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बड़ी लापरवाहीः एक दिन में मोतियाबिंद का 65 ऑपरेशन, 13 की गई 'रोशनी', 7 की निकाली गई आंखें - मुजफ्फरपुर में कई लोगों की आंखें खराब

मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराए 65 लोगों में से 7 लोगों की आंखें निकालनी (Unsuccessful Cataract Surgery in Muzaffarpur) पड़ी है. कई अन्य लोगों की आंखें और निकाली जा सकती है. जानें पूरा मामला...

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Published : Nov 30, 2021, 5:22 PM IST

Updated : Nov 30, 2021, 10:36 PM IST

मुजफ्फरपुरः बिहार के मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन असफल होने के कारण 25 से ज्यादा लोगों की आंखें खराब ( Many people Lost Eyes in Muzaffarpur ) हो गई. अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की लापरवाही का नतीजा ये हुआ कि अब तक 7 लोगों की आंखें निकाली जा चुकी हैं. बाकी लोगों की आंखों में भी दर्द, जलन और दिखाई नहीं देने की समस्या बरकरार है.

इसे भी पढ़ें- मुजफ्फरपुरः मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराए 25 लोगों की आंखें हुई खराब, निकालनी पड़ी 4 की आंखें

जिन लोगों की आंखें निकाली जा चुकी है, सोमवार तक उनकी संख्या 4 थी. मगर अब यह संख्या बढ़कर 7 हो गई है. जिले के असिस्टेंट चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. एसपी सिंह के अनुसार अब तक 13 लोगों की आंखें खराब हुई हैं. इनमें से 7 की आंखें निकाली गई हैं, जबकि 6 मरीजों को हैवी मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए भेजा गया है.

"आज हमारे संज्ञान में यह मामला आया है. वहां अधिकारी सारे विषयों को देख रहे हैं. मंत्री होने के नाते टिप्पणी तो तभी करूंगा जब विषय साक्ष्य के साथ आ जाए. यह जांच का विषय है. यदि किसी ने गलती की होगी तो वह बचेगा नहीं."- मंगल पांडेय, स्वास्थ्य मंत्री, बिहार

"प्रथम दृष्ट्या अस्पताल से अभी जो खबर मिली है, अस्पताल के लोगों ने बताया है कि चार ऐसे मरीजों की आंखों को निकाला गया है. जांच के लिए एसकेएमसीएच के नेत्र विभाग के लोगों को भी बुलाया गया था, उनके द्वारा तीन आंखें निकाली गई है. अब तक कुल सात आंखें निकाली गई हैं. 6 संक्रमितों को एंबुलेंस से मेडिकल भेजा गया है. उनकी आंखों को बचाने के लिए हैवी ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल तैयार किया है. 22 नवंबर को 65 लोगों की आँखों का ऑपरेशन किया गया है और लेंस लगाया गया है."- डॉ. एसपी सिंह, एसीएमओ, मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराए 7 लोगों की आंखें निकाली गई, एसीएमओ का बयान

"सात लोगों की आंख का इंफेक्शन के कारण निकाला गया है. 6 इंफेक्टेड संक्रमितों का इलाज एसकेएमसीएच में चल रहा है. दर्जनभर से अधिक लोग विभिन्न जगहों पर अपना इलाज करा रहे हैं. अस्पताल के ओटी को अगले आदेश तक OT (ऑपरेशन थियेटर) को बंद रखने का निर्देश दिया गया है. वहीं, सैंपलों को इकट्ठा कर जांच के लिए लैब भेजा गया है."- डॉ. विनय शर्मा, सिविल सर्जन, मुजफ्फरपुर

22 नवंबर को आई हॉस्पिटल के द्वारा करीब 25 लोगों की आंख का ऑपरेशन की ही बात चल रही थी लेकिन एसीएमओ के बयान के बाद इस मामले की गंभीरता और बढ़ गई है. एसीएमओ ने अपने बयान में कहा है कि उस दिन 65 लोगों का ऑपरेशन किया गया था. उन्होंने कहा कि आई हॉस्पीटल में दो ओटी है. जहां-जहां जरूरत समझा गया, संक्रमितों का सैंपल लिया गया. अब सभी लोगों को पूरा रिलीफ देने के लिए हम लोग प्रयास कर रहे हैं.

