयस्टर मशरूम को इलाके के लोग ज्यादा नहीं खाते थे. इसलिए सोचा कि मशरूम की बर्बादी से अच्छा है की इससे कोई ऐसी चीज बनाई जाए जो लोगो को पसंद आए."

मशहूर के बिस्कुट और लड्डू की डिमांड: इसके बाद उन्होंने मशरूम की बिस्कुट और मिठाई बनाने की सोची. जिसके बाद गांव के लोगों को खिलाया तो सबको काफी पसंद आया. इसके बाद वे प्रखंड के बाजारों में ही बिस्कुट और मिठाई बेचने लगे. मार्केट से अच्छा रिस्पांस मिलने लगा. जिसके बाद वे इसका सप्लाई शहरी क्षेत्र में भी करने लगे. अब वे बिहार के दूसरे जिलों में सप्लाई करने का काम कर रहे हैं.

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लोगों को भी सिखा रहे हुनर: उन्होंने बताया की "शुरुआत में कुछ लोगों ने मेरा मजाक भी उड़ाया. लेकिन, अब जब प्रोडक्ट बिकने लगा तो लोग तारीफ करते हैं. अब गांव और आसपास के लोग काम सीखने आते हैं. मैं भी युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए उन्हें मशरूम की खेती और बिस्कुट-लड्डू बनाने की कला सिखाता हूं ताकि बेरोजगार युवा भी अपना स्टार्टअप कर सकें."

दूसरों को रोजगार दे रहे हसन: हसन बताते हैं कि "शुरू में मैं अकेले ही काम करता था, जिसमें परिवार का पूरा सहयोग मिलता था. धीरे-धीरे जब मार्केट में डिमांड बढ़ी तो लड़कों को भी रखना शुरू किया. वर्तमान में मेरे यहां 4 युवक काम करते हैं. जब मशहूर का सिजन रहता है तो और भी लोगों को काम पर रखते हैं, जिससे उनके भी घर का खर्च चलता है."

सेहत के लिए फायदेमंद है मशरूम: उन्होंने बताया कि "इस मिठाई और बिस्कुट में कई ऐसे गुण हैं, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद हैं. आमतौर पर मशरूम में जिस तरह हाई प्रोटीन पाई जाती है. उसी प्रकार मशरूम से बने बिस्कुट में भी काफी मात्रा में प्रोटीन पाई जाती है, जो लोगों की सेहत के लिए फायदेमंद है."

ऐसे तैयार होता है बिस्कुट और मिठाई: पहले मशरूम को धूप में सुखाया जाता है. जब मशरूम सूख जाता है तो उसे पाउडर जैसा तैयार किया जाता है. फिर देसी घी, दूध, चीनी, इलाइची, तिल आदि का उपयोग कर इसका घोल तैयार किया जाता है. जिसके बाद उसे सुखाया जाता है. जब घोल सूख जाता है, तो उसे पतला सा बेल कर छोटे-छोटे टुकड़े में कटिंग कर हीटिंग मशीन पर पकाया जाता है. इसके बाद बिस्कुट खाने के लिए तैयार हो जाता है. उसी तरह मिठाई भी बनाते है.

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मिल्की मशरूम की खेती का तरीका: मिल्की मशरूम को अन्य मशरूमों के मुकाबले ज्यादा ठंड वातावरण नहीं चाहिए. इसकी खेती के लिए अधिक तापमान की जरूरत होती है. इसे 25-30 डिग्री तापमान में उगाया जा सकता है. हालांकि जिस कमरे में इसकी खेती हो. वहां, तकरीबन 80 से 90 प्रतिशत तक नमी होनी चाहिए. करीब 25 दिन के बाद से इसके पिन हेड दिखने लगते हैं. जब मशरूम के ऊपर बनी टोपी 5 से 6 सेंटीमिटर मोटी दिखाई देने लगे तो उसे परिपक्व समझ लें और उसे घुमाकर तोड़ लें.

ऑयस्टर मशरूम की खेती का तरीका: ऑयस्टर मशरूम की खेती किसी भी फसल के अवशेष जैसे पुआल, गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, गन्ना, मूंगफली, सरसों, सूरजमुखी और सोयाबीन के छिलके और भूसे से की जा सकती है. इसको उगाने के लिए कमरे की जरूरत होती है जो बांस, पॉलीथीन या पुआल से बना हो. कमरे में उपयुक्त हवा आने की जगह हो. इस मशरूम उगाने के लिए किसी भी फसल का पुराना भूसा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

दो तकनीक से ऑयस्टर मशरूम की खेती: ऑयस्टर मशरूम की नई तकनीक में ग्रो बैग तैयार करने के लिए दो तकनीकों को अपनाया जाता है. पहले में भूसे के साथ ही गुड़ और चोकर मिलाया जाता है. बाकी की प्रक्रिया सामान्य विधि वाली ही अपनाई जाती है. दूसरी तकनीक में भूसा के साथ एनपीके और कैल्शियम कॉर्बानेट मिलाया जाता है. इस विधि से अधिक मशरूम का उत्पादन होता है. इसके लिए 16 से 25 डिग्री तक तापमान अनुकूल होता है. अगस्त से शुरू कर अप्रैल तक इसकी खेती होती है. बिजाई से लेकर हार्वेस्टिंग तक में दो महीने का समय लगता है.

