मुजफ्फरपुर: जाको राखे साईंयां मार सके न कोय, ये कहावत उत्तराखंड टनल हादसे में फंसे मजदूरों पर सटीक बैठती है. उस टनल हादसे से सभी 41 मजदूरों ने मौत को मात देने में सफलता हासिल की है. बिहार के भी 5 मजदूर सही सलामत अपने प्रदेश पहुंच गए हैं. वहीं मुजफ्फरपुर का रहने वाला दीपक भी टनल से सुरक्षित निकल कर अपने गांव पहुंचा. दीपक के गांव पहुंचते ही खुशी का माहौल बन गया. ग्रामीणों ने दीपक को फूल-मालाओं से लाद दिया.
दीपक के लौटने से गांव में खुशी: टनल में फंसे मजदूर दीपक के वापस लौटने के बाद उसके परिजनों के साथ-साथ पूरे गांव में जश्न का माहौल है. दीपक जिले के गिजास गांव का रहने वाला है. इस दौरान दीपक ने बताया कि कैसे उसने टनल के अंदर जींदगी और मौत के बीच की जंग जीतने में सफलता हासिल की. दीपक को देखने और सुनने के लिए लोगों की भीड़ लग गई.
'लोगों की दुआ का दिखा असर': दीपक ने कहा कि बाहर आकर बहुत अच्छा लग रहा है. कहा कि लोगों की दुआएं काम आई है कि आज सभी लोग सुरक्षित बाहर निकल गए. दीपक ने बताया कि बाहर किसी से संपर्क नहीं होने से पहले तो दो दिनों तक काफी डर लग रहा था. लेकिन धीरे-धीरे व्यवस्था होती गई. जिससे सब कुछ सामान्य हो गया.
मजदूरों को दी गई सहायता राशि: दीपक ने बताया कि टनल से निकलने के बाद उत्तराखंड सरकार की एक टूरिस्ट बस बिहार के सभी पांच मजदूरों को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो गई थी. जहां से फिर बिहार के लिए सभी रवाना हो गए. पांचों मजदूर पटना होते हुए अपने-अपने घर निकल गए. सभी मजदूरों को उनकी कंपनी ने दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि दी है. जबकि उत्तराखंड सरकार ने एक-एक लाख रुपए का चेक दिया है.
"टनल हादसे के शुरूआती के दो दिन में काफी डर लग रहा था. दो दिनों तक किसी ने कुछ नहीं खाया-पिया. तीसरे दिन से पाइप के माध्यम से जब हवा और बातचीत होने लगी, तो जान में जान आई. पहले मूढ़ी भेजी गई और उसके बाद किशमिश, काजू जैसे ड्राइफ्रूट्स और खाना भेजा गए. इन्हीं के सहारे 14 तारीख से टनल से निकलने के दिन तक जिंदा रहे."- दीपक, टनल हादसे में फंसा मजदूर