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मुजफ्फरपुर में AES का कहर, मासूमों के परिजनों को किसी 'भगवान' का इंतजार

तीन दिन पहले ही शाहबानो ने अपनी फूल-सी प्यारी बच्ची को अधिक तबियत खराब होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराई थी, परंतु चिकित्सक उसे नहीं बचा सके. अब तो शाहबानो की मानो दुनिया ही उजड़ गई है.

acute encephalitis syndrome outbreak in bihar
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Published : Jun 11, 2019, 9:41 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेमोरियल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में बरूराज के पगठिया की रहने वाली आठ वर्षीय फरीदा की अम्मी शाहबानो के आंखों के आंसू रुक नहीं रहे हैं. उनकी फटी आंखें मानो गुजर चुकी फरीदा की पुरानी यादों को हर समय के लिए अपनी अंतरात्मा में बसा लेना चाहती हैं.

तीन दिन पहले ही शाहबानो ने अपनी फूल-सी प्यारी बच्ची को अधिक तबियत खराब होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराई थी, परंतु चिकित्सक उसे नहीं बचा सके. अब तो शाहबानो की मानो दुनिया ही उजड़ गई है.

'लोगों को भगवान का इंतजार, जो उनके बच्चे को ठीक कर दे'
इधर, पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल के पांच वर्षीय सोनू कुमार के पिता श्रीनिवास राय भी सोनू के लगातार चौंकने के कारण परेशान हैं. हालांकि, आसपास के लोग उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं कि अभी स्थिति ठीक है. बच्चे के पेट और सीने को बार-बार ठंडे पानी में कपड़ा भिगोकर धोया जा रहा है. चिकित्सक ग्लूकोज चढ़ा रहे हैं, परंतु उनके बगल के बेड पर भर्ती बच्चे के गुजर जाने के बाद उन्हें भी अपने बच्चे के बिछड़ जाने का डर सता रहा है. उन्हें अब किसी ऐसे भगवान का इंतजार है, जो उनके बच्चे को पूरी तरह स्वस्थ्य कर दें.

  • बच्चों की मौत पर बोले चौबे- 'चुनाव की व्यस्तता की वजह से अधिकारियों ने नहीं दिया ध्यान'
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कलेजे के टुकड़े को बचाने के लिए...
यह हाल पूरे एसकेएमसीएच में देखने को मिल रहा है. हर कोई अपने कलेजे के टुकड़े को बचाने के लिए अस्पताल के ट्रालीमैन तक के पैर पकड़ कर बच्चे को ठीक करने की गुहार लगा रहा है. अचानक क्षेत्र में 'चमकी बुखार' के कारण मरीजों की संख्या यहां बढ़ गई है.

खो चुके बच्चों की मांएं दहाड़ मार कर रो रही हैं
मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में अपने बच्चों को खो चुकी मांओं की दहाड़ सुन किसी भी व्यक्ति का कलेजा फट जा रहा है. खो चुके बच्चों की मांएं दहाड़ मार कर रो रही हैं, तो उनके पिता और परिजन उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं. बिहार में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी इस अज्ञात बीमारी से मरने वालों की संख्या 36 तक पहुंच गई है. हालांकि सरकार अभी 11 मौतों की ही बात कर रही है.

मुजफ्फरपुर में 11 बच्चों की मौत : मंगल पांडेय
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि मुजफ्फरपुर में 11 बच्चों की मौत हुई, जिसमें एक बच्चे की मौत एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से हुई है. उन्होंने कहा कि अन्य बच्चों की मौत हाइपोग्लाइसीमिया यानी अचानक शुगर की कमी से हुई है.

इधर, मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में संदिग्ध एईएस या चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या 36 तक पहुंच गई है.

  • चमकी बुखार को लेकर अजीबोगरीब बयान देने पर घिरे अश्विनी चौबे, कांग्रेस ने मांगा इस्तीफा https://t.co/1EdUiYAyGP

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एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ़ सुनील शाही ने बताया कि एसकेएमसीएच में मंगलवार को भी बुखार से पीड़ित बच्चे पहुंचे हैं, जिन्हें पीसीआईयू में भर्ती कराया गया है. उन्होंने कहा कि 'इस अस्पताल में अब तक 90 पीड़ित बच्चों को भर्ती कराया गया है, जिसमें से इलाज के दौरान 32 बच्चों की मौत हो चुकी है.'

