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मुजफ्फरपुर: पुलिस बनाम वकील हो गया है 49 हस्तियों पर दर्ज मुकदमा का मामला

वकील सुधीर ओझा ने कहा कि पुलिस को जैसी भी जांच रिपोर्ट या चार्जशीट कोर्ट में जमा करनी है करे. वो अपना पक्ष कोर्ट में रखेंगे. पुलिस को केवल अनुसंधान का अधिकार है, फैसला या आदेश कोर्ट को देना होता है.

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Published : Oct 12, 2019, 11:46 PM IST

Updated : Oct 13, 2019, 7:01 AM IST

मुजफ्फरपुर: जिले के सीजेएम कोर्ट के आदेश के बाद 49 फिल्म हस्तियों पर दर्ज मुकदमा पुलिस बनाम वकील के बीच उलझ गया है. इस मामले की जांच करते हुए जहां एक ओर एसएसपी मनोज कुमार ने इसे फर्जी करार दिया है. वहीं, दूसरी ओर परिवादी अधिवक्ता सुधीर ओझा ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं.

रामचंद्र गुहा, मणिरत्नम, श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप समेत 49 हस्तियों पर दर्ज मुकदमे के मामले में परिवादी अधिवक्ता सुधीर ओझा के खिलाफ पुलिस ने अभियोजन का आदेश दिया था. इस बाबत अधिवक्ता का कहना है कि ऐसे गंभीर मामले का पुलिस ने सही तरीके से अनुसंधान नहीं किया.

'इतनी जल्दी कैसे हो गई जांच'
वकील सुधीर कुमार ओझा ने प्रेस वार्ता कर कहा कि पुलिस को जैसी भी जांच रिपोर्ट या चार्जशीट कोर्ट में जमा करनी है करें. वो अपना पक्ष कोर्ट में रखेंगे. पुलिस को केवल अनुसंधान का अधिकार है, फैसला या आदेश कोर्ट को देना होता है. ओझा ने कहा कि मैंने सभी साक्ष्य पुलिस को दिए और इस संदर्भ में पुलिस ने बताया कि उन्हें साक्ष्य नहीं मिले. उन्होंने कहा कि दस साल से जिले में सैकड़ों केस अनुसंधान के लिए लंबित हैं. इस केस का सुपरविजन आनन-फानन एक सप्ताह के भीतर कैसे कर लिया गया है. ये आश्चर्य की बात है. इससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठता है. इसके खिलाफ कोर्ट में विरोध पत्र दाखिल किया जाएगा.

मुजफ्फरपुर से धीरज कुमार की रिपोर्ट

पुलिसिया कार्रवाई...
वकील सुधीर ओझा ने 49 फिल्मी हस्तियों पर कई धाराओं के तहत तीन अक्टूबर को परिवाद दर्ज कराया था. इसके बाद सीजेएम कोर्ट से पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया था. पुलिस ने अनुसंधान के बाद मुकदमे को असत्य करार दिया है और कोर्ट से मुकदमे को बंद करने की अपील की. एससपी मनोज ने इस मामले की छानबीन की है. जांच में याचिकाकर्ता सुधीर कुमार ओझा की तरफ से अपनी ही शिकायत के पक्ष में जरूरी साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराए जाने की बात कही.

'तथ्यहीन और आधारहीन है मामला'
एसएसपी मनोज के मुताबिक पुलिस ने बेहद गंभीरता से मामले का अनुसंधान किया. अनुसंधान में हमने पाया कि ओझा की शिकायत तथ्यहीन, आधारहीन, साक्ष्यविहीन और दुर्भावनापूर्ण है. इसीलिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए हम आईपीसी की धारा 211/182 के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

49 हस्तियों पर परिवाद का मामला...
मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखने वाले 49 नामी लोगों के खिलाफ 3 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर में केस दर्ज किया गया था. स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से 2 महीने पहले दायर याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी के आदेश के बाद मामला दर्ज किया गया था.

लगाया था ये आरोप..
आरोप था कि इन लोगों ने मॉब लिंचिंग और असहिष्णुता को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, और इस बात की गोपनीयता को भंग करते हुए इसका काफी प्रचार-प्रसार भी किया था. इससे विदेशों में देश की छवि खराब हुई. उन लोगों ने अलगाववादियों के साथ मिलकर देश को विखंडित करने का काम किया है.

