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मुंगेर में मनाई जा रही महानवमी, चंडिका स्थान में चुनरी चढ़ाने पहुंची महिलाएं

अष्टमी और नवमी को पूजा के साथ- साथ चुनरी चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं की भी काफी भीड़ जमा होती है. इन दिनों माता का भव्य श्रृंगार किया जाता है. पूजा करने आने वाले लोग मां के गर्भ गृह का काजल अपनी आंखों में लगाते हैं.

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Published : Apr 13, 2019, 10:08 AM IST

चंडिका स्थान

मुंगेर: देश के 52 शक्तिपीठों में एक जिला मुख्यालय के समीप स्थित मां चंडिका स्थान भी है. यहां माता सती की बाईं आंख की पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता सती के 52 टुकड़े किए थे, तो उनका बाया नेत्र इसी पवित्र स्थान पर आ गिरा था.
मुंगेर स्थित चंडिका स्थान में चैती नवरात्र को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. खासकर नवरात्र में अष्टमी के दिन मंदिर के गर्भ गृह में मां की विशेष पूजा की जाती है. अष्टमी और नवमी को पूजा के साथ- साथ चुनरी चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं की भी काफी भीड़ जमा होती है.

चंडिका स्थान पहुंचे श्रद्धालु

शारदीय और चैत्र नवरात्र में होती है ज्यादा भीड़
माना जाता है कि मां चंडिका स्थान शक्ति पीठ की पूजा करने से नेत्र पीड़ा से छुटकारा मिलता है. इस मंदिर को द्वापर युग की कहानियों से भी जोड़ा जाता है. यह मुंगेर जिला मुख्यालय से करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित है. वैसे तो यहां सालों भर भक्त आते रहते हैं लेकिन शारदीय और चैत्र नवरात्र में श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा बढ़ जाती है.

क्या-क्या होता है नवरात्र में
नवरात्र में अहले सुबह से ही माता की पूजा शुरू हो जाती है. संध्या में श्रृंगार पूजन होता है. अष्टमी और नवमी के दिन यहां विशेष पूजा होती है. इन दिनों माता का भव्य श्रृंगार किया जाता है. पूजा करने आने वाले लोग मां के गर्भ गृह का काजल अपनी आंखों में लगाते हैं. वही काफी संख्या में महिलाएं मां को चुनरी भी चढ़ाती हैं.

मुंगेर: देश के 52 शक्तिपीठों में एक जिला मुख्यालय के समीप स्थित मां चंडिका स्थान भी है. यहां माता सती की बाईं आंख की पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता सती के 52 टुकड़े किए थे, तो उनका बाया नेत्र इसी पवित्र स्थान पर आ गिरा था.
मुंगेर स्थित चंडिका स्थान में चैती नवरात्र को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. खासकर नवरात्र में अष्टमी के दिन मंदिर के गर्भ गृह में मां की विशेष पूजा की जाती है. अष्टमी और नवमी को पूजा के साथ- साथ चुनरी चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं की भी काफी भीड़ जमा होती है.

चंडिका स्थान पहुंचे श्रद्धालु

शारदीय और चैत्र नवरात्र में होती है ज्यादा भीड़
माना जाता है कि मां चंडिका स्थान शक्ति पीठ की पूजा करने से नेत्र पीड़ा से छुटकारा मिलता है. इस मंदिर को द्वापर युग की कहानियों से भी जोड़ा जाता है. यह मुंगेर जिला मुख्यालय से करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित है. वैसे तो यहां सालों भर भक्त आते रहते हैं लेकिन शारदीय और चैत्र नवरात्र में श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा बढ़ जाती है.

क्या-क्या होता है नवरात्र में
नवरात्र में अहले सुबह से ही माता की पूजा शुरू हो जाती है. संध्या में श्रृंगार पूजन होता है. अष्टमी और नवमी के दिन यहां विशेष पूजा होती है. इन दिनों माता का भव्य श्रृंगार किया जाता है. पूजा करने आने वाले लोग मां के गर्भ गृह का काजल अपनी आंखों में लगाते हैं. वही काफी संख्या में महिलाएं मां को चुनरी भी चढ़ाती हैं.

Intro:मुंगेर- देश के 52 शक्तिपीठों में एक मां चंडिका स्थान में माता सती की बाई आंख की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता सती के 52 टुकड़े किए थे, तो उनका बाया नेत्र कटकर इसी पवित्र स्थान पर गिरा था। मुंगेर स्थित चंडिका स्थान में चैती नवरात्र को लेकर पूजा अर्चना करने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। खासकर यहाँ नवरात्र के अष्टमी के दिन मंदिर के गर्भ गृह में माँ की विशेष पूजा की जाती है। अष्टमी और नवमी को माँ की पूजा के साथ साथ चुनरी चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं की भी काफी भीड़ जमा होती है।


Body:बिहार के मुंगेर जिला मुख्यालय के समीप स्थित मां चंडिका स्थान शक्ति पीठ की पूजा करने से नेत्र पीड़ा से छुटकारा मिलता है। ऐसी मान्यता है कि यहां पार्वती की बाईं आंख गिरी थी। इस मंदिर को द्वापर युग की कहानियों से भी जोड़ा जाता है। मुंगेर जिला मुख्यालय से करीब 2 किलोमीटर दूर इस शक्तिपीठ में मां की आंख की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि 52 शक्तिपीठों में से एक मां चंडिका स्थान में पूजा करने वालों की आंखों की पीड़ा दूर होती है। वैसे तो इस पवित्र स्थान पर पूजा करने सालों भर देश के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु आते हैं। लेकिन शारदीय और चैत्र नवरात्र में यहां भक्तों की भीड़ काफी बढ़ जाती है। नवरात्र में अहले सुबह से ही माता की पूजा शुरू हो जाती है। संध्या में श्रृंगार पूजन होता है। अष्टमी और नवमी के दिन यहां विशेष पूजा होती है। इस दिन माता का भव्य श्रृंगार किया जाता है। पूजा करने आने वाले लोग मां के गर्भ गृह का काजल अपनी आंखों में लगाते हैं। वही काफी संख्या में महिलाएं मां को चुनरी भी चढ़ाती हैं।


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