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मुजफ्फरपुर में होगा रिकॉर्ड तोड़ लीची का उत्पादन, लॉकडाउन में मार्केटिंग की होगी बड़ी चुनौती

विश्व में चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा लीची उत्पादक देश है. देश में कुल लीची उत्पादन का 70 फीसदी उत्पादन सिर्फ बिहार के मुजफ्फरपुर में होता है. शाही लीची की ख्याति बिहार के अलावा देश के अन्य राज्यों में ही नहीं विदेशों में भी है.

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Published : Apr 30, 2020, 11:36 AM IST

मुजफ्फरपुर
मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर : ग्रीष्मकालीन मौसम की सबसे आकर्षक फलों में से एक लीची मानी जाती है. जिसमें अपने मिठास और शानदार फ्लेवर के लिए विख्यात मुजफ्फरपुर की शाही लीची का एक अपना अलग ही मुकाम है. इस बार लगातार हो रही बारिश और बेहतर मौसम के कारण मुजफ्फरपुर में रिकॉर्ड तोड़ लीची उत्पादन की संभावना जताई जा रही है.

बारिश और खेतों में मिल रही नमी की वजह से अब धीरे-धीरे लीची के फल बढ़ने लगे हैं. जिससे इस बार लीची के किसान अपने फलों के साइज को लेकर बेहद उत्साहित है. रिकॉर्ड तोड़ लीची उत्पादन की संभावना के बीच मुजफ्फरपुर के राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशालनाथ से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

muzaffarpur
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुशहरी

सरकार की भूमिका होगी अहम
विश्व में चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा लीची उत्पादक देश है. देश में कुल लीची उत्पादन का 70 फीसदी उत्पादन सिर्फ बिहार के मुजफ्फरपुर में होता है. शाही लीची की ख्याति बिहार के अलावा देश के अन्य राज्यों में ही नहीं विदेशों में भी है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण को लेकर प्रभावी लॉकडाउन ने लीची के कारोबार को ठप कर दिया है. ऐसे में लीची के फलों के बेहतर उत्पादन के बाद इन्हें सकुशल देश के बाजारों में पहुचाने की चुनौती किसानों को परेशान कर रही है. ऐसे में इस बार लीची के मार्केटिंग और बीपरण में सरकार की भूमिका बेहद अहम होगी.

देखें पूरी रिपोर्ट

लीची उत्पादन के लिए मुजफ्फरपुर पूरे देश में अव्वल
गौरतलब है कि लीची उत्पादन के लिए मुजफ्फरपुर पूरे देश में अव्वल है. बिहार में कुल 32 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है. अकेले मुजफ्फरपुर में 11 हजार हेक्टेयर में लीची के बाग हैं. प्रदेश में पिछले साल 1 हजार करोड़ का लीची का व्यवसाय हुआ था. इनमें मुजफ्फरपुर की भागीदारी 400 करोड़ थी. लेकिन इस बार लीची को बाजार मिलने में लॉकडाउन आड़े आ सकता है. ऐसे में लीची के फल को समय पर बाजार में पहुचाने की जिम्मेवारी सरकार को करनी होगा.

मुजफ्फरपुर : ग्रीष्मकालीन मौसम की सबसे आकर्षक फलों में से एक लीची मानी जाती है. जिसमें अपने मिठास और शानदार फ्लेवर के लिए विख्यात मुजफ्फरपुर की शाही लीची का एक अपना अलग ही मुकाम है. इस बार लगातार हो रही बारिश और बेहतर मौसम के कारण मुजफ्फरपुर में रिकॉर्ड तोड़ लीची उत्पादन की संभावना जताई जा रही है.

बारिश और खेतों में मिल रही नमी की वजह से अब धीरे-धीरे लीची के फल बढ़ने लगे हैं. जिससे इस बार लीची के किसान अपने फलों के साइज को लेकर बेहद उत्साहित है. रिकॉर्ड तोड़ लीची उत्पादन की संभावना के बीच मुजफ्फरपुर के राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशालनाथ से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

muzaffarpur
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुशहरी

सरकार की भूमिका होगी अहम
विश्व में चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा लीची उत्पादक देश है. देश में कुल लीची उत्पादन का 70 फीसदी उत्पादन सिर्फ बिहार के मुजफ्फरपुर में होता है. शाही लीची की ख्याति बिहार के अलावा देश के अन्य राज्यों में ही नहीं विदेशों में भी है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण को लेकर प्रभावी लॉकडाउन ने लीची के कारोबार को ठप कर दिया है. ऐसे में लीची के फलों के बेहतर उत्पादन के बाद इन्हें सकुशल देश के बाजारों में पहुचाने की चुनौती किसानों को परेशान कर रही है. ऐसे में इस बार लीची के मार्केटिंग और बीपरण में सरकार की भूमिका बेहद अहम होगी.

देखें पूरी रिपोर्ट

लीची उत्पादन के लिए मुजफ्फरपुर पूरे देश में अव्वल
गौरतलब है कि लीची उत्पादन के लिए मुजफ्फरपुर पूरे देश में अव्वल है. बिहार में कुल 32 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है. अकेले मुजफ्फरपुर में 11 हजार हेक्टेयर में लीची के बाग हैं. प्रदेश में पिछले साल 1 हजार करोड़ का लीची का व्यवसाय हुआ था. इनमें मुजफ्फरपुर की भागीदारी 400 करोड़ थी. लेकिन इस बार लीची को बाजार मिलने में लॉकडाउन आड़े आ सकता है. ऐसे में लीची के फल को समय पर बाजार में पहुचाने की जिम्मेवारी सरकार को करनी होगा.

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