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मुजफ्फरपुर में भारत बंद का असर, RJD ने NH 28 और 57 को किया जाम

राज्य के विभिन्न जिलों में भारत बंद का असर देखने को मिल रहा है. मुजफ्फरपुर में राजद विधायक इसराइल मंसूरी के नेतृत्व में राष्ट्रीय राजमार्ग को बाधित किया गया. आगे पढ़ें पूरी खबर...

bharat bandh
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Published : Sep 27, 2021, 10:33 AM IST

मुजफ्फरपुर : संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर बुलाए गए भारत बंद (Bharat Bandh) का असर मुजफ्फरपुर में भी दिखने लगा है. किसानों के समर्थन में महागठबंधन के नेता भी सड़कों पर उतर चुके हैं. भारत बंद को लेकर महागठबंधन के नेता कांटी थाना क्षेत्र के सुधा डेयरी के समीप टायर जलाकर राष्ट्रीय राजमार्ग 28 को जाम कर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस वजह से फिलहाल हाईवे पर वाहनों का परिचालन बाधित हो गया है.

ये भी पढ़ें- भारत बंद के समर्थन में मसौढ़ी में प्रदर्शन, पटना-गया NH-83 जाम

भारत बंद को लेकर राजद के कार्यकर्ता सुबह से ही सड़कों पर उतरे हुए हैं. मुजफ्फरपुर के जीरो माईल पर भी नेशनल हाईवे को जाम कर दिया गया है. इससे एनएच 57 पर भी वाहनों का परिचालन का ठप हो गया है. बंद के दौरान राजद के विधायक इसराइल मंसूरी और पार्टी के जिला अध्यक्ष रमेश गुप्ता भी सड़क पर उतरे हुए हैं. राजद नेताओं ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार नए कृषि कानून को वापस नहीं ले लेती है, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.

देखें वीडियो.
जानें क्या हैं तीनों कृषि कानून जिसका किसान विरोध कर रहे हैं.

1. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020: इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. बिना किसी रुकावट दूसरे रोज्यों में फसल बेच और खरीद सकते हैं. इसका मतलब एपीएमसी (एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी -Agriculture Marketing Produce Committee) के दायरे से बाहर भी फसलों की खरीद-बिक्री की जा सकती है. साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी. इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे.

2. मूल्य आश्वासन व कृषि सेवा कानून 2020: देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी. किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलिया राज ख्त्म होगा.

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020: आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है. बहुत जरूरी होने पर ही स्टॉक लिमिट लगाई जाएगी. ऐसी स्थितियों में राष्ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियां शामिल हैं. प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.

मुजफ्फरपुर : संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर बुलाए गए भारत बंद (Bharat Bandh) का असर मुजफ्फरपुर में भी दिखने लगा है. किसानों के समर्थन में महागठबंधन के नेता भी सड़कों पर उतर चुके हैं. भारत बंद को लेकर महागठबंधन के नेता कांटी थाना क्षेत्र के सुधा डेयरी के समीप टायर जलाकर राष्ट्रीय राजमार्ग 28 को जाम कर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस वजह से फिलहाल हाईवे पर वाहनों का परिचालन बाधित हो गया है.

ये भी पढ़ें- भारत बंद के समर्थन में मसौढ़ी में प्रदर्शन, पटना-गया NH-83 जाम

भारत बंद को लेकर राजद के कार्यकर्ता सुबह से ही सड़कों पर उतरे हुए हैं. मुजफ्फरपुर के जीरो माईल पर भी नेशनल हाईवे को जाम कर दिया गया है. इससे एनएच 57 पर भी वाहनों का परिचालन का ठप हो गया है. बंद के दौरान राजद के विधायक इसराइल मंसूरी और पार्टी के जिला अध्यक्ष रमेश गुप्ता भी सड़क पर उतरे हुए हैं. राजद नेताओं ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार नए कृषि कानून को वापस नहीं ले लेती है, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.

देखें वीडियो.
जानें क्या हैं तीनों कृषि कानून जिसका किसान विरोध कर रहे हैं.

1. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020: इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. बिना किसी रुकावट दूसरे रोज्यों में फसल बेच और खरीद सकते हैं. इसका मतलब एपीएमसी (एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी -Agriculture Marketing Produce Committee) के दायरे से बाहर भी फसलों की खरीद-बिक्री की जा सकती है. साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी. इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे.

2. मूल्य आश्वासन व कृषि सेवा कानून 2020: देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी. किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलिया राज ख्त्म होगा.

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020: आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है. बहुत जरूरी होने पर ही स्टॉक लिमिट लगाई जाएगी. ऐसी स्थितियों में राष्ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियां शामिल हैं. प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.

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