मुंगेरः शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) में महाअष्टमी पूजा से लेकर मुंगेर जिला में 10वीं पूजा तक पूजा पंडाल (Puja Pandal) में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. मुंगेर (Munger) में 11 एवं 12वीं पूजा तक विसर्जन होता है. मुंगेर के बड़ी दुर्गा महारानी शादीपुर की बड़ी विशेषता है. कहा जाता है जो भी भक्त यहां सच्चे मन से अपनी मनोकामना मांगते हैं, माता रानी उनकी हर मनोकामनाएं पूरी करती हैं. तभी तो यहां प्रतिदिन 10 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते हैं. कहा जाता है कि माता रानी का रूप इतना मनोरम है कि इसके तस्वीर को मुंगेर ही नहीं बिहार के लगभग सभी जिले के माता रानी के भक्तों के घरों में देखने को मिल जाएगा.
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तारापुर अनुमंडल में स्थापित बांका जिला सीमा पर मां तेलडीहा का मंदिर है. कहते हैं मां की बेदी 108 नर मुंडों से बनी है. इसी बेदी पर मां प्रत्येक वर्ष विराजमान होती है. प्रतिमा निर्माण में कलाकार केवल मिट्टी का ही प्रयोग करते हैं. यहां पर भक्तों का सालों भर तांता लगा रहता है. लेकिन नवरात्रा में श्रद्धालु हजारों की संख्या में आते हैं. सप्तमी पूजा से हजारों की संख्या में बकरे की बलि दी जाती है. यहां तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है.
यूं तो मुंगेर में लगभग 100 से अधिक दुर्गा प्रतिमा अलग-अलग स्थान पर स्थापित की जाती है. लेकिन इस वर्ष बरियारपुर के कल्याणपुर में स्थापित मां दुर्गा का पंडाल आकर्षण का केंद्र बना है. कोलकाता से आये कलाकारों ने जयपुर का हवा महल बनाया है. पंडाल इतना वास्तविक लगता है कि दूर से देखने से लगता है कि हम जयपुर के हवामहल में हैं. इसे देखने के लिए दूरदराज से भी लोग मां के पंडाल में पहुंच रहे हैं. स्थानीय मुखिया सुनील सोलंकी ने कहा कि कल्याणपुर में इस वर्ष हवामहल पंडाल लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
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