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मुंगेर में महिलाएं किसानी से लिख रहीं नई इबारत, 'आत्मा' से जुड़कर बनी आत्मनिर्भर - आत्मा परियोजना महिला समूह

कृषि विभाग के सहयोग से 'आत्मा' (Atma Women Group) द्वारा मुंगेर जिले में लगभग एक सौ महिला समूह सक्रिय हैं. जिनमें करीब 2000 सदस्य हैं. यह 2000 महिलाएं घर से बाहर निकल कर किसानी कर रही हैं. जिससे ये आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं.

महिलाएं खेती किसानी से लिख रही नई इबारत
महिलाएं खेती किसानी से लिख रही नई इबारत
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Published : Mar 7, 2022, 8:04 PM IST

मुंगेरः कल यानि 8 मार्च को पूरे देश अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day 2022) मनाया जाएगा. इस दिन को मनाने के पीछे उद्देश्य है महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए प्रेरित करना. आज हम बात करेंगे मुंगेर की उन सैकड़ों महिलाओं (Women became self independent by farming in munger) की जो घर की दहलीज पार कर नई इबारत लिखने में लगी हैं. ये महिलाएं खेती कर अपना भविष्य संवारने में लगी है.

ये भी पढ़ें- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर बिहार की 2 स्वास्थ्य कर्मी नई दिल्ली में होंगी सम्मानित

दरअसल कृषि विभाग के सहयोग से 'आत्मा' द्वारा मुंगेर जिले में लगभग एक सौ महिला समूह सक्रिय हैं. जिनमें करीब 2000 सदस्य हैं. यह 2000 महिलाएं घर से बाहर निकल कर खेती किसानी कर रही हैं. इन महिलाओं को आत्मा द्वारा बिहार के बाहर दिल्ली, मुंबई, गुजरात लखनऊ ले जाकर खेती के नए नए तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण प्राप्त महिलाएं मशरूम , कद्दू, आलू जैसी सब्जियों की खेती कर रहे हैं. तो जैविक विधि से खेती कर हजारों रुपये का टर्नओवर भी कर रही हैं.

मुंगेर में है सबसे ज्यादा आत्मा के समूहः यहां 100 समूहों की महिलाओं में कई समूह मशरूम की खेती कर हजारों रुपये का टर्न ओवर वाला समूह बन गया है. तो कई समूह सब्जियों की खेती कर पूरे प्रदेश स्तर पर परचम लहरा रहा है. महिला समूह के द्वारा महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कृषि विभाग एवं आत्मा के सहयोग से यह कार्य किया जा रहा है. पूरे बिहार में लगभग 842 महिला समूह सक्रिय हैं. जिसमें मुंगेर जिले में सबसे ज्यादा सौ महिला समूह सक्रिय हैं. जो दूसरे जिले के लिए नजीर बन रहे हैं.

घर से बाहर निकलने की थी मनाहीः मुंगेर जिले के सदर प्रखंड के बांक पंचायत में सरस्वती महिला समूह और हितकारी समूह बनाकर लगभग 200 से अधिक महिलाएं जैविक खेती, पशु एवं मछली पालन के जरिए समृद्धि की कहानी लिख रही है. समूह की अध्यक्ष रीना कुमारी ने बताया कि पिछले वर्ष ही वह समूह में जुड़ी थीं. इससे पहले उनके घर की स्थिति काफी खराब थी गांव में महिला होने के कारण घर से बाहर निकल कर काम करने की मनाही थी.

ये भी पढ़ें- पद्मभूषण शारदा सिन्हा की मार्मिक अपील का असर, 13 विश्वविद्यालयों के रुके वेतन-पेंशन का फंड जारी

'जब घर की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी तब हमने घर के बाहर दहलीज पर कदम रखा. आत्मा से जुड़ कर महिलाओं का समूह बनाया. प्रशिक्षण के बाद मुझे 1 किलो मशरूम का बीज दिया गया. एक किलो मशरूम का उत्पादन शुरू कर आज हर महीने 20 से 50 किलो तक मशरूम का उत्पादन कर रही हूं. इससे हजारों रुपये की आमदनी हो रही है. घर की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है'- रीना कुमारी, आत्मनिर्भर महिला


परियोजना के निदेशक आनंद विक्रम सिंह कहते हैं- मुंगेर की महिलाएं आत्मनिर्भर तो हो ही रही हैं. साथ ही साथ परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में प्रमुख सहयोगी भी बन रही हैं. उन्होंने बताया कि मुंगेर जिले में प्रत्येक प्रखंड में 2 महिला समूह सक्रिय हैं. मुंगेर जिले में लगभग 90 से 100 समूह सक्रिय हैं, जिसमें लगभग 2000 महिलाएं जुटी हुई हैं. इन महिलाओं को विभाग द्वारा भारत के विभिन्न प्रदेशों में खेती किसानी में नए तकनीक का प्रयोग और जैविक खेती के बारे में बताया जाता है. आत्मा समूह से जुड़ी महिलाओं को पापड़, आचार, अदौरी, दालमोट आदि बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है. ये महिलाएं अगरबत्ती और साबुन भी बना रही है और अपने परिवार के विकास में सहायक बन रही रही हैं.