बटन मशरूम की खेती का तरीका: बटन मशरूम की खेती के लिए ठंडी जलवायु उपयुक्त मानी जाती है. इसलिए इसकी खेती सर्दी के मौसम में की जाती है. इसके उपज के लिए 16 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान अनुकूल होता है. इसे लगाने का उपयुक्त समय अक्टूबर से मार्च का महीना होता है. 12 से 15 दिन कबाड़ केसिंग किया जाता है. केसिंग के करीब 12 से 15 दिनों बाद से पिन हेड दिखना शुरू हो जाता है.

पढ़ें: भोजपुर के आलू की खूब है डिमांड, पैदावार के लिए बोला जाता है पोटैटो हब

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बिहार पुलिस बनने का था सपना: दरअसल मुजफ्फरपुर के मो. हसन को बिहार पुलिस में जाने की इच्छा थी. इसके लिए ग्रेजुएशन करने के दौरान उन्होंने बिहार पुलिस की परीक्षा भी दी. लेकिन जब मेरिट लिस्ट में नाम नहीं आया तो उन्होंने हार नहीं मानी और कुछ बड़ा करने का सोचा. उन्होंने खुद का स्टार्टअप शुरू किया और अब उनकी मेहनत भी रंग ला रही है.

खुद का स्टार्टअप शुरू कर पेश की मिसाल: दरअसल, जिले के मनियारी स्तिथ बंगरा निवासी युवा उद्यमी मो. हसन इन दिनों मशरूम की खेती के साथ इसके बिस्कुट और लड्डू का निर्माण कर रहे हैं. उन्होंने मशरूम कूकीज नाम से अपनी कंपनी शुरू कर दी है, जिसमें लोगों को रोजगार दे रहे हैं. हसन ने अकाउंट्स से ग्रेजुएशन किया है. हसन के पिता मो. हारून डिस्ट्रिक्ट जज के चालक थे, जो अब रिटायर्ड हो चुके हैं.

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पूसा कृषि विश्वविद्यालय से ली ट्रेनिंग: हसन ने ग्रेजुएशन करने के बाद साल 2020 में एमबीए की पढ़ाई बीआरए बिहार विश्वविद्यालय से पूरी की. एमबीए करने के बाद उन्होंने पूसा यूनिवर्सिटी में ट्रेनिंग ली, जिसके बाद अब वे खुद से मशरूम की खेती करते हैं और अपना उत्पादन कर मार्केट में बेचते भी हैं. इसके अलावा, मशरूम बर्बाद ना हो इसलिए उससे स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने वाले लड्डू और बिस्कुट भी तैयार कर रहे हैं.

मार्केट में मिल रहा अच्छा रिस्पांस: उन्होंने बताया कि "तीन तरह के मशरूम की खेती करते हैं. उसमें मिल्की, ऑयस्टर और बटन मशरूम शामिल है. तीनों सीजन के अनुसार पैदा करते हैं. बटन मशरूम को ठंड के दिनों में अधिक लोग पसंद करते हैं. लेकिन, ऑयस्टर मशरूम को इलाके के लोग ज्यादा नहीं खाते थे. इसलिए सोचा कि मशरूम की बर्बादी से अच्छा है की इससे कोई ऐसी चीज बनाई जाए जो लोगो को पसंद आए."

मशहूर के बिस्कुट और लड्डू की डिमांड: इसके बाद उन्होंने मशरूम की बिस्कुट और मिठाई बनाने की सोची. जिसके बाद गांव के लोगों को खिलाया तो सबको काफी पसंद आया. इसके बाद वे प्रखंड के बाजारों में ही बिस्कुट और मिठाई बेचने लगे. मार्केट से अच्छा रिस्पांस मिलने लगा. जिसके बाद वे इसका सप्लाई शहरी क्षेत्र में भी करने लगे. अब वे बिहार के दूसरे जिलों में सप्लाई करने का काम कर रहे हैं.