'देश को विभाजित करने की कोशिश'
याचिकाकर्ता ने परिवाद दायर करने के दौरान बताया था कि इन 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि इन दिनों ‘जय श्री राम’ हिंसा भड़काने का एक नारा बन गया है. इसके नाम पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं. इन मामलों पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए. यही नहीं, इसमें मुसलमानों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हुई लिंचिंग का जिक्र करते हुए एनसीआरबी के एक डाटा का भी हवाला दिया गया था. इस पत्र के माध्यम से देश को विभाजित करने की कोशिश की गई है.

मुजफ्फरपुर: जिले के सीजेएम कोर्ट के आदेश के बाद 49 फिल्म हस्तियों पर दर्ज मुकदमा पुलिस बनाम वकील के बीच उलझ गया है. इस मामले की जांच करते हुए जहां एक ओर एसएसपी मनोज कुमार ने इसे फर्जी करार दिया है. वहीं, दूसरी ओर परिवादी अधिवक्ता सुधीर ओझा ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं.

रामचंद्र गुहा, मणिरत्नम, श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप समेत 49 हस्तियों पर दर्ज मुकदमे के मामले में परिवादी अधिवक्ता सुधीर ओझा के खिलाफ पुलिस ने अभियोजन का आदेश दिया था. इस बाबत अधिवक्ता का कहना है कि ऐसे गंभीर मामले का पुलिस ने सही तरीके से अनुसंधान नहीं किया.

'इतनी जल्दी कैसे हो गई जांच'
वकील सुधीर कुमार ओझा ने प्रेस वार्ता कर कहा कि पुलिस को जैसी भी जांच रिपोर्ट या चार्जशीट कोर्ट में जमा करनी है करें. वो अपना पक्ष कोर्ट में रखेंगे. पुलिस को केवल अनुसंधान का अधिकार है, फैसला या आदेश कोर्ट को देना होता है. ओझा ने कहा कि मैंने सभी साक्ष्य पुलिस को दिए और इस संदर्भ में पुलिस ने बताया कि उन्हें साक्ष्य नहीं मिले. उन्होंने कहा कि दस साल से जिले में सैकड़ों केस अनुसंधान के लिए लंबित हैं. इस केस का सुपरविजन आनन-फानन एक सप्ताह के भीतर कैसे कर लिया गया है. ये आश्चर्य की बात है. इससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठता है. इसके खिलाफ कोर्ट में विरोध पत्र दाखिल किया जाएगा.

मुजफ्फरपुर से धीरज कुमार की रिपोर्ट

पुलिसिया कार्रवाई...
वकील सुधीर ओझा ने 49 फिल्मी हस्तियों पर कई धाराओं के तहत तीन अक्टूबर को परिवाद दर्ज कराया था. इसके बाद सीजेएम कोर्ट से पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया था. पुलिस ने अनुसंधान के बाद मुकदमे को असत्य करार दिया है और कोर्ट से मुकदमे को बंद करने की अपील की. एससपी मनोज ने इस मामले की छानबीन की है. जांच में याचिकाकर्ता सुधीर कुमार ओझा की तरफ से अपनी ही शिकायत के पक्ष में जरूरी साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराए जाने की बात कही.

'तथ्यहीन और आधारहीन है मामला'
एसएसपी मनोज के मुताबिक पुलिस ने बेहद गंभीरता से मामले का अनुसंधान किया. अनुसंधान में हमने पाया कि ओझा की शिकायत तथ्यहीन, आधारहीन, साक्ष्यविहीन और दुर्भावनापूर्ण है. इसीलिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए हम आईपीसी की धारा 211/182 के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

49 हस्तियों पर परिवाद का मामला...
मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखने वाले 49 नामी लोगों के खिलाफ 3 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर में केस दर्ज किया गया था. स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से 2 महीने पहले दायर याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी के आदेश के बाद मामला दर्ज किया गया था.

लगाया था ये आरोप..
आरोप था कि इन लोगों ने मॉब लिंचिंग और असहिष्णुता को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, और इस बात की गोपनीयता को भंग करते हुए इसका काफी प्रचार-प्रसार भी किया था. इससे विदेशों में देश की छवि खराब हुई. उन लोगों ने अलगाववादियों के साथ मिलकर देश को विखंडित करने का काम किया है.

'देश को विभाजित करने की कोशिश'
याचिकाकर्ता ने परिवाद दायर करने के दौरान बताया था कि इन 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि इन दिनों ‘जय श्री राम’ हिंसा भड़काने का एक नारा बन गया है. इसके नाम पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं. इन मामलों पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए. यही नहीं, इसमें मुसलमानों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हुई लिंचिंग का जिक्र करते हुए एनसीआरबी के एक डाटा का भी हवाला दिया गया था. इस पत्र के माध्यम से देश को विभाजित करने की कोशिश की गई है.