एसीएमओ के बयान के बाद पूरा स्वास्थ्य महकमा स्वास्थ्य के घेरे में आ गया है. दरअसल, मेडिकल कॉलेज के ही एक डॉक्टर ने बताया कि ऑपरेशन करने का एक गाइडलाइन है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश जारी कर चुका है. उन्होंने बताया कि एक दिन में एक डॉक्टर 12 से ज्यादा ऑपरेशन नहीं कर सकते हैं. लेकिन, एसीएमओ के बयान के अनुसार 22 नवंबर को एक दिन में 65 लोगों का ऑपरेशन किन परिस्थितियों में हुआ, यह जांच का विषय है.

देखें ऑपरेशन के बाद कैसे 25 लोगों की आंखें कैसे हुई खराब

इसे भी पढ़ें- मोतियाबिंद के ऑपरेशन से जिंदगी में छाया अंधेरा, जानें कहां और कैसे

बता दें कि सोमवार को इस मामले पर सिविल सर्जन डॉ. विनय शर्मा ने भी टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था "फोन से इसकी जानकारी मिली है. इसके लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है. टीम में शामिल डॉक्टर दो दिनों के भीतर यह रिपोर्ट देंगे कि आखिर ऑपरेशन प्रोटोकॉल का पालन किसने नहीं किया या किस कारण से नहीं किया गया. इस मामले में जो भी दोषी होंगे उनपर कठोर कार्रवाई की जाएगी."

दरअसल, यह पूरा मामला जिले के जुरण छपरा स्थित आई हॉस्पिटल का है. बीते 22 नवंबर को अस्पताल में विशेष मोतियाबिंद ऑपरेशन का कैंप लगाया गया था. इस दौरान दर्जनों महिला-पुरुषों ने अपनी आंख का ऑपरेशन कराया. लेकिन डॉक्टरों के द्वारा लापरवाही (Negligence of Eye Hospital in Muzaffarpur) बरती गई लापरवाही ने उन्हें हमेशा के लिए अंधा बना दिया.

"मोतियाबिंद का ऑपरेशन हमने कराया था लेकिन सफल नहीं हुआ. अभी बोला जा रहा है कि आपकी आंखें खराब हो चुकी है. आंख निकलवा देने में ही फायदा है नहीं तो दोनों आंखें खराब हो जाएगी."-राममूर्ति सिंह, पीड़ित मरीज

"हमने 22 तारीख को आंख का ऑपरेशन कराया था. इसके बाद रात में आंख और माथा में तेज दर्द हुआ. इसके बाद इंजेक्शन लगा दिया फिर 23 तारीख को नाम काट दिया गया. जब दर्द ठीक नहीं हुआ तो हमलोग फिर अस्पताल आए लेकिन यहां लोगों ने बहला-फुसलाकर पटना भेज दिया फिर इंफेक्शन है, ठीक हो जाएगा कहकर लौटा लाए. अब कहा जा रहा है कि आंख खराब हो गया है. कहा जा रहा है कि केस-मुकदमा करने पर कुछ नहीं होगा."- रंजना कुमारी, पीड़ित मरीज

आंख का ऑपरेशन कराए मरीजों ने बताया कि ऑपरेशन को एक सप्ताह भी नहीं बीते थे कि उनकी आंखों में जलन, दर्द और नहीं दिखने जैसी समस्याएं होने लगी. इसके बाद इन लोगों ने जब इसकी शिकायत आई हॉस्पिटल पहुंचकर चेकअप कराया तो डॉक्टरों ने इंफेक्शन की बात कही.

