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Justice After 10 Year: मुंगेर में नक्सली हमले में शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों को 10 साल बाद मिला न्याय

मुंगेर में साहिबगंज-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस पर बरियाकोल सुरंग (जमालपुर सुरंग) के पास नक्सलियों ने हमला कर तीन पुलिसकर्मियों की जान ले ली थी. इस मामले में पुलिसकर्मियों के परिजन को 10 साल बाद इंसाफ ( (Justice after 10 years in Naxalite attack case) ) मिला है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jan 14, 2023, 10:06 PM IST

मुंगेर: बिहार के मुंगेर में 30 नवंबर 2013 को जमालपुर सुरंग के पास साहिबगंज-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस पर नक्सलियों ने हमला कर दिया था. इसमें 3 पुलिस वाले शहीद (Three policemen martyred in Naxalite attack ) हो गए थे. इस मामले में 10 वर्ष बाद न्यायालय का फैसला आया है. मृतक के परिजन को न्याय मिल गया. अभियुक्त राजेश उर्फ राकेश कोल, पिता रघुनाथ कोल बांका जिले बरघसवा गांव निवासी को जमालपुर रेल थाना कांड संख्या 37/13 में न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

ये भी पढ़ेंः मुंगेरः कॉम्बिंग ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों के कैंप को किया गया ध्वस्त

30 नवंबर 2013 को हुआ था नक्सली हमलाः पूर्व रेलवे के मालदा मंडल अंतर्गत आने वाले भागलपुर-जमालपुर रेलखंड के बरियाकोल सुरंग के पास बीते 30 नवंबर 2013 को ट्रेन नंबर 132345 अप साहेबगंज-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन के महिला बोगी नंबर ईसी-08729 में करीब 40 से 45 की संख्या में नक्सलियों ने हमला कर दिया. इसमें नक्सलियों ने बोगी में मौजूद तीन पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया.

तीन पुलिसकर्मी हो गए थे शहीदः इस नक्सली घटना में बीएमपी-12 के हवलदार अशोक कुमार,सिपाही उदय कुमार यादव और सिपाही भोला शहीद हो गए थे. नक्सलियों ने इनके कारबाईन सहित एके-47 हथियार और गोलियां लूट ली थी. पांच पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस दौरान नक्सलियों ने पुलिसकर्मियों के हथियार भी लूट लिए थे. नक्सलियों के इस हमले में सिपाही मोहम्मद इम्तियाज अली (25) और कहलगांव में पदस्थापित नर्स मुन्नी कुमारी गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस घटना के दौरान ट्रेन बरियाकोल सुरंग के पास घंटों खड़ी रही थी.

लखीसराय कोर्ट में आरोपी को सुनाई गई सजाः नक्सली हमले की घटना के 10 वर्ष बाद न्यायालय का फैसला आया है. लखीसराय कोर्ट में एडीजे-3 न्यायाधीश श्रीराम झा के कोर्ट में इस केस की सुनवाई चल रही थी. बीते 3 जनवरी को इस केस में फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. घटना में घायल सिपाही मोहम्मद इम्तियाज अली ने अनुसंधान के क्रम में बताया था कि बाहर काफी संख्या में नक्सलियों के जमा होने की आवाज आ रही थी. जबकि 5 से 6 की संख्या में नक्सली महिला बोगी में पहले से सवार थे.

15 गवाहों का बयान किया गया कलमबंद: इधर रेल पुलिस उपाधीक्षक किऊल और लखीसराय कोर्ट में अभियोजन में पदस्थापित जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि कोर्ट में अभियुक्तों के खिलाफ 15 गवाह और 46 प्रदर्श प्रस्तुत किया गया. इसमें वादी मोहम्मद इम्तियाज अली एवं 14 गवाहों ने अपने बयान कलमबंद करवाएं थे. उन्होंने बताया कि शुरुआत में इस कांड में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. बाद में अनुसंधान के क्रम में 77 नक्सलियों के नाम सामने आए.

77 आरोपियों के नाम आए थे सामनेः रेल पुलिस उपाधीक्षक किऊल ने बताया कि 77 आरोपियों में से दो को गिरफ्तार नक्सलियों का टीआई परेड में पहचान की गई. इसमें राजेश कोल उर्फ राकेश कोल और रवि यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 सहित अन्य 14 धाराओं, यूपीए की धारा 16 और 20 तथा रेलवे एक्ट 152,153 में 7 जुलाई 2014 में व्यवहार न्यायालय लखीसराय में आरोप पत्र समर्पित किया गया था. वहीं दूसरी तरफ अनुसंधान कर्ता उपाधीक्षक के अनुसंधान में लापरवाही के कारण यूपीए में अभियोजन स्वीकृति अभी तक अप्राप्त रही है. इसको लेकर जानकार की माने तो यूपीए में अभियोजन स्वीकृति प्राप्त होने से अभियुक्तों को और कड़ी सजा मिल सकती थी.

