मुंगेर: शिक्षा में सुधार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लाख बातें कर लें. तमाम योजनाएं लागू कर लें. लेकिन नतीजा धाक के तीन पात साबित हो रहे हैं. प्रदेश सरकार के शिक्षा व्यवस्था की कलई खुद सरकारी विद्यालय ही खोल रहे हैं. मुंगेर जिले में सरकारी विद्यालय में जहां पहले लोगों की सोच रहती थी यहां पढ़ने छात्र नहीं आते हैं, लेकिन आज सरकारी स्कूल को लेकर बिल्कुल विपरीत ही मामला देखने को मिला है. यहां मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बांक इलाके में उत्क्रमित विद्यालय के वर्ग 10वीं में 40 से अधिक छात्र-छात्रा है. लेकिन शिक्षक नहीं है.
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शिक्षा का हाल बदहाल
छात्रा कोमल कुमारी, वर्षा कुमारी, सोनम कुमारी व सोनाली कुमारी बताती हैं कि कोरोना काल में 9वीं क्लास तो हम लोग किसी तरह पास कर लिए हैं. लेकिन इस बार 10वीं यानी बोर्ड की परीक्षा है. ऐसे में विद्यालय में शिक्षक नहीं रहने से पिछले जनवरी माह से दसवीं क्लास की एक अभी घंटी की पढ़ाई हम लोगों की नहीं हुई है. जिससे सभी छात्र अपने-अपने भविष्य को लेकर चिंतित है कि हम सबका कैसे सिलेबस पूरा होगा.
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विद्यालय में शिक्षक की मांग
वहीं, विद्यालय के प्रधान भी कहते हैं कि शिक्षक प्रतिनियुक्त हुए हैं, लेकिन नहीं आ रहे हैं. ऐसे में छात्र भी कहते हैं कि 3 शिक्षक की प्रतिनियुक्ति हम लोगों को पढ़ाने के लिए इस विद्यालय में कर दी गई है. पिछले 4 महीने से जब शिक्षक नहीं आए, तब हम लोग मजबूर होकर डीएम रचना पाटिल के पास विद्यालय में शिक्षक भेजने की मांग करने आए हैं.
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'शिक्षक के नहीं रहने से हम लोगों की पढ़ाई बाधित है. वैसे भी कोरोना काल में हम लोग नहीं पढ़ पाए हैं. वहीं, विद्यालय खुला है तो अब शिक्षक नहीं आ रहे हैं. जिस कारण से हम लोग का सिलेबस भी पीछे जा रहा है. जिसको लेकर हम सब डीएम से मांग किया गया है कि जब 4 माह पूर्व ही हम लोगों के विद्यालय में पढ़ाने के लिए शिक्षक को भेजा गया, तो वह लोग क्यों नहीं आए? उन पर कार्रवाई भी करें.'- छात्र
सरकार की ओर से शिक्षा में लगातार सुधार के दावे किए जा रहे हों, लेकिन मुंगेर जिले के बांक उत्क्रमित विद्यालय से सामने आई यह तस्वीर सरकार को आईना दिखाने के लिए काफी है.