मरीजों और उनके परिजनों के पैरों तले जमीन तो तब खिसक गई जब डॉक्टरों ने उनसे कहा कि इंफेक्शन गंभीर हो गया है. उनकी आंखें अब निकालनी पड़ेगी. अन्यथा दोनों आंख खराब हो सकती है. इसके बाद अब तक 7 लोगों की आंखें निकाली भी जा चुकी है. इसके बाद अस्पताल में मरीज और उनके परिजनों ने हंगामा भी किया था.

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मुजफ्फरपुरः बिहार के मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन असफल होने के कारण 25 से ज्यादा लोगों की आंखें खराब ( Many people Lost Eyes in Muzaffarpur ) हो गई. अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की लापरवाही का नतीजा ये हुआ कि अब तक 7 लोगों की आंखें निकाली जा चुकी हैं. बाकी लोगों की आंखों में भी दर्द, जलन और दिखाई नहीं देने की समस्या बरकरार है.

इसे भी पढ़ें- मुजफ्फरपुरः मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराए 25 लोगों की आंखें हुई खराब, निकालनी पड़ी 4 की आंखें

जिन लोगों की आंखें निकाली जा चुकी है, सोमवार तक उनकी संख्या 4 थी. मगर अब यह संख्या बढ़कर 7 हो गई है. जिले के असिस्टेंट चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. एसपी सिंह के अनुसार अब तक 13 लोगों की आंखें खराब हुई हैं. इनमें से 7 की आंखें निकाली गई हैं, जबकि 6 मरीजों को हैवी मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए भेजा गया है.

"आज हमारे संज्ञान में यह मामला आया है. वहां अधिकारी सारे विषयों को देख रहे हैं. मंत्री होने के नाते टिप्पणी तो तभी करूंगा जब विषय साक्ष्य के साथ आ जाए. यह जांच का विषय है. यदि किसी ने गलती की होगी तो वह बचेगा नहीं."- मंगल पांडेय, स्वास्थ्य मंत्री, बिहार

"प्रथम दृष्ट्या अस्पताल से अभी जो खबर मिली है, अस्पताल के लोगों ने बताया है कि चार ऐसे मरीजों की आंखों को निकाला गया है. जांच के लिए एसकेएमसीएच के नेत्र विभाग के लोगों को भी बुलाया गया था, उनके द्वारा तीन आंखें निकाली गई है. अब तक कुल सात आंखें निकाली गई हैं. 6 संक्रमितों को एंबुलेंस से मेडिकल भेजा गया है. उनकी आंखों को बचाने के लिए हैवी ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल तैयार किया है. 22 नवंबर को 65 लोगों की आँखों का ऑपरेशन किया गया है और लेंस लगाया गया है."- डॉ. एसपी सिंह, एसीएमओ, मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराए 7 लोगों की आंखें निकाली गई, एसीएमओ का बयान

"सात लोगों की आंख का इंफेक्शन के कारण निकाला गया है. 6 इंफेक्टेड संक्रमितों का इलाज एसकेएमसीएच में चल रहा है. दर्जनभर से अधिक लोग विभिन्न जगहों पर अपना इलाज करा रहे हैं. अस्पताल के ओटी को अगले आदेश तक OT (ऑपरेशन थियेटर) को बंद रखने का निर्देश दिया गया है. वहीं, सैंपलों को इकट्ठा कर जांच के लिए लैब भेजा गया है."- डॉ. विनय शर्मा, सिविल सर्जन, मुजफ्फरपुर

22 नवंबर को आई हॉस्पिटल के द्वारा करीब 25 लोगों की आंख का ऑपरेशन की ही बात चल रही थी लेकिन एसीएमओ के बयान के बाद इस मामले की गंभीरता और बढ़ गई है. एसीएमओ ने अपने बयान में कहा है कि उस दिन 65 लोगों का ऑपरेशन किया गया था. उन्होंने कहा कि आई हॉस्पीटल में दो ओटी है. जहां-जहां जरूरत समझा गया, संक्रमितों का सैंपल लिया गया. अब सभी लोगों को पूरा रिलीफ देने के लिए हम लोग प्रयास कर रहे हैं.

