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इरिमी के स्थानांतरण वाली चिट्ठी से मचा भूचाल, रेलवे ने दी सफाई नहीं जा रहा है जमालपुर के बाहर - रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा

रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा और 2019 में रेलवे बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन अश्वनी लोहानी तक के आश्वासन के बाद यहां एससीआरए की पढ़ाई बंद हो गई. अब इरिमी के जमालपुर से लखनऊ स्थान्तरण करने वाली एक चिट्ठी से राजनीतिक भूचाल आ गया. मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि इसके लिए केंद्र से सवाल जवाब करने लगे.

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Published : May 7, 2020, 9:59 PM IST

मुंगेरः जमालपुर इरिमी के निदेशक एस के याग्निक के नाम लखनऊ में एक बड़े भूखंड इरिमी को स्थानांतरित करने वाले एक पत्र से बिहार में सियासी भूचाल आ गया है. नेताओं ने कहा है कि उडमी जमालपुर से स्थानांतरित होकर लखनऊ जा रही है. स्थानीय नेताओं ने भी आंदोलन की चेतावनी दे दी.

भूखंड इरिमी को स्थानांतरित करने वाले पत्र से बिहार में सियासी भूचाल
बिहार में चुनावी वर्ष है और बिहार का धरोहर अगर दूसरे प्रदेश चला जाए, तो सियासी नफा नुकसान को लेकर सत्ता और विपक्ष दोनों इस लड़ाई में कूद पड़े. अब रेलवे ने सफाई दी है कि इरिमी जमालपुर कहीं नहीं जा रही है. बल्कि लखनऊ में एक बड़ा हाईटेक इरिमी जैसा संस्थान खोला जा रहा है. जमालपुर इरिमी पूर्व के तरह कार्यरत रहेगी. एशिया का पहला जमालपुर रेल कारखाना की स्थापना 1862 ईस्वी में हुई थी. इसी कारखाने के अहाते में सन 1888 में राष्ट्रीय स्तर पर रेलवे के इंजीनियर की पढ़ाई के लिए इंडियन रेलवे इंस्टिट्यूट ऑफ मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग यानी इरिमी की स्थापना की गई थी.

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जमालपुर रेल कारखाना

1862 में हुई थी जमालपुर रेल कारखाना की स्थापना
1927 से यहां रेलवे के मेकेनिकल इंजीनियरिंग का प्रशिक्षण दिया जाने लगा. वर्ष 2014 तक तो इरिमी कार्यकाल स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया. नोबेल पुरस्कार प्राप्त आर के पचौरी भी यहीं से प्रशिक्षण लिए थे. लेकिन वर्ष 2015 के बाद इरिमी को ग्रहण लगना शुरू हो गया. 2015-16 में यहां से एससीआरए की पढ़ाई बंद हो गई. उस समय भी खूब राजनीति हुई.

रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा और 2019 में रेलवे बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन अश्वनी लोहानी तक के आश्वासन के बाद यहां एससीआरए की पढ़ाई बंद हो गई. अब इरिमी के जमालपुर से लखनऊ स्थान्तरण करने वाली एक चिट्ठी से राजनीतिक भूचाल आ गया. मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि इसके लिए केंद्र से सवाल जवाब करने लगे.

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इरिमी जमालपुर

क्या है चिट्ठी
जमालपुर के रेलवे प्रशिक्षण संस्थान को लखनऊ स्थानांतरित करने का नोटिस रेलवे ने 27 अप्रैल 2020 को जारी किया था. इसमें साफ लिखा है कि इसमें महाप्रबंधक यांत्रिक गोरखपुर कार्यालय की ओर से डायरेक्टर इर्मी जमालपुर को आपका अर्ध सरकारी पत्र के आलोक में निर्माण कार्य कराए जाने के लिए मोहिबुल्लापुर रेलवे स्टेशन लखनऊ जंक्शन सीतापुर खंड के पास जगह उपलब्ध है. जिसे इरिमी को स्थानांतरित किए जाने हेतु महाप्रबंधक महोदय से बात करने ते पश्चात अपर महाप्रबंधक महोदय द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है. डायरेक्टर का कहना है कि जमालपुर में इरिमी का कार्यालय पहले ही की भांति काम करता रहेगा और लखनऊ में इसकी सिर्फ शाखा खुल रही है.

