मुंगेर: बिहार के मुंगेर में भालू के दो नवजात बच्चे मिले (Two newborn bears found in Munger) हैं. जिले के धरहरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जंगली इलाकों में दो नन्हे भालू मिलने से आसपास के इलाकों से भी लोग इसे देखने के लिए पहुंच गए. दोनों नवजात बच्चों को स्थानीय लोगों ने वन विभाग के सुपुर्द कर दिया. जानकारी के अनुसार भालू के बच्चे गोरिया गांव निवासी आदिवासी लकड़हारे अजय कोड़ा को सोमवार को मिला.
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मुंगेर के धरहरा में मिले दो भालू के बच्चे : अजय कोड़ा ने बताया कि हम जंगल में प्रतिदिन जाते हैं. सोमवार को जब हम जंगल से लौट रहे थे, तो भालू के 2 बच्चों को पेड़ के नीचे रोते हुए देखा. दोनों बच्चों को देखकर मुझे दया आ गई. काफी ठंड का मौसम था और यह दोनों ठिठुर रहे थे. इसकी मां का भी कोई अता पता नहीं था. इस दौरान मेरे बच्चे दोनों भालू को घर ले आए. दोनों को सुरक्षित रखा और गर्मी का इंतजाम कर वन विभाग को सूचित कर दिया. वन क्षेत्र पदाधिकारी जंग बहादुर राम ने बताया कि अजय कोड़ा ने हमलोगों को सूचना दी. सूचना के बाद वन विभाग की टीम ने दोनों बच्चों को सुरक्षित रख लिया है. भालू के बच्चे काफी डरे हुए हैं. उन्हें उचित देखभाल की जरूरत है.
धरहरा और खड़गपुर के जंगल भालुओं के प्रजनन के लिए अनुकूलः वन विभाग के अधिकारी जंग बहादुर राम ने बताया कि मुंगेर और लखीसराय जिले के करीब 50 किलोमीटर के इलाके में मौजूद जंगल भालू के प्रजनन और विकसित होने के लिए उपयुक्त है. भालू के बच्चे के मिलने से अंदाजा लगाया जा रहा है यह जंगल उनके प्रजनन के लिए अनुकूल है. हम लोगों ने इसकी सूचना वन विभाग के वरीय अधिकारियों को दे दी है. उन्होंने कहा कि इनमें हवेली खड़गपुर के भीम बांध वाले गंगटा जंगल और धरहरा के जंगल भालू के लिए बहुत ही अनुकूल है. इन्हें आजादी के पहले से ही भालुओं के लिए संरक्षित किया गया है.
"अजय कोड़ा ने हमलोगों को सूचना दी. सूचना के बाद वन विभाग की टीम ने दोनों बच्चों को सुरक्षित रख लिया है. भालू के बच्चे काफी डरे हुए हैं. उन्हें उचित देखभाल की जरूरत है. मुंगेर और लखीसराय जिले के करीब 50 किलोमीटर के इलाके में मौजूद जंगल भालू के प्रजनन और विकसित होने के लिए उपयुक्त है" - जंग बहादुर राम, वन क्षेत्र पदाधिकारी
वर्षों बाद धरहरा के जंगल में मिला भालूः वर्षों बाद धरहरा के जंगल में भालू मिला है. भारत में भालुओं की जनसंख्या लगातार कम हो रही है. ऊपर से काले रंग का भालू जो अक्सर जंगली इलाके में पाया जाता है. उनकी गिनती भी अब नाम मात्र ही रह गई है. ऐसे में वन एवं पर्यावरण विभाग चिंतित है कि भालुओं के विकसित होने के लिए जहां जलवायु उपयुक्त है. वहां कैसे भालू विकसित हो. इसको लेकर कई योजनाएं भी वन एवं पर्यावरण विभाग के द्वारा चलाई जा रही है, लेकिन जिस इलाके में वन एवं पर्यावरण विभाग योजना चला रहा है, वहां भी भालू ना तो देखने को मिलता है ना ही भालू के कोई निशान मिले हैं.