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मुंगेरः कल यानि 8 मार्च को पूरे देश अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day 2022) मनाया जाएगा. इस दिन को मनाने के पीछे उद्देश्य है महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए प्रेरित करना. आज हम बात करेंगे मुंगेर की उन सैकड़ों महिलाओं (Women became self independent by farming in munger) की जो घर की दहलीज पार कर नई इबारत लिखने में लगी हैं. ये महिलाएं खेती कर अपना भविष्य संवारने में लगी है.

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दरअसल कृषि विभाग के सहयोग से 'आत्मा' द्वारा मुंगेर जिले में लगभग एक सौ महिला समूह सक्रिय हैं. जिनमें करीब 2000 सदस्य हैं. यह 2000 महिलाएं घर से बाहर निकल कर खेती किसानी कर रही हैं. इन महिलाओं को आत्मा द्वारा बिहार के बाहर दिल्ली, मुंबई, गुजरात लखनऊ ले जाकर खेती के नए नए तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण प्राप्त महिलाएं मशरूम , कद्दू, आलू जैसी सब्जियों की खेती कर रहे हैं. तो जैविक विधि से खेती कर हजारों रुपये का टर्नओवर भी कर रही हैं.

मुंगेर में है सबसे ज्यादा आत्मा के समूहः यहां 100 समूहों की महिलाओं में कई समूह मशरूम की खेती कर हजारों रुपये का टर्न ओवर वाला समूह बन गया है. तो कई समूह सब्जियों की खेती कर पूरे प्रदेश स्तर पर परचम लहरा रहा है. महिला समूह के द्वारा महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कृषि विभाग एवं आत्मा के सहयोग से यह कार्य किया जा रहा है. पूरे बिहार में लगभग 842 महिला समूह सक्रिय हैं. जिसमें मुंगेर जिले में सबसे ज्यादा सौ महिला समूह सक्रिय हैं. जो दूसरे जिले के लिए नजीर बन रहे हैं.

घर से बाहर निकलने की थी मनाहीः मुंगेर जिले के सदर प्रखंड के बांक पंचायत में सरस्वती महिला समूह और हितकारी समूह बनाकर लगभग 200 से अधिक महिलाएं जैविक खेती, पशु एवं मछली पालन के जरिए समृद्धि की कहानी लिख रही है. समूह की अध्यक्ष रीना कुमारी ने बताया कि पिछले वर्ष ही वह समूह में जुड़ी थीं. इससे पहले उनके घर की स्थिति काफी खराब थी गांव में महिला होने के कारण घर से बाहर निकल कर काम करने की मनाही थी.

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'जब घर की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी तब हमने घर के बाहर दहलीज पर कदम रखा. आत्मा से जुड़ कर महिलाओं का समूह बनाया. प्रशिक्षण के बाद मुझे 1 किलो मशरूम का बीज दिया गया. एक किलो मशरूम का उत्पादन शुरू कर आज हर महीने 20 से 50 किलो तक मशरूम का उत्पादन कर रही हूं. इससे हजारों रुपये की आमदनी हो रही है. घर की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है'- रीना कुमारी, आत्मनिर्भर महिला


परियोजना के निदेशक आनंद विक्रम सिंह कहते हैं- मुंगेर की महिलाएं आत्मनिर्भर तो हो ही रही हैं. साथ ही साथ परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में प्रमुख सहयोगी भी बन रही हैं. उन्होंने बताया कि मुंगेर जिले में प्रत्येक प्रखंड में 2 महिला समूह सक्रिय हैं. मुंगेर जिले में लगभग 90 से 100 समूह सक्रिय हैं, जिसमें लगभग 2000 महिलाएं जुटी हुई हैं. इन महिलाओं को विभाग द्वारा भारत के विभिन्न प्रदेशों में खेती किसानी में नए तकनीक का प्रयोग और जैविक खेती के बारे में बताया जाता है. आत्मा समूह से जुड़ी महिलाओं को पापड़, आचार, अदौरी, दालमोट आदि बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है. ये महिलाएं अगरबत्ती और साबुन भी बना रही है और अपने परिवार के विकास में सहायक बन रही रही हैं.

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