नई दिल्ली/पटना: दिल्ली की साकेत कोर्ट में आज मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले पर फैसला नहीं आ सका. एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ आज छुट्टी पर हैं. जिस कारण इस मामले पर आज जजमेंट नहीं दिया जा सका.
दरअसल, पिछले 14 नवंबर को ही ये फैसला सुनाया जाना था, लेकिन दिल्ली में वकीलों की हड़ताल के कारण इस फैसले को 12 दिसंबर तक टाल दिया गया था. वहीं, पिछले 30 सितंबर को एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट से कहा था कि नाबालिग पीड़ितों के बयानों से साफ है कि सभी 21 आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं.
अभियुक्तों ने दी थी दलील
इस पर अभियुक्तों की ओर से कहा गया था कि सीबीआई ने निष्पक्ष जांच नहीं की है. सभी केस भ्रमपूर्ण हैं, न कोई घटना की तिथि है और न ही समय और स्थान. आरोपियों की तरफ से यह भी कहा गया था कि सभी पीड़ितों ने पहली बार कोर्ट में ही बयान दिया. कोर्ट के पहले पीड़ितों ने पुलिस या मजिस्ट्रेट या सीबीआई को कोई बयान नहीं दिया है.
25 फरवरी से शुरू हुई थी सुनवाई
इस मामले में साकेत कोर्ट ने पिछले 25 फरवरी से सुनवाई शुरू की थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 7 फरवरी को इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए.
21 लोगों पर आरोप तय
पिछले 30 मार्च को कोर्ट ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे. कोर्ट ने आरोपियों पर यौन उत्पीड़न, आपराधिक साजिश, पॉस्को एक्ट की धारा 3, 5 और 6 के सहित अन्य धाराओं के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. इस मामले में मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर समेत 21 लोगों को आरोपी बनाया गया है.
इनके नाम शामिल
इस मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर, शाइस्ता प्रवीण ऊर्फ मधु, मोहम्मद साहिल ऊर्फ विक्की, मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर का चाचा रामानुज, बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष दिलीप वर्मा, शेल्टर होम के मैनेजर रामाशंकर सिंह, अश्विनी कुमार और कृष्णा कुमार राम शामिल हैं,