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मुंगेर: धूमधाम से मनाई जा रही जिले में सरस्वती पूजा - munger local news

मंगलवार को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है. खासकर उत्तर भारत के कई जिलों में यह धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की अराधना की जाती है. शिक्षण संस्थानों में विशेष रूप में इस त्योहार को मनाया जाता है. बुद्धि, ज्ञान अर्जन के लिए मां की बंदना की जाती है.

मुंगेर
धूमधाम से मनाई जा रही जिले में सरस्वती पूजा
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Published : Feb 16, 2021, 2:19 PM IST

मुंगेर: बसंत पंचमी ज्ञानदायी माता सरस्वती का दिन है. विद्यार्थियों के लिए तो यह दिन बेहद ही खास है. प्राचीन काल में जब गुरुकुल परम्परा थी तब लोग अपने बच्चों को बसंत पंचमी के ही दिन गुरुकुल में ऋषि महर्षि को ज्ञानार्जन के लिए सौंपते थे. ज्ञानदेवी माता का यह दिन आदिशक्ति के विशेष पूजनकाल गुप्त नवरात्रि के दौरान होने से इसकी महत्ता अनिर्वचनीय होती है.

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धूमधाम से मनाई जा रही जिले में सरस्वती पूजा

ये भी पढ़ें...सर्व सिद्धिदायी अबूझ योग से बेहद खास है बसंत पंचमी

आज ही के दिन हुआ था सरस्वती माता का जन्म
आज बसंत पंचमी है. माघ मास के शुक्ल पंचमी तिथि को वसंत पंचमी के नाम से मनाया जाता है. ज्योतिष आचार्य अविनाश शास्त्री ने बताया कि सरस्वती का जन्म आज ही हुआ था. लोक कथाओं के अनुसार माता का जन्म ब्रह्मा के जिह्वा से हुआ था. वहीं, दूसरी कथा के अनुसार श्री कृष्ण के बांसुरी से निकलने वाले ध्वनि से मां का जन्म हुआ था.

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धूमधाम से मनाई जा रही जिले में सरस्वती पूजा

ये भी पढ़ें...विजय सिन्हा ने की नई परंपरा की शुरुआत, बिहार विधानसभा में की सरस्वती पूजा

पीले रंग का है महत्व
सरस्वती विद्या की देवी है. पंडित अवधेश मिश्रा बताते हैं कि पिला और सफेद रंग मां को पसंद है. इसलिए जो भक्त पूजा अर्चना करते हैं. पीले रंग का फूल, पीले रंग का कपड़ा, पीले रंग का चंदन और चावल भी पीले रंग से रंग कर चढ़ाने से मनोवांछित फल मिलता है.
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धूमधाम से मनाई जा रही जिले में सरस्वती पूजा
विद्या एवं कला की देवी हैं सरस्वती
एक में वीणा तथा दूसरे में पुस्तक है. अर्थात पुस्तक ज्ञान की द्योतक है, वीणा कला का द्योतक. अर्थात मनुष्य केवल किताबी ज्ञान नहीं बल्कि संगीत या कला का ज्ञान ले तो सरस्वती का सच्चा साधक हो सकता है. सरस्वती का पूर्ण रूप ज्ञान एवं कला के साथ है.

ये भी पढ़ें...नवादाः सरस्वती पूजा को लेकर की गयी शांति समिति की बैठक


आकर्षक पंडाल है आकर्षण का केंद्र
मुंगेर जिले में लगभग 500 से अधिक की संख्या में सरस्वती पूजा पंडाल अलग-अलग इलाके में बनाया गया है. शहर के प्रमुख पूरब सराय, नया गांव भोला थान, शारदा ज्ञान परिषद, सुभाष नगर, नवयुवक संघ समिति, त्रिमूर्ति संघ, चौक बाजार नवयुवक समिति, शारदे मंच ,ज्ञान दायिनी समिति ने आकर्षक पंडाल बनाया पंडाल में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित किया है. इन पंडालों में लोग घूमने पहुंच रहे हैं. पंडाल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

