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बिहार में गर्मी, उमस बढ़ते ही मुजफ्फरपुर को डराने लगा एईएस

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के मामले फिर से बढ़ने (AES Cases in muzaffarpur) लगे हैं. हाल ही में दो बच्चों को श्रीकृष्ण सिंह मेडिकल कॉलेज (SKMCH) के पीकू वार्ड में भर्ती किया गया. अस्पताल के उपाधीक्षक सह शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि जनवरी से अब तक 10 बच्चे अस्पताल में भर्ती हुए थे. सभी बच्चों में चमकी बुखार के लक्षण पाए गए थे.

AES cases increase in bihar
AES cases increase in bihar
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Published : Apr 9, 2022, 6:01 AM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार में गर्मी और उमस के बढ़ने के बाद मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में एक बार फिर से बच्चों में होने वाली एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बीमारी के मरीज अस्पताल पहुंचने (Chamki Bukhar in Muzaffarpur) लगे. मुजफ्फरपुर श्रीकृष्ण मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, अब तक मुजफ्फरपुर और आसपास के जिले से एईएस के लक्षण वाले कुल 10 बच्चे भर्ती (AES Cases in muzaffarpur) हुए हैं.

ये भी पढ़ें - मुजफ्फरपुर में अब तक चमकी बुखार के दस मामले, दो बच्चे पीकू वार्ड में हैं इलाजरत

गर्मी बढ़ते ही बढ़ी परेशानी : एसकेएमसीएच के एईएस के नोडल अधिकारी और शिशु रोग विभागाध्यक्ष जी एस सहनी ने बताया कि फिलहाल गर्मी के मौसम में तापमान में वृद्धि की शुरूआत हुई है. उन्होंने कहा कि फिलहाल दो संदिग्ध मरीज भी भर्ती हैं. इसकी जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है. उन्होंने बताया कि कई जांच के बाद ही एईएस की पुष्टि होती है, जिसमें एक सप्ताह का भी समय लग जाता है. उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाके में जैसे ही गर्मी और उमस बढ़ती है, वैसे ही इस बीमारी से बच्चे ग्रसित होने लगते हैं. प्रतिवर्ष इस बीमारी से बच्चों की मौत होती है.

मुजफ्फरपुर चमकी से सबसे ज्यादा प्रभावित : मुजफ्फरपुर जिले में खासकर मीनापुर, कांटी, मुसहरी और पारू प्रखंड के कई गांवों में इस बीमारी ने लोगों को खासा परेशान किया है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर ग्रामीणों क्षेत्रों में जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन आजतक इस बीमारी से निजात दिलाने में सफलता नहीं मिली है. राहत की बात है कि पिछले साल इस बीमारी के कम मरीज सामने आए हैं.

चमकी बुखार में क्या होता है : एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है. अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं.

नीतीश कुमार ने की थी उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक : इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मंगलवार को एईएस की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिया कि लोगों को इसके लक्षणों और इलाज के प्रति जागरूक करें. इसके लिए व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलाएं. समीक्षा बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने एईएस के संबंध में अद्यतन स्थिति की विस्तार से जानकारी दी.

AES प्रभावित जिलों का दौरा : स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा है कि एईएस की रोकथाम को लेकर विभाग के तरफ से प्राथमिक उपचार पर विशेष बल दिया जा रहा है. शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों की टीम विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के नेतृत्व में एईएस प्रभावित विभिन्न जिलों में गई. अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के साथ राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय सिंह और विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर सहित अन्य वरीय अधिकारियों ने मुजफ्फरपुर समेत अन्य जिलों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया. वही एसकेएमसीएच के पीकू अस्पताल में एईएस को लेकर की गई तैयारियों की समीक्षा की और एसकेएमसीएच के अधीक्षक समेत बढ़िया चिकित्सकों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए. इन सबके अलावा टीम ने जिला प्रशासन के साथ भी एईएस की तैयारियों को लेकर चर्चा की.

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मुजफ्फरपुर: बिहार में गर्मी और उमस के बढ़ने के बाद मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में एक बार फिर से बच्चों में होने वाली एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बीमारी के मरीज अस्पताल पहुंचने (Chamki Bukhar in Muzaffarpur) लगे. मुजफ्फरपुर श्रीकृष्ण मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, अब तक मुजफ्फरपुर और आसपास के जिले से एईएस के लक्षण वाले कुल 10 बच्चे भर्ती (AES Cases in muzaffarpur) हुए हैं.

ये भी पढ़ें - मुजफ्फरपुर में अब तक चमकी बुखार के दस मामले, दो बच्चे पीकू वार्ड में हैं इलाजरत

गर्मी बढ़ते ही बढ़ी परेशानी : एसकेएमसीएच के एईएस के नोडल अधिकारी और शिशु रोग विभागाध्यक्ष जी एस सहनी ने बताया कि फिलहाल गर्मी के मौसम में तापमान में वृद्धि की शुरूआत हुई है. उन्होंने कहा कि फिलहाल दो संदिग्ध मरीज भी भर्ती हैं. इसकी जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है. उन्होंने बताया कि कई जांच के बाद ही एईएस की पुष्टि होती है, जिसमें एक सप्ताह का भी समय लग जाता है. उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाके में जैसे ही गर्मी और उमस बढ़ती है, वैसे ही इस बीमारी से बच्चे ग्रसित होने लगते हैं. प्रतिवर्ष इस बीमारी से बच्चों की मौत होती है.

मुजफ्फरपुर चमकी से सबसे ज्यादा प्रभावित : मुजफ्फरपुर जिले में खासकर मीनापुर, कांटी, मुसहरी और पारू प्रखंड के कई गांवों में इस बीमारी ने लोगों को खासा परेशान किया है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर ग्रामीणों क्षेत्रों में जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन आजतक इस बीमारी से निजात दिलाने में सफलता नहीं मिली है. राहत की बात है कि पिछले साल इस बीमारी के कम मरीज सामने आए हैं.

चमकी बुखार में क्या होता है : एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है. अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं.

नीतीश कुमार ने की थी उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक : इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मंगलवार को एईएस की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिया कि लोगों को इसके लक्षणों और इलाज के प्रति जागरूक करें. इसके लिए व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलाएं. समीक्षा बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने एईएस के संबंध में अद्यतन स्थिति की विस्तार से जानकारी दी.

AES प्रभावित जिलों का दौरा : स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा है कि एईएस की रोकथाम को लेकर विभाग के तरफ से प्राथमिक उपचार पर विशेष बल दिया जा रहा है. शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों की टीम विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के नेतृत्व में एईएस प्रभावित विभिन्न जिलों में गई. अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के साथ राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय सिंह और विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर सहित अन्य वरीय अधिकारियों ने मुजफ्फरपुर समेत अन्य जिलों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया. वही एसकेएमसीएच के पीकू अस्पताल में एईएस को लेकर की गई तैयारियों की समीक्षा की और एसकेएमसीएच के अधीक्षक समेत बढ़िया चिकित्सकों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए. इन सबके अलावा टीम ने जिला प्रशासन के साथ भी एईएस की तैयारियों को लेकर चर्चा की.

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