एसीएमओ के बयान के बाद पूरा स्वास्थ्य महकमा स्वास्थ्य के घेरे में आ गया है. दरअसल, मेडिकल कॉलेज के ही एक डॉक्टर ने बताया कि ऑपरेशन करने का एक गाइडलाइन है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश जारी कर चुका है. उन्होंने बताया कि एक दिन में एक डॉक्टर 12 से ज्यादा ऑपरेशन नहीं कर सकते हैं. लेकिन, एसीएमओ के बयान के अनुसार 22 नवंबर को एक दिन में 65 लोगों का ऑपरेशन किन परिस्थितियों में हुआ, यह जांच का विषय है.

देखें ऑपरेशन के बाद कैसे 25 लोगों की आंखें कैसे हुई खराब

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बता दें कि सोमवार को इस मामले पर सिविल सर्जन डॉ. विनय शर्मा ने भी टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था "फोन से इसकी जानकारी मिली है. इसके लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है. टीम में शामिल डॉक्टर दो दिनों के भीतर यह रिपोर्ट देंगे कि आखिर ऑपरेशन प्रोटोकॉल का पालन किसने नहीं किया या किस कारण से नहीं किया गया. इस मामले में जो भी दोषी होंगे उनपर कठोर कार्रवाई की जाएगी."

दरअसल, यह पूरा मामला जिले के जुरण छपरा स्थित आई हॉस्पिटल का है. बीते 22 नवंबर को अस्पताल में विशेष मोतियाबिंद ऑपरेशन का कैंप लगाया गया था. इस दौरान दर्जनों महिला-पुरुषों ने अपनी आंख का ऑपरेशन कराया. लेकिन डॉक्टरों के द्वारा लापरवाही (Negligence of Eye Hospital in Muzaffarpur) बरती गई लापरवाही ने उन्हें हमेशा के लिए अंधा बना दिया.

"मोतियाबिंद का ऑपरेशन हमने कराया था लेकिन सफल नहीं हुआ. अभी बोला जा रहा है कि आपकी आंखें खराब हो चुकी है. आंख निकलवा देने में ही फायदा है नहीं तो दोनों आंखें खराब हो जाएगी."-राममूर्ति सिंह, पीड़ित मरीज

"हमने 22 तारीख को आंख का ऑपरेशन कराया था. इसके बाद रात में आंख और माथा में तेज दर्द हुआ. इसके बाद इंजेक्शन लगा दिया फिर 23 तारीख को नाम काट दिया गया. जब दर्द ठीक नहीं हुआ तो हमलोग फिर अस्पताल आए लेकिन यहां लोगों ने बहला-फुसलाकर पटना भेज दिया फिर इंफेक्शन है, ठीक हो जाएगा कहकर लौटा लाए. अब कहा जा रहा है कि आंख खराब हो गया है. कहा जा रहा है कि केस-मुकदमा करने पर कुछ नहीं होगा."- रंजना कुमारी, पीड़ित मरीज

आंख का ऑपरेशन कराए मरीजों ने बताया कि ऑपरेशन को एक सप्ताह भी नहीं बीते थे कि उनकी आंखों में जलन, दर्द और नहीं दिखने जैसी समस्याएं होने लगी. इसके बाद इन लोगों ने जब इसकी शिकायत आई हॉस्पिटल पहुंचकर चेकअप कराया तो डॉक्टरों ने इंफेक्शन की बात कही.

मरीजों और उनके परिजनों के पैरों तले जमीन तो तब खिसक गई जब डॉक्टरों ने उनसे कहा कि इंफेक्शन गंभीर हो गया है. उनकी आंखें अब निकालनी पड़ेगी. अन्यथा दोनों आंख खराब हो सकती है. इसके बाद अब तक 7 लोगों की आंखें निकाली भी जा चुकी है. इसके बाद अस्पताल में मरीज और उनके परिजनों ने हंगामा भी किया था.

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Last Updated : Nov 30, 2021, 10:36 PM IST

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