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AES in Bihar: चमकी बुखार से ठीक हो चुके बच्चों की होगी निगरानी, किया जाएगा नियमित स्वास्थ्य जांच

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (AES in Muzaffarpur) का नाम आते ही लोगों का कलेजा कांप उठता है. मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाके में जैसे ही गर्मी और उमस बढ़ती है, वैसे ही इस बीमारी से बच्चे ग्रसित होने लगते हैं. प्रतिवर्ष इस बीमारी से बच्चों की मौत होती है. इस बार एईएस से ठीक हो चुके बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच होगी. पढ़ें पूरी खबर

चमकी बुखार से ठीक हो चुके बच्चों की होगी निगरानी
चमकी बुखार से ठीक हो चुके बच्चों की होगी निगरानी
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Published : May 4, 2022, 2:06 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) (Chamki bukhar in Muzaffarpur) बीमारी से ठीक हो चुके बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच होगी. परिजनों का कहना है कि एईएस (Acute Encephalitis Syndrome) से ठीक हो चुके बच्चों के ठीक हो जाने के बाद भी मरीजों की परेशानी पूरी तरह समाप्त नहीं हो रही है. मुजफ्फरपुर के सूचना जनसंपर्क अधिकारी कमल सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारियों और प्रखंड विकास पदाधिकारियों को इसे लेकर निर्देश दिया है.

ये भी पढ़ें : मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार, लोगों से अपील- बच्चों का रखें विशेष ख्याल

''स्वास्थ्य जांच में देखा जाएगा कि एईएस से ठीक हो चुके बच्चों की क्या स्थिति है और उन्हें कोई समस्या तो नहीं है. परीक्षण के दौरान यह भी देखा जाएगा कि मरीजों के ठीक होने के बाद तुरंत फिर से उनकी तबीयत तो नहीं खराब हो रही है. जांच के दौरान एईएस से उसके स्वास्थ्य पर क्या असर डाला और उसके वजन में क्या अंतर आया है, इसकी भी जांच की जाएगी.'' - कमल सिंह, पीआरओ, मुजफ्फरपुर

AES से दो की मौत, एक बच्चा शिशु वार्ड में भर्ती : कमल सिंह ने बताया कि इस साल एईएस से ठीक होने वाले मरीजों का प्रतिशत 95 प्रतिशत से ऊपर है. उन्होंने कहा कि अब तक एईएस बीमारी से पीड़ित 25 बच्चे श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (एसकेएमसीएच) में भर्ती हुए हैं, जिसमें से दो की मौत हो चुकी है. फिलहाल एक मरीज शिशु वार्ड में भर्ती है, शेष सभी मरीज स्वस्थ्य होकर वापस घर जा चुके हैं. इधर, मरीज के परिजनों का कहना है कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी बच्चों में कुछ परेशानी रह जा रही है.

ये भी पढ़ें : चमकी से निपटने की तैयारी, बच्चों की जान बचाने के लिए जागरुकता अभियान पर जोर

मुजफ्फरपुर चमकी से सबसे ज्यादा प्रभावित : मुजफ्फरपुर जिले में खासकर मीनापुर, कांटी, मुसहरी और पारू प्रखंड के कई गांवों में इस बीमारी ने लोगों को खासा परेशान किया है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर ग्रामीणों क्षेत्रों में जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन आजतक इस बीमारी से निजात दिलाने में सफलता नहीं मिली है. राहत की बात है कि पिछले साल इस बीमारी के कम मरीज सामने आए हैं.

ये भी पढ़ें : चमकी बुखार से कैसे निपटेगा ANMMCH? महत्वपूर्ण मार्कल वायरल मशीन नहीं है उपलब्ध

क्या होता है चमकी बुखार? : गर्मी आते ही एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का डर बिहार को जकड़ने लगता है, खासकर राज्य के उत्तरी हिस्से में, जो मुख्य रूप से गर्मी की शुरुआत के साथ बच्चों में देखने को मिलता है. एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है. अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं. हालांकि इस वर्ष मरीजों की संख्या में कमी देखी जा रही है.

चमकी को लेकर नीतीश कुमार ने दिए थे निर्देश : माना जा रहा है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के कारण इस बीमारी को लेकर लोग जागरूक हुए हैं. पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एईएस को लेकर एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की थी. जिसमें अधिकारियों को यह निर्देश दिया था कि लोगों को इसके लक्षणों और इलाज के प्रति जागरूक करें. इसके लिए व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलाएं.

चमकी बुखार के लक्षण: इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को आम भाषा में दिमागी बुखार कहा जाता है. इसकी वजह वायरस को माना जाता है. इस वायरस का नाम इंसेफेलाइटिस वाइरस है. इसे अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) भी कहा जाता है. एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है. अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है. इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं.