Intro:मुज़फ़्फ़रपुर जिले में दर्ज 49 फ़िल्म हस्तियों पर मुकदमा ने पुलिस बनाम वकील के बीच उलझ गया है , एसएसपी मनोज कुमार ने अपने जांच में मुकदमा को फर्जी करार दिया ,वही परिवादी अधिवक्ता ने प्रेस वार्ता कर बिहार पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैंBody:मुज़फ्फरपुर में दर्ज 49 फिल्मी हस्तियों पर दर्ज मामला ने तूल पकड़ लिया है वो है भीड़ के हाथों होने वाली हिंसा यानी मॉब लिंचिग के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी के नाम चिट्ठी लिखने वाली 49 जानी-मानी हस्तियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज कराने वाले मुकदमे से। ओझा ने इन पर कई धाराओं के तहत तीन अक्टूबर को एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसे पुलिस ने अनुसंधान के बाद असत्य करार दिया है और कोर्ट से मुकदमे को बंद करने की अपील की है बता दें कि रामचंद्र गुहा, मणिरत्नम, श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप और शुभा मुद्गल समेत 49 हस्तियों ने इसी साल जुलाई में देश में मॉब लिंचिंग की घटनाओं और जय श्रीराम नारे के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री मोदी को एक खुला पत्र लिखा था।
प्रधानमंत्री के नाम लिखे गए पत्र में कहा गया था कि देश भर में लोगों को जय श्रीराम नारे के आधार पर उकसाने का काम किया जा रहा है। साथ ही दलित, मुस्लिम और दूसरे कमजोर तबकों की मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की गई थी। वैसे उस चिट्ठी के बाद एक जवाबी चिट्ठी 61 अन्य जानी-मानी हस्तियों की ओर से भी लिखी गई थी जिसमें इसे केंद्र सरकार को बदनाम करने का प्रयास बताया गया था। इसके बाद इन  49 हस्तियों पर देशद्रोह के आरोप लगे थे।  मुज़फ़्फ़रपुर सीजेएम कोर्ट से मिले आदेश के बाद इन 49 हस्तियों के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच की गई जिसके बाद पुलिस ने इस शिकायत को 'बेबुनियाद और निराधार' बताया है। मुज़फ़्फ़रपुर के सीनियर एसपी मनोज ने इस मामले की छानबीन की है और जांच में याचिकाकर्ता सुधीर कुमार ओझा की तरफ से अपनी ही शिकायत के पक्ष में जरूरी साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराए गए।
उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा बेहद गंभीरता से मामले का अनुसंधान किया गया और हमने पाया कि ओझा की शिकायत तथ्यहीन, आधारहीन, साक्ष्यविहीन और दुर्भावनापूर्ण है। इसीलिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए हम आईपीसी की धारा 211/182 के तहत याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ कार्रवाई की अदालत से मांग की है ।

दूसरी तरफ वकील सुधीर कुमार ओझा ने प्रेस वार्ता कर कहा कि पुलिस को जैसी भी जांच रिपोर्ट या चार्जशीट कोर्ट में जमा करनी है करें, वे अपना पक्ष कोर्ट में रखेंगे। पुलिस को केवल अनुसंधान का अधिकार है, फैसला या आदेश कोर्ट को देना होता है। ओझा ने कहा कि एेसे गंभीर मामले का पुलिस ने सही तरीके से अनुसंधान नहीं किया। मैंन तो सभी साक्ष्य पुलिस को दिए और उसके बारे में पुलिस द्वारा बताया गया कि साक्ष्य नहीं मिले हैं।'
उन्होंने कहा कि दस साल से जिले में सैकड़ों केस अनुसंधान के लिए लंबित हैं। इस केस का सुपरविजन आनन-फानन एक सप्ताह के भीतर कैसे कर लिया गया है, ये आश्चर्य की बात है। इससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठता है। इसके खिलाफ कोर्ट में विरोध पत्र दाखिल किया
Byte सुधीर ओझा परिवादी अधिवक्ता मुज़फ़्फ़रपुर Conclusion:आजकल मुज़फ़्फ़रपुर जिले की चर्चा देश की बड़ी हस्तियों पर दायर किए जाने वाले मुकदमों को लेकर भी हो रही है। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन हों या पाकिस्तान के पीएम इमरान खान, देश-विदेश की कई शख्सियतों के खिलाफ यहां केस दर्ज हो चुका है।
Last Updated : Oct 13, 2019, 7:01 AM IST
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