"कोर्ट में अभियुक्तों के खिलाफ 15 गवाह और 46 प्रदर्श प्रस्तुत किया गया. इसमें वादी मोहम्मद इम्तियाज अली एवं 14 गवाहों ने अपने बयान कलमबंद करवाएं थे. उन्होंने बताया कि शुरुआत में इस कांड में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. बाद में अनुसंधान के क्रम में 77 नक्सलियों के नाम सामने आए"- जितेंद्र कुमार सिंह

मुंगेर: बिहार के मुंगेर में 30 नवंबर 2013 को जमालपुर सुरंग के पास साहिबगंज-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस पर नक्सलियों ने हमला कर दिया था. इसमें 3 पुलिस वाले शहीद (Three policemen martyred in Naxalite attack ) हो गए थे. इस मामले में 10 वर्ष बाद न्यायालय का फैसला आया है. मृतक के परिजन को न्याय मिल गया. अभियुक्त राजेश उर्फ राकेश कोल, पिता रघुनाथ कोल बांका जिले बरघसवा गांव निवासी को जमालपुर रेल थाना कांड संख्या 37/13 में न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

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30 नवंबर 2013 को हुआ था नक्सली हमलाः पूर्व रेलवे के मालदा मंडल अंतर्गत आने वाले भागलपुर-जमालपुर रेलखंड के बरियाकोल सुरंग के पास बीते 30 नवंबर 2013 को ट्रेन नंबर 132345 अप साहेबगंज-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन के महिला बोगी नंबर ईसी-08729 में करीब 40 से 45 की संख्या में नक्सलियों ने हमला कर दिया. इसमें नक्सलियों ने बोगी में मौजूद तीन पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया.

तीन पुलिसकर्मी हो गए थे शहीदः इस नक्सली घटना में बीएमपी-12 के हवलदार अशोक कुमार,सिपाही उदय कुमार यादव और सिपाही भोला शहीद हो गए थे. नक्सलियों ने इनके कारबाईन सहित एके-47 हथियार और गोलियां लूट ली थी. पांच पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस दौरान नक्सलियों ने पुलिसकर्मियों के हथियार भी लूट लिए थे. नक्सलियों के इस हमले में सिपाही मोहम्मद इम्तियाज अली (25) और कहलगांव में पदस्थापित नर्स मुन्नी कुमारी गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस घटना के दौरान ट्रेन बरियाकोल सुरंग के पास घंटों खड़ी रही थी.

लखीसराय कोर्ट में आरोपी को सुनाई गई सजाः नक्सली हमले की घटना के 10 वर्ष बाद न्यायालय का फैसला आया है. लखीसराय कोर्ट में एडीजे-3 न्यायाधीश श्रीराम झा के कोर्ट में इस केस की सुनवाई चल रही थी. बीते 3 जनवरी को इस केस में फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. घटना में घायल सिपाही मोहम्मद इम्तियाज अली ने अनुसंधान के क्रम में बताया था कि बाहर काफी संख्या में नक्सलियों के जमा होने की आवाज आ रही थी. जबकि 5 से 6 की संख्या में नक्सली महिला बोगी में पहले से सवार थे.

15 गवाहों का बयान किया गया कलमबंद: इधर रेल पुलिस उपाधीक्षक किऊल और लखीसराय कोर्ट में अभियोजन में पदस्थापित जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि कोर्ट में अभियुक्तों के खिलाफ 15 गवाह और 46 प्रदर्श प्रस्तुत किया गया. इसमें वादी मोहम्मद इम्तियाज अली एवं 14 गवाहों ने अपने बयान कलमबंद करवाएं थे. उन्होंने बताया कि शुरुआत में इस कांड में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. बाद में अनुसंधान के क्रम में 77 नक्सलियों के नाम सामने आए.

77 आरोपियों के नाम आए थे सामनेः रेल पुलिस उपाधीक्षक किऊल ने बताया कि 77 आरोपियों में से दो को गिरफ्तार नक्सलियों का टीआई परेड में पहचान की गई. इसमें राजेश कोल उर्फ राकेश कोल और रवि यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 सहित अन्य 14 धाराओं, यूपीए की धारा 16 और 20 तथा रेलवे एक्ट 152,153 में 7 जुलाई 2014 में व्यवहार न्यायालय लखीसराय में आरोप पत्र समर्पित किया गया था. वहीं दूसरी तरफ अनुसंधान कर्ता उपाधीक्षक के अनुसंधान में लापरवाही के कारण यूपीए में अभियोजन स्वीकृति अभी तक अप्राप्त रही है. इसको लेकर जानकार की माने तो यूपीए में अभियोजन स्वीकृति प्राप्त होने से अभियुक्तों को और कड़ी सजा मिल सकती थी.

"कोर्ट में अभियुक्तों के खिलाफ 15 गवाह और 46 प्रदर्श प्रस्तुत किया गया. इसमें वादी मोहम्मद इम्तियाज अली एवं 14 गवाहों ने अपने बयान कलमबंद करवाएं थे. उन्होंने बताया कि शुरुआत में इस कांड में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. बाद में अनुसंधान के क्रम में 77 नक्सलियों के नाम सामने आए"- जितेंद्र कुमार सिंह

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