2016 से एससीआरए का नामांकन है बंद
वर्ष 2016 में रेलवे बोर्ड नई दिल्ली और यूपीएससी विभाग की ओर से विशेष श्रेणी रेलवे प्रशिक्षु एससीआरए के लिए परीक्षाएं व नामांकन एक साथ बंद कर दी गई थी. ईरिमी में आखिरी बैच वर्ष 2015 के मात्र 6 प्रशिक्षु शेष रह गए हैं. हालांकि यहां इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ मैकेनिकल इंजीनियरस (आईआरएसएमई )के सहित डिप्टी, फॉर मैन, चार्ज मैन सहित अन्य रेलवे पदाधिकारियों का ट्रेनिंग व पढ़ाई चल रही है. लेकिन स्थानांतरण होने के बाद अब यह सिर्फ ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट बनकर रह जाएगा.

देखें पूरी रिपोर्ट
क्या खास है इरिमी में 1862 में स्थापित एशिया का सबसे बड़ा वह पहला रेल इंजन कारखाना परिसर में ही 1888 में इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग नाम से यह प्रशिक्षण खुला. देश में ऐसे आठ संस्थान हैं. जमालपुर इरिमी में 35 मैन फैकेल्टी, एक सौ कंप्यूटर की क्लास रूम के साथ एक बड़ी लाइब्रेरी, ऑडिटोरियम तथा कॉन्फ्रेंस हॉल है. इसमें 13 लैब रूम, तीन हॉस्टल, यांत्रिक कक्ष जिम खाना, 56 सिंगल कमरे, 14 डबल बेड रूम, एक वीआईपी रूम है.
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इरिमी कारखाना
इरिमी जमालपुर में यथावत रहेगी इरिमी को लखनऊ के एक बड़े भूखंड को स्थानांतरित करने वाली चिट्ठी से जो राजनीतिक भूचाल आया है. उसमें सभी राजनीतिक पार्टियां अपने राजनीतिक नफा नुकसान को लेकर मैदान में कूद गई है. क्योंकि यह वर्ष चुनावी है. इसलिए हर कोई इसे मुद्दा बनाकर लोगों को अपने पक्ष में करना चाह रहा है. लेकिन रेलवे बोर्ड ने इस विवाद को पटाक्षेप करते हुए एक चिट्ठी रिलीज कर दिया है. जिसमें कहा गया है कि इरिमी जमालपुर में यथावत रहेगी. इरिमी की ही एक शाखा जो जमालपुर से हाईटेक होगी. वह लखनऊ में बनने जा रही है. उसके लिए 92,660 वर्गफीट भूखंड चयनित किया गया है. इसे 74.5 करोड़ की लागत से बनना है.

मुंगेरः जमालपुर इरिमी के निदेशक एस के याग्निक के नाम लखनऊ में एक बड़े भूखंड इरिमी को स्थानांतरित करने वाले एक पत्र से बिहार में सियासी भूचाल आ गया है. नेताओं ने कहा है कि उडमी जमालपुर से स्थानांतरित होकर लखनऊ जा रही है. स्थानीय नेताओं ने भी आंदोलन की चेतावनी दे दी.

भूखंड इरिमी को स्थानांतरित करने वाले पत्र से बिहार में सियासी भूचाल
बिहार में चुनावी वर्ष है और बिहार का धरोहर अगर दूसरे प्रदेश चला जाए, तो सियासी नफा नुकसान को लेकर सत्ता और विपक्ष दोनों इस लड़ाई में कूद पड़े. अब रेलवे ने सफाई दी है कि इरिमी जमालपुर कहीं नहीं जा रही है. बल्कि लखनऊ में एक बड़ा हाईटेक इरिमी जैसा संस्थान खोला जा रहा है. जमालपुर इरिमी पूर्व के तरह कार्यरत रहेगी. एशिया का पहला जमालपुर रेल कारखाना की स्थापना 1862 ईस्वी में हुई थी. इसी कारखाने के अहाते में सन 1888 में राष्ट्रीय स्तर पर रेलवे के इंजीनियर की पढ़ाई के लिए इंडियन रेलवे इंस्टिट्यूट ऑफ मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग यानी इरिमी की स्थापना की गई थी.

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जमालपुर रेल कारखाना

1862 में हुई थी जमालपुर रेल कारखाना की स्थापना
1927 से यहां रेलवे के मेकेनिकल इंजीनियरिंग का प्रशिक्षण दिया जाने लगा. वर्ष 2014 तक तो इरिमी कार्यकाल स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया. नोबेल पुरस्कार प्राप्त आर के पचौरी भी यहीं से प्रशिक्षण लिए थे. लेकिन वर्ष 2015 के बाद इरिमी को ग्रहण लगना शुरू हो गया. 2015-16 में यहां से एससीआरए की पढ़ाई बंद हो गई. उस समय भी खूब राजनीति हुई.

रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा और 2019 में रेलवे बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन अश्वनी लोहानी तक के आश्वासन के बाद यहां एससीआरए की पढ़ाई बंद हो गई. अब इरिमी के जमालपुर से लखनऊ स्थान्तरण करने वाली एक चिट्ठी से राजनीतिक भूचाल आ गया. मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि इसके लिए केंद्र से सवाल जवाब करने लगे.

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इरिमी जमालपुर

क्या है चिट्ठी
जमालपुर के रेलवे प्रशिक्षण संस्थान को लखनऊ स्थानांतरित करने का नोटिस रेलवे ने 27 अप्रैल 2020 को जारी किया था. इसमें साफ लिखा है कि इसमें महाप्रबंधक यांत्रिक गोरखपुर कार्यालय की ओर से डायरेक्टर इर्मी जमालपुर को आपका अर्ध सरकारी पत्र के आलोक में निर्माण कार्य कराए जाने के लिए मोहिबुल्लापुर रेलवे स्टेशन लखनऊ जंक्शन सीतापुर खंड के पास जगह उपलब्ध है. जिसे इरिमी को स्थानांतरित किए जाने हेतु महाप्रबंधक महोदय से बात करने ते पश्चात अपर महाप्रबंधक महोदय द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है. डायरेक्टर का कहना है कि जमालपुर में इरिमी का कार्यालय पहले ही की भांति काम करता रहेगा और लखनऊ में इसकी सिर्फ शाखा खुल रही है.

2016 से एससीआरए का नामांकन है बंद
वर्ष 2016 में रेलवे बोर्ड नई दिल्ली और यूपीएससी विभाग की ओर से विशेष श्रेणी रेलवे प्रशिक्षु एससीआरए के लिए परीक्षाएं व नामांकन एक साथ बंद कर दी गई थी. ईरिमी में आखिरी बैच वर्ष 2015 के मात्र 6 प्रशिक्षु शेष रह गए हैं. हालांकि यहां इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ मैकेनिकल इंजीनियरस (आईआरएसएमई )के सहित डिप्टी, फॉर मैन, चार्ज मैन सहित अन्य रेलवे पदाधिकारियों का ट्रेनिंग व पढ़ाई चल रही है. लेकिन स्थानांतरण होने के बाद अब यह सिर्फ ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट बनकर रह जाएगा.

देखें पूरी रिपोर्ट
क्या खास है इरिमी में 1862 में स्थापित एशिया का सबसे बड़ा वह पहला रेल इंजन कारखाना परिसर में ही 1888 में इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग नाम से यह प्रशिक्षण खुला. देश में ऐसे आठ संस्थान हैं. जमालपुर इरिमी में 35 मैन फैकेल्टी, एक सौ कंप्यूटर की क्लास रूम के साथ एक बड़ी लाइब्रेरी, ऑडिटोरियम तथा कॉन्फ्रेंस हॉल है. इसमें 13 लैब रूम, तीन हॉस्टल, यांत्रिक कक्ष जिम खाना, 56 सिंगल कमरे, 14 डबल बेड रूम, एक वीआईपी रूम है.
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इरिमी कारखाना
इरिमी जमालपुर में यथावत रहेगी इरिमी को लखनऊ के एक बड़े भूखंड को स्थानांतरित करने वाली चिट्ठी से जो राजनीतिक भूचाल आया है. उसमें सभी राजनीतिक पार्टियां अपने राजनीतिक नफा नुकसान को लेकर मैदान में कूद गई है. क्योंकि यह वर्ष चुनावी है. इसलिए हर कोई इसे मुद्दा बनाकर लोगों को अपने पक्ष में करना चाह रहा है. लेकिन रेलवे बोर्ड ने इस विवाद को पटाक्षेप करते हुए एक चिट्ठी रिलीज कर दिया है. जिसमें कहा गया है कि इरिमी जमालपुर में यथावत रहेगी. इरिमी की ही एक शाखा जो जमालपुर से हाईटेक होगी. वह लखनऊ में बनने जा रही है. उसके लिए 92,660 वर्गफीट भूखंड चयनित किया गया है. इसे 74.5 करोड़ की लागत से बनना है.
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