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धूमधाम से मनाई जा रही जिले में सरस्वती पूजा
भक्ति गीत से इलाका भक्तिमय
सुबह से ही विभिन्न पूजा पंडालों में मां शारदे के भक्ति गीत बज रहे हैं. भक्ति गीत बजने से पूरा इलाका भक्तिमय बना हुआ है. विभिन्न स्कूलों कॉलेजों में भी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की गई है. जेनीथ स्कूल, मुंगेर विश्वविद्यालय ,डीजे कॉलेज, बीआरएम कॉलेज ,आरबी कोचिंग सहित अन्य शिक्षण संस्थानों में छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना किया जा रहा है.
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धूमधाम से मनाई जा रही जिले में सरस्वती पूजा

मुंगेर: बसंत पंचमी ज्ञानदायी माता सरस्वती का दिन है. विद्यार्थियों के लिए तो यह दिन बेहद ही खास है. प्राचीन काल में जब गुरुकुल परम्परा थी तब लोग अपने बच्चों को बसंत पंचमी के ही दिन गुरुकुल में ऋषि महर्षि को ज्ञानार्जन के लिए सौंपते थे. ज्ञानदेवी माता का यह दिन आदिशक्ति के विशेष पूजनकाल गुप्त नवरात्रि के दौरान होने से इसकी महत्ता अनिर्वचनीय होती है.

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धूमधाम से मनाई जा रही जिले में सरस्वती पूजा

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आज ही के दिन हुआ था सरस्वती माता का जन्म
आज बसंत पंचमी है. माघ मास के शुक्ल पंचमी तिथि को वसंत पंचमी के नाम से मनाया जाता है. ज्योतिष आचार्य अविनाश शास्त्री ने बताया कि सरस्वती का जन्म आज ही हुआ था. लोक कथाओं के अनुसार माता का जन्म ब्रह्मा के जिह्वा से हुआ था. वहीं, दूसरी कथा के अनुसार श्री कृष्ण के बांसुरी से निकलने वाले ध्वनि से मां का जन्म हुआ था.

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पीले रंग का है महत्व
सरस्वती विद्या की देवी है. पंडित अवधेश मिश्रा बताते हैं कि पिला और सफेद रंग मां को पसंद है. इसलिए जो भक्त पूजा अर्चना करते हैं. पीले रंग का फूल, पीले रंग का कपड़ा, पीले रंग का चंदन और चावल भी पीले रंग से रंग कर चढ़ाने से मनोवांछित फल मिलता है.
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धूमधाम से मनाई जा रही जिले में सरस्वती पूजा
विद्या एवं कला की देवी हैं सरस्वती
एक में वीणा तथा दूसरे में पुस्तक है. अर्थात पुस्तक ज्ञान की द्योतक है, वीणा कला का द्योतक. अर्थात मनुष्य केवल किताबी ज्ञान नहीं बल्कि संगीत या कला का ज्ञान ले तो सरस्वती का सच्चा साधक हो सकता है. सरस्वती का पूर्ण रूप ज्ञान एवं कला के साथ है.

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आकर्षक पंडाल है आकर्षण का केंद्र
मुंगेर जिले में लगभग 500 से अधिक की संख्या में सरस्वती पूजा पंडाल अलग-अलग इलाके में बनाया गया है. शहर के प्रमुख पूरब सराय, नया गांव भोला थान, शारदा ज्ञान परिषद, सुभाष नगर, नवयुवक संघ समिति, त्रिमूर्ति संघ, चौक बाजार नवयुवक समिति, शारदे मंच ,ज्ञान दायिनी समिति ने आकर्षक पंडाल बनाया पंडाल में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित किया है. इन पंडालों में लोग घूमने पहुंच रहे हैं. पंडाल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

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धूमधाम से मनाई जा रही जिले में सरस्वती पूजा
भक्ति गीत से इलाका भक्तिमय
सुबह से ही विभिन्न पूजा पंडालों में मां शारदे के भक्ति गीत बज रहे हैं. भक्ति गीत बजने से पूरा इलाका भक्तिमय बना हुआ है. विभिन्न स्कूलों कॉलेजों में भी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की गई है. जेनीथ स्कूल, मुंगेर विश्वविद्यालय ,डीजे कॉलेज, बीआरएम कॉलेज ,आरबी कोचिंग सहित अन्य शिक्षण संस्थानों में छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना किया जा रहा है.
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धूमधाम से मनाई जा रही जिले में सरस्वती पूजा
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