उन्होंने कहा, 'इनमें से अधिकांश बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी अचानक शुगर की कमी और कुछ बच्चों के शरीर में सोडियम (नमक) की मात्रा भी कम पाई जा रही है. एईएस के संदिग्ध मरीजों का इलाज शुरू करने से पहले चिकित्सक उसकी जांच कराते हैं.' उन्होंने कहा, 'एईएस कोई बीमाारी नहीं है। इसमें कई 'डिजीज' पाए जाते हैं, जिसमें एक 'चमकी बुखार' भी है.'

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेमोरियल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में बरूराज के पगठिया की रहने वाली आठ वर्षीय फरीदा की अम्मी शाहबानो के आंखों के आंसू रुक नहीं रहे हैं. उनकी फटी आंखें मानो गुजर चुकी फरीदा की पुरानी यादों को हर समय के लिए अपनी अंतरात्मा में बसा लेना चाहती हैं.

तीन दिन पहले ही शाहबानो ने अपनी फूल-सी प्यारी बच्ची को अधिक तबियत खराब होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराई थी, परंतु चिकित्सक उसे नहीं बचा सके. अब तो शाहबानो की मानो दुनिया ही उजड़ गई है.

'लोगों को भगवान का इंतजार, जो उनके बच्चे को ठीक कर दे'
इधर, पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल के पांच वर्षीय सोनू कुमार के पिता श्रीनिवास राय भी सोनू के लगातार चौंकने के कारण परेशान हैं. हालांकि, आसपास के लोग उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं कि अभी स्थिति ठीक है. बच्चे के पेट और सीने को बार-बार ठंडे पानी में कपड़ा भिगोकर धोया जा रहा है. चिकित्सक ग्लूकोज चढ़ा रहे हैं, परंतु उनके बगल के बेड पर भर्ती बच्चे के गुजर जाने के बाद उन्हें भी अपने बच्चे के बिछड़ जाने का डर सता रहा है. उन्हें अब किसी ऐसे भगवान का इंतजार है, जो उनके बच्चे को पूरी तरह स्वस्थ्य कर दें.

  • बच्चों की मौत पर बोले चौबे- 'चुनाव की व्यस्तता की वजह से अधिकारियों ने नहीं दिया ध्यान'
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कलेजे के टुकड़े को बचाने के लिए...
यह हाल पूरे एसकेएमसीएच में देखने को मिल रहा है. हर कोई अपने कलेजे के टुकड़े को बचाने के लिए अस्पताल के ट्रालीमैन तक के पैर पकड़ कर बच्चे को ठीक करने की गुहार लगा रहा है. अचानक क्षेत्र में 'चमकी बुखार' के कारण मरीजों की संख्या यहां बढ़ गई है.

खो चुके बच्चों की मांएं दहाड़ मार कर रो रही हैं
मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में अपने बच्चों को खो चुकी मांओं की दहाड़ सुन किसी भी व्यक्ति का कलेजा फट जा रहा है. खो चुके बच्चों की मांएं दहाड़ मार कर रो रही हैं, तो उनके पिता और परिजन उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं. बिहार में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी इस अज्ञात बीमारी से मरने वालों की संख्या 36 तक पहुंच गई है. हालांकि सरकार अभी 11 मौतों की ही बात कर रही है.

मुजफ्फरपुर में 11 बच्चों की मौत : मंगल पांडेय
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि मुजफ्फरपुर में 11 बच्चों की मौत हुई, जिसमें एक बच्चे की मौत एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से हुई है. उन्होंने कहा कि अन्य बच्चों की मौत हाइपोग्लाइसीमिया यानी अचानक शुगर की कमी से हुई है.

इधर, मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में संदिग्ध एईएस या चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या 36 तक पहुंच गई है.

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एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ़ सुनील शाही ने बताया कि एसकेएमसीएच में मंगलवार को भी बुखार से पीड़ित बच्चे पहुंचे हैं, जिन्हें पीसीआईयू में भर्ती कराया गया है. उन्होंने कहा कि 'इस अस्पताल में अब तक 90 पीड़ित बच्चों को भर्ती कराया गया है, जिसमें से इलाज के दौरान 32 बच्चों की मौत हो चुकी है.'

उन्होंने कहा, 'इनमें से अधिकांश बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी अचानक शुगर की कमी और कुछ बच्चों के शरीर में सोडियम (नमक) की मात्रा भी कम पाई जा रही है. एईएस के संदिग्ध मरीजों का इलाज शुरू करने से पहले चिकित्सक उसकी जांच कराते हैं.' उन्होंने कहा, 'एईएस कोई बीमाारी नहीं है। इसमें कई 'डिजीज' पाए जाते हैं, जिसमें एक 'चमकी बुखार' भी है.'

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