मुंगेर: बिहार के मुंगेर जिला की हवा जहरीली हो (Poor Air Quality Index in Munger) गई है. यहां लोग जिंदा रहने के लिए सांस नहीं ले रहे बल्कि बीमार होने के लिए सांस ले रहे हैं. दिल्ली के बाद बिहार के मुंगेर और सिवान जिला की हवा देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित है. जहरीली हवा में सांस लेने से लोगों को फेफड़ों की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र की रिपोर्ट में मुंगेर जिला प्रदूषण के मामले (Pollution Increasing in Munger) में देश में तीसरे नंबर पर रहा. वहीं सबसे ज्यादा प्रदूषण वाले टॉप 10 शहरों में बिहार के 6 शहर शामिल हैं.
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जनवरी में भी मुंगेर देश का सर्वाधिक प्रदूषित शहर था: 19 जनवरी 2022 में पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर आंकड़ा जारी किया गया था. उसमें मुंगेर देश का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर था. उस समय यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स 350 के पार चली गई थी. टाउन हॉल परिसर में लगे एयर क्वालिटी इंडेक्स मापक यंत्र में भी प्रदूषण का लेवल हाई दर्ज किया गया. वहीं नगर निगम प्रशासन की ओर वायु प्रदूषण को कम करने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. जिसके वजह से हालात यह है कि फिर से जो आंकड़े जारी किए गए हैं. उसमें मुंगेर जिला पूरे देश में तीसरा प्रदूषित शहर रहा.
मुंगेर में क्यों बढ़ रहा वायु प्रदूषण?: दरअसल, मुंगेर में प्रदूषण का लेवल एक-दो दिन में नहीं बल्कि कई दिनों में बढ़ा है. मुंगेर नगर निगम गंदगी साफ करने में विफल रहा है. नगर निगम का डंपिंग यार्ड आवासीय क्षेत्र में स्थित है, जहां कूड़े-कचरे का पहाड़ बना कर छोड़ दिया गया है. इसमें कभी-कबी आग भी लग जाती है. इस आग से निकलने वाली जहरीली धुंआ पूरे वातावरण में फैल कर लोगों को बीमार कर रहा है. कचरा निष्पादन इकाई अब तक नहीं लगाया गया. वहीं नगर निगम में साल के 12 महीनों में 15 बार सफाई कर्मियों की हड़ताल होती है. जिसके वजह से सड़कों पर कचरा बिखरा रहता है.
डंपिंग यार्ड को शिफ्ट करने की तैयारी: वहीं, उप नगर आयुक्त विनय कुमार ने कहा कि मुंगेर में कचरा निष्पादन यूनिट लगाया जाना है. डंपिंग यार्ड को भी शहर से दूर सुनसान स्थान पर शिफ्ट करना है. इसकी कवायद चल रही है. वहीं आए दिन सफाई कर्मियों की हड़ताल के बारे में उन्होंने कहा कि, बकाया वेतन एवं अन्य मांग के संबंधित जो भी उनकी मांगे हैं. हम लोग उन पर विचार कर रहे हैं. लेकिन बार-बार हड़ताल के कारण जो समस्या आ रही है उसका निदान निकाला जा रहा है.
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प्रदूषण बढ़ने पर मौसम वैज्ञानिकों ने दी राय: मौसम वैज्ञानिक रीता लाल और अशोक कुमार ने बताया कि मुंगेर की हवा जहरीली यूं ही नहीं हुई है बल्कि इसके कई कारण हैं मुंगेर में बंदूक, सिगरेट और रेल कारखाना भी हैं. इससे निकलने वाले चिमनी वाली डंपिंग यार्ड बीच शहर के बीचों-बीच बना देना, यह खतरे की घंटी है. साथ ही उन्होंने कहा कि पुरानी वाहनों का बदस्तूर परिचालन भी वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है. उन्होंने कहा कि मुंगेर में पिछले 2 साल से कई नए प्रोजेक्ट को लेकर निर्माण कार्य शुरू हुआ है. जैसे मुंगेर खगड़िया रेल-सह-सड़क पुल के लिए एप्रोच पथ जिसमें प्रतिदिन 400 बड़े ट्रकों का आवागमन इसके अलावा मुंगेर-साहिबगंज एनएच का निर्माण, इंजीनियरिंग कॉलेज, वानिकी कॉलेज कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं. जो मुंगेर में 2 साल से चल रहे हैं, जिसके कारण वाहनों का अधिक आवागमन मुंगेर में होने की वजह से वायु प्रदूषण को बढ़ा रही है.
पेड़ काटने से भी बढ़ रहा प्रदूषण: मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि, पेड़ को काटने के कारण भी प्रदूषण बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि हवा को शुद्ध करने के लिए पेड़ पौधों की होना जरूरी है. लेकिन यहां तो बड़े-बड़े विशाल पेड़ काटे जा रहे हैं. नए नए प्रोजेक्ट के लिए जिस तरह पेड़ काटे जा रहे हैं. उस अनुपात में पौधे लगाए नहीं जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुंगेर खगड़िया रेल सह सड़क पुल की एप्रोच पथ को लेकर लगभग 4 किलोमीटर तक लगभग 500 बड़े-बड़े पेड़ को काटा गया. इसी तरह देश का दूसरा एवं बिहार का पहला वानिकी कॉलेज बन रहा है. वहां लगभग 200 वृक्ष काटे गए, इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए भी सैकड़ों वृक्ष काटे गए. लेकिन वहां पर पौधे नहीं लगाए जा रहे हैं. ऐसे में जो हवा को संतुलित करने वाले कारक हैं वही खत्म हो रहे हैं तो निश्चित रूप से हवा प्रदूषित होगी. वहीं, वन प्रमंडल पदाधिकारी नवीन ओझा ने कहा कि निर्माण कार्य के लिए जो वृक्ष काटे जाते हैं उनके एवज में संबंधित एजेंसी को उतने ही पौधे लगाने की शर्त रहती है. इसके लिए नियम कानून बनाए गए हैं. मुंगेर वन क्षेत्र में पेड़ पौधों की संख्या में वृद्धि हुई है. जो एजेंसियां पेड़ को काटती है वह नए पौधों को लगा रही है.
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