इन बातों का रखें ध्यान : बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें. मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें. तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें. बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे. अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं. पीएचसी, आशा, सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी. एम्बुलेंस से बच्चे को एसकेएमीएच में इलाज के लिए लाने में कोई परेशानी नहीं होगी. चमकी व तेज बुखार बीमारी है यह देवता व भूत प्रेत का लक्षण नहीं है. ओझा से झाड़-फूंक करवाने की जगह सरकारी अस्पताल लेकर बच्चे को जाएं.

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मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) (Chamki bukhar in Muzaffarpur) बीमारी से ठीक हो चुके बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच होगी. परिजनों का कहना है कि एईएस (Acute Encephalitis Syndrome) से ठीक हो चुके बच्चों के ठीक हो जाने के बाद भी मरीजों की परेशानी पूरी तरह समाप्त नहीं हो रही है. मुजफ्फरपुर के सूचना जनसंपर्क अधिकारी कमल सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारियों और प्रखंड विकास पदाधिकारियों को इसे लेकर निर्देश दिया है.

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''स्वास्थ्य जांच में देखा जाएगा कि एईएस से ठीक हो चुके बच्चों की क्या स्थिति है और उन्हें कोई समस्या तो नहीं है. परीक्षण के दौरान यह भी देखा जाएगा कि मरीजों के ठीक होने के बाद तुरंत फिर से उनकी तबीयत तो नहीं खराब हो रही है. जांच के दौरान एईएस से उसके स्वास्थ्य पर क्या असर डाला और उसके वजन में क्या अंतर आया है, इसकी भी जांच की जाएगी.'' - कमल सिंह, पीआरओ, मुजफ्फरपुर

AES से दो की मौत, एक बच्चा शिशु वार्ड में भर्ती : कमल सिंह ने बताया कि इस साल एईएस से ठीक होने वाले मरीजों का प्रतिशत 95 प्रतिशत से ऊपर है. उन्होंने कहा कि अब तक एईएस बीमारी से पीड़ित 25 बच्चे श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (एसकेएमसीएच) में भर्ती हुए हैं, जिसमें से दो की मौत हो चुकी है. फिलहाल एक मरीज शिशु वार्ड में भर्ती है, शेष सभी मरीज स्वस्थ्य होकर वापस घर जा चुके हैं. इधर, मरीज के परिजनों का कहना है कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी बच्चों में कुछ परेशानी रह जा रही है.

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मुजफ्फरपुर चमकी से सबसे ज्यादा प्रभावित : मुजफ्फरपुर जिले में खासकर मीनापुर, कांटी, मुसहरी और पारू प्रखंड के कई गांवों में इस बीमारी ने लोगों को खासा परेशान किया है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर ग्रामीणों क्षेत्रों में जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन आजतक इस बीमारी से निजात दिलाने में सफलता नहीं मिली है. राहत की बात है कि पिछले साल इस बीमारी के कम मरीज सामने आए हैं.

ये भी पढ़ें : चमकी बुखार से कैसे निपटेगा ANMMCH? महत्वपूर्ण मार्कल वायरल मशीन नहीं है उपलब्ध

क्या होता है चमकी बुखार? : गर्मी आते ही एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का डर बिहार को जकड़ने लगता है, खासकर राज्य के उत्तरी हिस्से में, जो मुख्य रूप से गर्मी की शुरुआत के साथ बच्चों में देखने को मिलता है. एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है. अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं. हालांकि इस वर्ष मरीजों की संख्या में कमी देखी जा रही है.

चमकी को लेकर नीतीश कुमार ने दिए थे निर्देश : माना जा रहा है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के कारण इस बीमारी को लेकर लोग जागरूक हुए हैं. पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एईएस को लेकर एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की थी. जिसमें अधिकारियों को यह निर्देश दिया था कि लोगों को इसके लक्षणों और इलाज के प्रति जागरूक करें. इसके लिए व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलाएं.

चमकी बुखार के लक्षण: इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को आम भाषा में दिमागी बुखार कहा जाता है. इसकी वजह वायरस को माना जाता है. इस वायरस का नाम इंसेफेलाइटिस वाइरस है. इसे अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) भी कहा जाता है. एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है. अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है. इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं.

इन बातों का रखें ध्यान : बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें. मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें. तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें. बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे. अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं. पीएचसी, आशा, सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी. एम्बुलेंस से बच्चे को एसकेएमीएच में इलाज के लिए लाने में कोई परेशानी नहीं होगी. चमकी व तेज बुखार बीमारी है यह देवता व भूत प्रेत का लक्षण नहीं है. ओझा से झाड़-फूंक करवाने की जगह सरकारी अस्पताल लेकर बच्चे को जाएं.

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