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नैनो लिक्विड यूरिया किसानों के लिए वरदान, एक बोतल से ही लहलहाएगी फसल, जानें खासियत...

बिहार में नैनो लिक्विड यूरिया (Nano Liquid Urea in Bihar) ने परंपरागत कृषि के तौर तरीकों को पूरी तरह बदल दिया है. नैनो तरल यूरिया किसी वरदान से कम नहीं है. खेतों की फसलों के लिए ये रामबाण है. किसान नैनो लिक्विड यूरिया को हाथों हाथ ले रहे हैं. पढ़ें ये रिपोर्ट..

Nano Liquid Urea
Nano Liquid Urea
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Published : Feb 15, 2022, 7:03 AM IST

मुंगेर: बिहार में यूरिया की कमी (Urea shortage in Bihar) के बीच किसानों के सामने एक नया विकल्प नैनो तरल यूरिया (Nano Liquid Urea) आ गया है, जो किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यह फसलों के लिए फायदेमंद है. किसान कैलाश पंडित ने बताया कि नैनो यूरिया का ट्रांसपोर्टेशन भी आसान है. एक छोटे थैले में 5 बोरे के बराबर 500 मिलीलीटर की 5 बोतल ले जा सकते हैं. नैनो लिक्विड यूरिया की एक बोतल एक बोरा यूरिया के बराबर (One bottle of Nano Liquid Urea is Equivalent to one Bag of Urea) है.

ये भी पढ़ें- IFFCO द्वारा विकसित नैनो यूरिया लिक्विड की बिहार में लॉन्चिंग, कृषि मंत्री ने दिखाई हरी झंडी



लागत कम, उपज ज्यादा: इस नए विकल्प से किसान को 40-50 किलो यूरिया की बोरी उठाने की भी जरूरत नहीं होगी. जिले में सालाना करीब 30 हजार टन यूरिया खाद की खपत होती है. इस साल अब तक 14 हजार टन यूरिया ही मिल पाया है. ऐसे में नैनो यूरिया किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है. नैनो लिक्विड यूरिया की 500 ML की बोतल एक बोरा दानेदार यूरिया के बराबर होती है. ठोस दानेदार यूरिया के एक बोरे की कीमत 266 रुपए है, जबकि नैनो लिक्विड यूरिया की एक बोतल 240 रुपए की है.

''मुंगेर में भी यूरिया दानेदार यूरिया की किल्लत है, लेकिन अब यह किल्लत नहीं होगी. यहां के किसान जागरूक हो रहे हैं. प्रतिदिन औसतन 10 से 20 बोतल नैनो लिक्विड यूरिया किसान यहां से ले रहे हैं. बात करें पूरे जिले की तो लगभग 40 से 50 बोतल की खपत प्रतिदिन मुंगेर जिले में हो रही है.''- प्रियरंजन सिंह, बिस्कोमान केंद्र प्रभारी, सदर प्रखंड

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नैनो यूरिया के बारे में जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक कुमार ने कहा कि नैनो यूरिया नाइट्रोजन का स्रोत है, जो पौधों में कार्बोहाइड्रेड और प्रोटीन के निर्माण, पौधे की संरचना, वानस्पतिक वृद्धि के लिए उपयोगी है. सामान्यत: एक स्वस्थ पौधे में नाइट्रोजन की मात्रा 1.5 से 4 फीसदी तक होती है. छिटकवां विधि में यूरिया पौधों की जड़ पर पड़ती है, जबकि इसमें सीधे पत्तियों पर स्प्रे होगा. फसल विकास की प्रमुख अवस्थाओं में नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव करने से नाइट्रोजन की आवश्यकता प्रभावी तरीके से पूरी होती है.

''यह अपने नैनो कणों के कारण अधिक प्रभावशाली और उपयोगी है. इसकी अवशोषण क्षमता 80 प्रतिशत से भी अधिक पाई गई है, जो कि सामान्य यूरिया की तुलना में अधिक है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के 20 से अधिक रिसर्च सेंटरों में 94 फसलों पर ट्रायल किया गया है. इससे फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत वृद्धि देखी गई है.''- डॉक्टर अशोक कुमार, कृषि वैज्ञानिक

ऐसे करें नैनो तरल यूरिया का इस्तेमाल: 500 मिलीलीटर नैनो लिक्विड यूरिया को 100 लीटर पानी में मिलाकर उपयोग करना चाहिए. उपयोग से पहले लिक्विड यूरिया की बोतल को अच्छी तरह हिलाकर केमिकल को मिला लें. इस लिक्विड यूरिया का प्रयोग दो बार फसल के लिए किया जा सकता है. पहला छिड़काव फसल के अंकुरण के 30 दिन बाद किया जा सकता है. वहीं, दूसरी बार फूल लगने के 20 से 25 दिन बाद इसका छिड़काव किया जा सकता है.



मिट्टी की बनी रहती है उर्वरा शक्ति: कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने बताया कि नैनो लिक्विड यूरिया जहां किसानों के लिए कम लागत में अधिक उपज दे रही है. वहीं, पौधों के लिए रामबाण है. किसानों की जमीन के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि लिक्विड यूरिया फसल के पत्तों पर रहने के कारण जमीन पर काफी कम आती है. जिससे खेत की जमीन कम जहरीली होती है. वहीं, ठोस दानेदार यूरिया जमीन पर ही गिरते हैं.