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लोगों को भी सिखा रहे हुनर: उन्होंने बताया की "शुरुआत में कुछ लोगों ने मेरा मजाक भी उड़ाया. लेकिन, अब जब प्रोडक्ट बिकने लगा तो लोग तारीफ करते हैं. अब गांव और आसपास के लोग काम सीखने आते हैं. मैं भी युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए उन्हें मशरूम की खेती और बिस्कुट-लड्डू बनाने की कला सिखाता हूं ताकि बेरोजगार युवा भी अपना स्टार्टअप कर सकें."

दूसरों को रोजगार दे रहे हसन: हसन बताते हैं कि "शुरू में मैं अकेले ही काम करता था, जिसमें परिवार का पूरा सहयोग मिलता था. धीरे-धीरे जब मार्केट में डिमांड बढ़ी तो लड़कों को भी रखना शुरू किया. वर्तमान में मेरे यहां 4 युवक काम करते हैं. जब मशहूर का सिजन रहता है तो और भी लोगों को काम पर रखते हैं, जिससे उनके भी घर का खर्च चलता है."

सेहत के लिए फायदेमंद है मशरूम: उन्होंने बताया कि "इस मिठाई और बिस्कुट में कई ऐसे गुण हैं, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद हैं. आमतौर पर मशरूम में जिस तरह हाई प्रोटीन पाई जाती है. उसी प्रकार मशरूम से बने बिस्कुट में भी काफी मात्रा में प्रोटीन पाई जाती है, जो लोगों की सेहत के लिए फायदेमंद है."

ऐसे तैयार होता है बिस्कुट और मिठाई: पहले मशरूम को धूप में सुखाया जाता है. जब मशरूम सूख जाता है तो उसे पाउडर जैसा तैयार किया जाता है. फिर देसी घी, दूध, चीनी, इलाइची, तिल आदि का उपयोग कर इसका घोल तैयार किया जाता है. जिसके बाद उसे सुखाया जाता है. जब घोल सूख जाता है, तो उसे पतला सा बेल कर छोटे-छोटे टुकड़े में कटिंग कर हीटिंग मशीन पर पकाया जाता है. इसके बाद बिस्कुट खाने के लिए तैयार हो जाता है. उसी तरह मिठाई भी बनाते है.

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मिल्की मशरूम की खेती का तरीका: मिल्की मशरूम को अन्य मशरूमों के मुकाबले ज्यादा ठंड वातावरण नहीं चाहिए. इसकी खेती के लिए अधिक तापमान की जरूरत होती है. इसे 25-30 डिग्री तापमान में उगाया जा सकता है. हालांकि जिस कमरे में इसकी खेती हो. वहां, तकरीबन 80 से 90 प्रतिशत तक नमी होनी चाहिए. करीब 25 दिन के बाद से इसके पिन हेड दिखने लगते हैं. जब मशरूम के ऊपर बनी टोपी 5 से 6 सेंटीमिटर मोटी दिखाई देने लगे तो उसे परिपक्व समझ लें और उसे घुमाकर तोड़ लें.

ऑयस्टर मशरूम की खेती का तरीका: ऑयस्टर मशरूम की खेती किसी भी फसल के अवशेष जैसे पुआल, गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, गन्ना, मूंगफली, सरसों, सूरजमुखी और सोयाबीन के छिलके और भूसे से की जा सकती है. इसको उगाने के लिए कमरे की जरूरत होती है जो बांस, पॉलीथीन या पुआल से बना हो. कमरे में उपयुक्त हवा आने की जगह हो. इस मशरूम उगाने के लिए किसी भी फसल का पुराना भूसा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

दो तकनीक से ऑयस्टर मशरूम की खेती: ऑयस्टर मशरूम की नई तकनीक में ग्रो बैग तैयार करने के लिए दो तकनीकों को अपनाया जाता है. पहले में भूसे के साथ ही गुड़ और चोकर मिलाया जाता है. बाकी की प्रक्रिया सामान्य विधि वाली ही अपनाई जाती है. दूसरी तकनीक में भूसा के साथ एनपीके और कैल्शियम कॉर्बानेट मिलाया जाता है. इस विधि से अधिक मशरूम का उत्पादन होता है. इसके लिए 16 से 25 डिग्री तक तापमान अनुकूल होता है. अगस्त से शुरू कर अप्रैल तक इसकी खेती होती है. बिजाई से लेकर हार्वेस्टिंग तक में दो महीने का समय लगता है.

बटन मशरूम की खेती का तरीका: बटन मशरूम की खेती के लिए ठंडी जलवायु उपयुक्त मानी जाती है. इसलिए इसकी खेती सर्दी के मौसम में की जाती है. इसके उपज के लिए 16 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान अनुकूल होता है. इसे लगाने का उपयुक्त समय अक्टूबर से मार्च का महीना होता है. 12 से 15 दिन कबाड़ केसिंग किया जाता है. केसिंग के करीब 12 से 15 दिनों बाद से पिन हेड दिखना शुरू हो जाता है.

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