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कोरोना संक्रमण ने बढ़ाया सब्जी किसानों का दर्द, नहीं मिल पा रही लागत - मुजफ्फरपुर के किसान

संक्रमण को लेकर चल रही पाबंदियों और गर्मी की वजह से किसानों को अपनी सब्जियों को मंडियों में खपाने में बहुत मुश्किल हो रही है. शाम सात बजे ही बाजार बंद करना पड़ रहा है. किसानों की परेशानी है कि बाजार पहुंचते ही औने-पौने दामों में सब्जी को बेचना पड़ जाता है. जिससे नुकसान हो रहा है.

टमाटर की फसल
टमाटर की फसल
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Published : Apr 17, 2021, 10:44 AM IST

मुजफ्फरपुरः सूबे में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से एक बार फिर अन्नदाताओं की मुश्किल बढ़ गई है. संक्रमण को लेकर चल रही पाबंदियों और गर्मी की वजह से किसानों को अपनी सब्जियों को मंडियों में खपाने में बहुत मुश्किल हो रही है. गर्मी के मौसम में शाम सात बजे ही मंडियों के बंद होने की वजह से छोटे सब्जी उत्पादकों को अपना लागत निकालने में काफी मुश्किल आ रही हैं. वहीं सूबे में एक बार फिर लॉकडाउन लगने की आशंका भी किसानों की बेचैनी को बढ़ा रही है.

यह भी पढ़ें- बिहार में कोरोना के 33465 एक्टिव मरीज, वैक्सीनेशन में आई गिरावट, देखें रिपोर्ट

खत्म होने के कगार पर है किसान
किसानों ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि खेत से सब्जियां तुड़वा कर जब तक मंडी तक पहुंचते हैं. तब तक मंडी बंद होने का समय हो जाता है. ऐसे में औने-पौने दामों पर सब्जियों को बेचना पड़ रहा है. इस बार ईश्वर ने ऐसी तबाही मचा रखी है, जिसके चलते किसान खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है.

टमाटर की फसल
टमाटर की फसल

रोजी-रोटी को कर रही है प्रभावित
किसानों की मानें तो पिछले एक वर्ष में कोरोना ने उन्हें पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. पिछले वर्ष लॉकडाउन में सारी जमा पूंजी तबाह हो गई. बड़ी मुश्किल से एक बार सब्जियों की खेती की है. लेकिन इस बार फिर कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से पिछले वर्ष जैसे हालात बन रहे हैं. ऐसे में अब गरीब किसानों के लिए दो जून की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में सरकार की बंदिशें सीधे हमारे रोजगार और रोजी-रोटी को प्रभावित कर रही है.

टमाटर की फसल
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देनी होगी ठोस रियायत
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण से उबरने की लड़ाई में पिछले वर्ष देश के किसानों ने बड़ी भूमिका निभाई थी. जो कोरोना संक्रमण के बीच भी अपने खेतों में डटे रहे. इस दौरान किसानों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा था. इस बार भी फिर देश में कमोवेश वैसे ही हालात बन रहे हैं. जाहिर है ऐसे में सरकार को किसानों को इन पाबंदियों में ठोस रियायत देनी होगी. अन्यथा हालात ऐसे ही बने रहे तो देश में सब्जियों और फलों की किल्लत भी चिंता का सबब बन सकती है.

मुजफ्फरपुरः सूबे में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से एक बार फिर अन्नदाताओं की मुश्किल बढ़ गई है. संक्रमण को लेकर चल रही पाबंदियों और गर्मी की वजह से किसानों को अपनी सब्जियों को मंडियों में खपाने में बहुत मुश्किल हो रही है. गर्मी के मौसम में शाम सात बजे ही मंडियों के बंद होने की वजह से छोटे सब्जी उत्पादकों को अपना लागत निकालने में काफी मुश्किल आ रही हैं. वहीं सूबे में एक बार फिर लॉकडाउन लगने की आशंका भी किसानों की बेचैनी को बढ़ा रही है.

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खत्म होने के कगार पर है किसान
किसानों ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि खेत से सब्जियां तुड़वा कर जब तक मंडी तक पहुंचते हैं. तब तक मंडी बंद होने का समय हो जाता है. ऐसे में औने-पौने दामों पर सब्जियों को बेचना पड़ रहा है. इस बार ईश्वर ने ऐसी तबाही मचा रखी है, जिसके चलते किसान खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है.

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रोजी-रोटी को कर रही है प्रभावित
किसानों की मानें तो पिछले एक वर्ष में कोरोना ने उन्हें पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. पिछले वर्ष लॉकडाउन में सारी जमा पूंजी तबाह हो गई. बड़ी मुश्किल से एक बार सब्जियों की खेती की है. लेकिन इस बार फिर कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से पिछले वर्ष जैसे हालात बन रहे हैं. ऐसे में अब गरीब किसानों के लिए दो जून की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में सरकार की बंदिशें सीधे हमारे रोजगार और रोजी-रोटी को प्रभावित कर रही है.

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देनी होगी ठोस रियायत
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण से उबरने की लड़ाई में पिछले वर्ष देश के किसानों ने बड़ी भूमिका निभाई थी. जो कोरोना संक्रमण के बीच भी अपने खेतों में डटे रहे. इस दौरान किसानों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा था. इस बार भी फिर देश में कमोवेश वैसे ही हालात बन रहे हैं. जाहिर है ऐसे में सरकार को किसानों को इन पाबंदियों में ठोस रियायत देनी होगी. अन्यथा हालात ऐसे ही बने रहे तो देश में सब्जियों और फलों की किल्लत भी चिंता का सबब बन सकती है.

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