''पौधों में अगर दानेदार यूरिया के 5 दाने जाते हैं, तो 10 से 15 दाने यूं ही जमीन पर बेकार हो जाते हैं, जिससे जमीन भी जहरीली हो रही है. इससे ऊपज भी प्रभावित होती है. हरियाणा में तो इस दानेदार यूरिया के कारण किसान की जमीन खराब हो रही है, वहीं किसान भी परेशान हो रहे हैं. वहीं, लिक्विड यूरिया के आ जाने से किसानों के चेहरे पर रौनक आई है और किसान इसे हाथों हाथ ले रहे हैं.''- डॉक्टर अशोक कुमार, कृषि वैज्ञानिक

ये भी पढ़ें- किशनगंज: किसानों ने जाना उवर्रक का महत्व, IFFCO ने बताया प्रयोग का तरीका

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मुंगेर: बिहार में यूरिया की कमी (Urea shortage in Bihar) के बीच किसानों के सामने एक नया विकल्प नैनो तरल यूरिया (Nano Liquid Urea) आ गया है, जो किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यह फसलों के लिए फायदेमंद है. किसान कैलाश पंडित ने बताया कि नैनो यूरिया का ट्रांसपोर्टेशन भी आसान है. एक छोटे थैले में 5 बोरे के बराबर 500 मिलीलीटर की 5 बोतल ले जा सकते हैं. नैनो लिक्विड यूरिया की एक बोतल एक बोरा यूरिया के बराबर (One bottle of Nano Liquid Urea is Equivalent to one Bag of Urea) है.

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लागत कम, उपज ज्यादा: इस नए विकल्प से किसान को 40-50 किलो यूरिया की बोरी उठाने की भी जरूरत नहीं होगी. जिले में सालाना करीब 30 हजार टन यूरिया खाद की खपत होती है. इस साल अब तक 14 हजार टन यूरिया ही मिल पाया है. ऐसे में नैनो यूरिया किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है. नैनो लिक्विड यूरिया की 500 ML की बोतल एक बोरा दानेदार यूरिया के बराबर होती है. ठोस दानेदार यूरिया के एक बोरे की कीमत 266 रुपए है, जबकि नैनो लिक्विड यूरिया की एक बोतल 240 रुपए की है.

''मुंगेर में भी यूरिया दानेदार यूरिया की किल्लत है, लेकिन अब यह किल्लत नहीं होगी. यहां के किसान जागरूक हो रहे हैं. प्रतिदिन औसतन 10 से 20 बोतल नैनो लिक्विड यूरिया किसान यहां से ले रहे हैं. बात करें पूरे जिले की तो लगभग 40 से 50 बोतल की खपत प्रतिदिन मुंगेर जिले में हो रही है.''- प्रियरंजन सिंह, बिस्कोमान केंद्र प्रभारी, सदर प्रखंड

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नैनो यूरिया के बारे में जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक कुमार ने कहा कि नैनो यूरिया नाइट्रोजन का स्रोत है, जो पौधों में कार्बोहाइड्रेड और प्रोटीन के निर्माण, पौधे की संरचना, वानस्पतिक वृद्धि के लिए उपयोगी है. सामान्यत: एक स्वस्थ पौधे में नाइट्रोजन की मात्रा 1.5 से 4 फीसदी तक होती है. छिटकवां विधि में यूरिया पौधों की जड़ पर पड़ती है, जबकि इसमें सीधे पत्तियों पर स्प्रे होगा. फसल विकास की प्रमुख अवस्थाओं में नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव करने से नाइट्रोजन की आवश्यकता प्रभावी तरीके से पूरी होती है.

''यह अपने नैनो कणों के कारण अधिक प्रभावशाली और उपयोगी है. इसकी अवशोषण क्षमता 80 प्रतिशत से भी अधिक पाई गई है, जो कि सामान्य यूरिया की तुलना में अधिक है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के 20 से अधिक रिसर्च सेंटरों में 94 फसलों पर ट्रायल किया गया है. इससे फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत वृद्धि देखी गई है.''- डॉक्टर अशोक कुमार, कृषि वैज्ञानिक

ऐसे करें नैनो तरल यूरिया का इस्तेमाल: 500 मिलीलीटर नैनो लिक्विड यूरिया को 100 लीटर पानी में मिलाकर उपयोग करना चाहिए. उपयोग से पहले लिक्विड यूरिया की बोतल को अच्छी तरह हिलाकर केमिकल को मिला लें. इस लिक्विड यूरिया का प्रयोग दो बार फसल के लिए किया जा सकता है. पहला छिड़काव फसल के अंकुरण के 30 दिन बाद किया जा सकता है. वहीं, दूसरी बार फूल लगने के 20 से 25 दिन बाद इसका छिड़काव किया जा सकता है.



मिट्टी की बनी रहती है उर्वरा शक्ति: कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने बताया कि नैनो लिक्विड यूरिया जहां किसानों के लिए कम लागत में अधिक उपज दे रही है. वहीं, पौधों के लिए रामबाण है. किसानों की जमीन के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि लिक्विड यूरिया फसल के पत्तों पर रहने के कारण जमीन पर काफी कम आती है. जिससे खेत की जमीन कम जहरीली होती है. वहीं, ठोस दानेदार यूरिया जमीन पर ही गिरते हैं.

''पौधों में अगर दानेदार यूरिया के 5 दाने जाते हैं, तो 10 से 15 दाने यूं ही जमीन पर बेकार हो जाते हैं, जिससे जमीन भी जहरीली हो रही है. इससे ऊपज भी प्रभावित होती है. हरियाणा में तो इस दानेदार यूरिया के कारण किसान की जमीन खराब हो रही है, वहीं किसान भी परेशान हो रहे हैं. वहीं, लिक्विड यूरिया के आ जाने से किसानों के चेहरे पर रौनक आई है और किसान इसे हाथों हाथ ले रहे हैं.''- डॉक्टर अशोक कुमार, कृषि वैज्ञानिक

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