मुंगेर: कहते हैं हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. कोरोना वायरस मामले में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. महामारी ने जहां देश-दुनिया को बहुत नुकसान पहुंचाया है, तो वहीं इससे कुछेक फायदे भी अब नजर आने लगे हैं. लॉकडाउन के दौरान गंगा साफ हो गई है. गंगा का रंग मटमैला की जगह नीला नजर आने लगा है. आलम यह है कि गंगा में डॉल्फिन और मछलियां अठखेलियां करती नजर आ रही हैं. वहीं, पानी में ऑक्सीजन की मात्रा भी काफी बढ़ गई है.
गौरतलब है कि पूरे देश में 24 मार्च से लॉकडाउन जारी है. लॉकडाउन के कारण कल-कारखानों से निकलने वाला दूषित रासायनिक जल का प्रवाह गंगा में नहीं हो रहा है. श्रद्धालुओं का भी गंगा स्नान करने जाना लगभग बंद हो गया है. जिसके कारण लोगों द्वारा भी गंगा में कचरा फेंका जाना बंद है. जिस वजह से गंगा का पानी तेज गति से शुद्ध हो रहा है. बता दें कि इसके पानी से लोग आचमन भी करने लगे हैं. गंगाजलि संस्था के सचिव अमरदीप ने बताया कि गंगा की सफाई के कारण सबसे सुखद अनुभव ये है कि गंगा 80 प्रतिशत तक साफ हो गई है.
नाव नहीं चलने के कारण गंगा हुई साफ
अमरदीप ने बताया कि गंगा घाट भी साफ-सुथरा नजर आने लगा है. पूरे देश में लॉकडाउन लागू होने की वजह से सभी तरह का मूवमेंट बंद है. साथ ही कल-कारखाने, फैक्ट्रियां बंद है. इससे गंगा में प्रदूषण रुक गया है और गंगा पूरी तरह से स्वच्छ हो गई है. गंगा में जलीय जीव-जंतु की देखरेख करने वाली संस्था एक्टिव रिवर के संयोजक राजीव नायक ने कहा कि गंगा साफ हो गई है. गंगा में कई परिवर्तन देखने को मिल रहा है. जलीय जीव-जंतु भी गंगा में अठखेलियां करती साफ नजर आने लगी है. साथ ही गंगा में भारी मात्रा में डॉल्फिन भी दिखाई देने लगी है. गंगा सफाई अभियान से जुड़े बमबम यादव ने बताया कि लॉकडाउन से गंगा में प्रदूषण कम हो गया है. साथ ही नाव नहीं चलने के कारण गंगा साफ हो गई है.
गंगा घाट भी हुए स्वच्छ
मुंगेर जिला उत्तरायण गंगा के तट पर बसा है. यहां गंगा 17 किलोमीटर से अधिक भाग में बहते हुए पटना से भागलपुर की ओर जाती है. यहां लगभग एक दर्जन से अधिक बड़े गंगा घाट जैसे लाल दरवाजा घाट, कष्टहरनी घाट, बबुआ घाट, दुरमट्टा घाट, हीरु दियारा घाट, फरदा घाट, सुंदरपुर घाट, सीता कुंड, सीतलपुर घाट, महुली घाट, शंकरपुर घाट, श्यामपुर घाट, टीका रामपुर घाट है. बमबम यादव ने बताया कि सभी घाटों पर लॉकडाउन के कारण श्रद्धालुओं का आना-जाना बंद है. जिसके कारण घाट भी साफ-सुथरी नजर आ रही है. गंगा किनारे कचरे का ढेर भी नहीं देखने को मिल रहा है. गंगा में लोगों द्वारा कचरा फेंकना लगभग बंद हो गया है.
बिना करोड़ों खर्च किए हो गई गंगा साफ
शिक्षाविद कौशल किशोर पाठक ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना द्वारा करोड़ों-अरबों रुपयों के बजट के माध्यम से केंद्र सरकार गंगा स्वच्छता अभियान संचालित कर रही है. वहीं, इसके उलट ऐसी बानगी देखने को मिल रही है कि बिना करोड़ों खर्च किये, बिना मानव बल लगाए गंगा इतनी साफ हो गई कि तलहटी तक नजर आने लगी है. पहले जहां, गंगा के अंदर हम 2 इंच भी नहीं देख पाते थे. वहीं, अब गंगा के किनारे तलहटी साफ नजर आने लगी है. उन्होंने खुशी जताते हुये बताया कि गंगा का रंग नीला हो गया है. अब आगे गंगा को ऐसे ही स्वच्छ रखने के लिये हम लोगों को सामूहिक प्रयास करना चाहिए. लॉकडाउन ने गंगा को साफ कर दिया है.